गेहूं, आटा और मैदा के दाम अप्रैल में मामूली बढऩे के बाद मई में 10 फीसदी घटे हैं। इसकी वजह गेहूं का रिकॉर्ड उत्पादन, सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के जरिये वितरण में भारी बढ़ोतरी और देश भर में लॉकडाउन से मांग में गिरावट आना है।
केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के आंकड़ों से पता चलता है कि गेहूं के दाम मार्च से मई के बीच 12 फीसदी घटे हैं। अब गेहूं का भाव 22 रुपये प्रति किलोग्राम है, जो मार्च में यानी भारत में कोरोनावायरस का फैलाव शुरू होने से पहले 35 रुपये प्रति किलोग्राम था।
इसी तरह आलोच्य अवधि में आटा 6.7 फीसदी सस्ता हुआ है। यह मार्च में 30 रुपये प्रति किलोग्राम था, जो अब 28 रुपये प्रति किलोग्राम हो गया है। गेहूं और आटे की कीमतों में गिरावट से पहले इनमें थोड़ी बढ़ोतरी हुई थी। गेहूं और आटे की कीमतों में गिरावट से मध्य वर्गीय उपभोक्ताओं को ऐसे समय राहत मिली है, जब कोविड-19 महामारी के चलते देशव्यापी लॉकडाउन से लाखों लोग बेरोजगार हो गए हैं और अन्य लाखों लोगों के वेतन में कटौती हुई है। लॉकडाउन की वजह से फैक्टरियां, थोक और खुदरा स्टोर बंद हो गए, जिससे रोजगार के मौकों पर असर पड़ा है।
देश में करीब 400 गेहूं प्रसंस्करणकर्ताओं की प्रतिनिधि संस्था रोलर फ्लोर मिल्स फेडरेशन के अध्यक्ष संजय पुरी ने कहा, ‘कम आपूर्ति के सीजन में मांग बढऩे के कारण मार्च में आटा और मैदा की कीमतें बढ़ी थीं। मगर रबी सीजन में गेहूं के रिकॉर्ड उत्पादन और सार्वजनिक वितरण प्रणाली के जरिये मुफ्त एवं सस्ती दरों पर वितरण में बढ़ोतरी से उनकी कीमतें मार्च के स्तरों से करीब 10 फीसदी टूटी हैं।’
खाद्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली में गेहूं के दाम 4.2 फीसदी लुढ़ककर मई में 23 रुपये प्रति किलोग्राम पर आ गए, जो मार्च और अप्रैल में 24 रुपये प्रति किलोग्राम थे। इसी तरह आटे का भाव 3.6 फीसदी गिरकर 27 रुपये प्रति किलोग्राम पर आ गया है, जो मार्च में 28 रुपये प्रति किलोग्राम था।
रोचक तथ्य यह है कि अब मुंबई में गेहूं के दाम 9.4 फीसदी बढ़कर 35 रुपये प्रति और आटे के दाम 5.9 फीसदी बढ़कर 36 रुपये प्रति किलोग्राम हो गए। मुंबई में फरवरी में गेहूं 32 रुपये प्रति किलोग्राम और आटा 34 रुपये प्रति किलोग्राम था।
आटा मिलों की आटे की एक्स-फैक्टरी कीमतें भी अब गिरकर 22.75 रुपये प्रति किलोग्राम पर आ गई हैं।
इस बीच मांग घटने के कारण मैदा की कीमतों में भारी गिरावट आई है। बेकरी, बिस्कुट, कुकीज, भेल/पानी पूरी और सैंडविच आदि क्षेत्रों में मैदा का सबसे ज्यादा इस्तेमाल होता है। इन क्षेत्रों में मैदा की करीब 20 से 30 फीसदी खपत होती है।
शिवाजी रोलर फ्लोर मिल्स के अजय गोयल ने कहा, ‘कमजोर मांग के कारण आटा मिलों ने अपनी परिचालन क्षमता घटाकर अब 25 से 30 फीसदी कर दी है। बिस्कुट, कुकीज और ब्रेड बनाने वाली इकाइयों से आने वाली मांग पूरी तरह खत्म हो गई है। हालांकि आईटीसी, अदाणी और कारगिल जैसी बड़ी कंपनियां चल रही हैं मगर मझोली एवं छोटी कंपनियों को श्रमिकों की किल्लत एवं पैकेजिंग सामग्री की कमी के कारण परिचालन में दिक्कतें आ रही हैं। मांग बहाल होने पर आटा मिलें अपनी परिचालन क्षमता बढ़ाएंगी।’
एफसीआई ने पीडीएस आपूर्ति बढाऩे के लिए रबी विपणन सीजन में अब तक 3.51 करोड़ टन की खरीद की है, जबकि देश में गेहूं का कुल उत्पादन 10.6 करोड़ टन होने का अनुमान है।
