गेहूं व उससे बने उत्पादों आटा, मैदा, सूजी और रवा के दामों में गिरावट आई है। आधिकारिक और कारोबार के सूत्रों के मुताबिक बीते महीने की तुलना में इस महीने इन उत्पादों के दामों में 10-14 फीसदी गिरावट आई है।
जनवरी के मध्य में गेहूं के दाम रिकार्ड ऊंचाई करीब 3200 रुपये प्रति क्विंटल पर पहुंच गए थे। इसके बाद केंद्र सरकार ने खुले बाजार में गेहूं बेचने की योजना शुरू की थी। इससे खुले बाजार में गेहूं की आवक बढ़ गई थी और अब गेहूं 2200 रुपये प्रति क्विंटल के करीब आ गया है। सरकार ने खुले बाजार में गेहूं बेचने की योजना की प्रक्रिया के अंतर्गत 30 लाख टन गेहूं आबंटित किया था। बाद में 20 लाख टन गेहूं और शामिल किया गया।
अभी तक भारतीय खाद्य निगम ने चार निविदाओं के जरिये 24 लाख टन गेहूं बेच चुकी है। इसके लिए सरकार ने 2340 प्रति क्विंटल का दाम निर्धारित किया था। इससे गेहूं के दाम और नरम हो गए। 2012 के बाद शुरू की गई श्रृंखला के तहत जनवरी के दौरान उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में गेहूं के दाम सर्वकालिक उच्च स्तर 25.05 फीसदी पर पहुंच गए थे। इसका कारण केंद्रीय पूल स्टॉक में गेहूं की देरी से उपलब्धता थी। केंद्रीय पूल स्टॉक में गेहूं की उपलब्धता फरवरी से शुरू हुई थी।