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धान किसानों की उम्मीदों पर फिरा पानी

Last Updated- December 08, 2022 | 4:42 AM IST

हरियाणा एवं पंजाब की मंडियों में मध्यम श्रेणी के धान की बिक्री पिछले साल के मुकाबले कम कीमत पर हो रही है।


जबकि मोटे एवं उम्दा धान की कीमत कमोबेश पिछले साल के स्तर पर कायम है। दूसरी तरफ पश्चिमी उत्तर प्रदेश में धान बेचने वाले किसानों को भुगतान पाने के लिए 20-30 दिनों का इंतजार करना पड़ रहा है।

भुगतान लेने की जल्दी दिखाने पर किसानों को तय कीमत से कम पैसे मिल रहे हैं। पंजाब एवं हरियाणा की मंडियों में धान की खरीदारी इन दिनों अपने चरम है। और आधे से अधिक धान की खरीदारी हो चुकी है।

हरियाणा व पंजाब में मध्यम किस्म के धान की कीमत में 300-600 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट देखी जा रही है। पिछले साल मध्यम किस्म के जिस धान की कीमत लगभग 2500 रुपये प्रति क्विंटल थी, उसकी कीमत इस साल 1900-2200 रुपये प्रति क्विंटल है।

मोटे किस्म के धान की बिक्री न्यूनतम समर्थन मूल्य 850 रुपये प्रति क्विंटल की दर से हो रही है। उम्दा किस्म के धान की कीमत कमोबेश पिछले साल की तरह 2000-3000 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर पर है।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हापुड़ एवं गढ़ मंडी में उम्दा धान की कीमत 2500-2700 रुपये प्रति क्विंटल, पूसा बासमती 2200 रुपये प्रति क्विंटल तो खुशबू की कीमत 1800 रुपये प्रति क्विंटल बतायी जा रही है। भारतीय किसान आंदोलन की राष्ट्रीय समन्वय समिति के संयोजक चौधरी युध्दबीर सिंह ने बताया कि सरकार की गलत नीति के कारण उम्दा या बासमती किस्म के धान की कीमत ऊंची नहीं हो पा रही है।

सरकार ने बासमती के निर्यात पर 8 हजार रुपये प्रति टन का शुल्क लगा रखा है जिस कारण बासमती के उठाव में तेजी नहीं है। निर्यात पर लगे शुल्क को वापस लेने पर बासमती धान में तेजी आ जाएगी। सिंह ने बताया कि सरकार की तरफ से उचित व्यवस्था नहीं होने के कारण इस साल साठी चावल के किसानों को भी नुकसान उठाना पड़ा।

हरियाणा में साठी का धान जल्दी तैयार हो जाता है और यह बिक्री के लिए सितंबर महीने में ही मंडी में आ जाता है। लेकिन सरकारी खरीद 1 अक्टूबर से शुरू होती है। इस कारण इन साठी की पैदावार करने वाले किसानों को अपनी फसल 500-600 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बेचना पड़ा।

गाजियाबाद जनपद के किसान राजबीर सिंह ने बताया कि जो किसान व्यापारी से तुरंत भुगतान की मांग कर रहे हैं उन्हें तय कीमत से .5 फीसदी रुपये बतौर कमीशन काटी जा रही है। किसानों को धान देने के कम से कम 20 दिनों के बाद पैसे मिल रहे हैं, लेकिन मंडी अधिकारी तरफ से कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

उनका यह भी कहना है कि इस साल किसानों को अच्छी कीमत मिलने की उम्मीद थी। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के इलाकों में धान में कीड़े लगने के कारण 20 फीसदी फसल नुकसान का अनुमान लगाया जा रहा है। 

लेकिन विश्व में इस साल चावल उत्पादन में बढ़ोतरी एवं विश्वव्यापी मंदी के कारण धान के भाव तेज नहीं हो पाए। विश्व खाद्य संगठन ने वर्ष 2008-09 के दौरान पिछले साल के मुकाबले 2.3 फीसदी की बढ़त के साथ 445.3 मिलियन टन चावल उत्पादन का अनुमान लगाया है।

First Published - November 20, 2008 | 10:58 PM IST

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