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ED ने Reliance Power के CFO को ₹68 करोड़ फर्जी बैंक गारंटी केस में गिरफ्तार किया

PMLA Case: सूत्रों के अनुसार, पाल को शुक्रवार रात Prevention of Money Laundering Act (PMLA) के तहत हिरासत में लिया गया। उ

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बीएस वेब टीम   
Last Updated- October 11, 2025 | 11:19 AM IST

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने उद्योगपति अनिल अंबानी की समूह कंपनी Reliance Power के मुख्य वित्तीय अधिकारी (CFO) अशोक पाल को ₹68 करोड़ की कथित फर्जी बैंक गारंटी से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया। यह जानकारी समाचार एजेंसी PTI ने सूत्रों के हवाले से दी।

सूत्रों के अनुसार, पाल को शुक्रवार रात Prevention of Money Laundering Act (PMLA) के तहत हिरासत में लिया गया। उन्हें शनिवार को विशेष अदालत में पेश किया जाएगा, जहां ED उनकी हिरासत में पूछताछ के लिए रिमांड मांगेगी।

मामला फर्जी बैंक गारंटी से जुड़ा

यह मामला Reliance NU BESS Limited नामक Reliance Power की सहायक कंपनी द्वारा Solar Energy Corporation of India Limited (SECI) को जमा की गई ₹68.2 करोड़ की बैंक गारंटी से संबंधित है। जांच में यह गारंटी फर्जी पाई गई।

Reliance NU BESS का पुराना नाम Maharashtra Energy Generation Limited था। ED ने आरोप लगाया है कि ओडिशा स्थित Biswal Tradelink नामक कंपनी फर्जी बैंक गारंटियों का कारोबार चला रही थी।

अगस्त में ED ने इस कंपनी और इसके प्रमोटर्स के परिसरों पर छापेमारी की थी और कंपनी के प्रबंध निदेशक पार्थ सरथी बिस्वाल को गिरफ्तार किया गया था।

यह मनी लॉन्ड्रिंग मामला नवंबर 2024 में दिल्ली पुलिस की Economic Offences Wing (EOW) द्वारा दर्ज FIR से शुरू हुआ था। FIR में आरोप लगाया गया कि कंपनी 8% कमीशन के लिए फर्जी बैंक गारंटियां जारी करती थी।

Reliance Group का बयान

उस समय Reliance Group ने कहा था कि Reliance Power “धोखाधड़ी और जालसाजी का शिकार” बनी है और इस मामले की जानकारी 7 नवंबर 2024 को स्टॉक एक्सचेंज को दी गई थी। समूह के प्रवक्ता ने कहा, “हमने अक्टूबर 2024 में तीसरी पार्टी (आरोपी कंपनी) के खिलाफ दिल्ली पुलिस की EOW में अपराध की शिकायत दर्ज कराई थी। कानूनी प्रक्रिया के अनुसार कार्रवाई होगी।”

ED की प्रारंभिक जांच

सूत्रों के अनुसार, भुवनेश्वर स्थित Biswal Tradelink ने SBI के आधिकारिक डोमेन sbi.co.in के समान s-bi.co.in नामक ईमेल डोमेन का इस्तेमाल कर SECI को फर्जी संचार भेजा। प्रारंभिक जांच में यह भी पता चला कि कंपनी कमीशन के लिए फर्जी बिल बनाती थी और कई छिपी हुई बैंक खातों के जरिए करोड़ों रुपये का लेनदेन करती थी।

कंपनी को “केवल कागजों की कंपनी” बताया गया है। इसका पंजीकृत कार्यालय बिस्वाल के रिश्तेदार के आवासीय संपत्ति पर था। ED की छापेमारी के दौरान वहां कोई कंपनी रिकॉर्ड नहीं मिला।

First Published : October 11, 2025 | 11:12 AM IST