हल्दी के वैश्विक कारोबार में भारत की 62 फीसदी से अधिक हिस्सेदारी होने के बावजूद कई ऐसी चुनौतियां हैं जिससे इसकी वृद्धि प्रभावित हो सकती है। एमवे के सहयोग से इक्रियर द्वारा तैयार और जारी की गई रिपोर्ट के मुताबिक इन चुनौतियों में प्रमुख निर्यात बाजारों में मसालों को स्वीकार नहीं किए जाने, कीमतों में उतार-चढ़ाव के चलते किसानों का हल्दी की खेती से हटना और कंपनियों द्वारा आवश्यक करक्यूमिन स्तर को पूरा न करने जैसे कारक शामिल हैं।
इक्रियर की एक रिपोर्ट के मुताबिक लगभग 80 प्रतिशत हल्दी किसानों की सालाना आय का 50 फीसदी से भी कम हिस्सा इस फसल से आता है। यह निष्कर्ष 262 किसानों, 45 एफपीओ और हल्दी की वैल्यू चेन से जुड़ी 69 कंपनियों के सर्वे के आधार पर निकाला गया है।
किसानों की हल्दी से होने वाली आमदनी इसलिए भी कम थी क्योंकि किसानों की निर्भरता धान, सोयाबीन, मक्का, गन्ना और कपास जैसी फसलों की खेती पर बनी रही। किसानों के मुताबिक पिछले तीन साल में हल्दी की खेती में कमी आई है।