टायरों की बढ़ती कीमत से परेशान ट्रक मालिकों ने टायरों की ढुलाई का बहिष्कार करने का फैसला किया है। ऑल इंडिया मोटर कांग्रेस के मुताबिक 25 अगस्त से कोई भी ट्रक टायर कंपनियों के माल की ढुलाई नहीं करेगा।
उनका कहना है कि टायर बनाने वाली प्रमुख कंपनियां गोलबंद हो टायरों की कीमत में लगातार बढ़ोतरी कर रही हैं। जबकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में टायर के दाम भारतीय बाजार के मुकाबले काफी कम है। बीते छह महीनों के दौरान टायरों की कीमत में प्रति जोड़ी 3000-5000 रुपये की बढ़ोतरी हुई है। मोटर कांग्रेस टायर कंपनियों की लामबंदी को तोड़ने के लिए चीन से टायर मंगाने की सोच रही हैं।
ऑल इंडिया मोटर कांग्रेस के पदाधिकारियों के मुताबिक साल भर पहले टायर की कीमत मात्र 17-18 हजार रुपये प्रति जोड़ी थी जो बढ़कर 27-28 हजार रुपये प्रति जोड़ी के स्तर पर आ गयी है। वही चीन से आयातित टायरों की कीमत मात्र 22-23 हजार रुपये प्रति जोड़ी है। मोटर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ओपी अग्रवाल कहते हैं, ‘चीन से आने वाले टायर 5000 रुपये प्रति जोड़ी सस्ते है।
अब हम उसे ही मंगाने की सोच रहे हैं। ताकि लागत भी कम हो जाए और इन कंपनियों की मनमानी भी नहीं चले।’ 60-70 हजार किलोमीटर का सफर तय करने के बाद ट्रक के टायर को बदलने की नौबत आ जाती है। अगर ट्रक अधिक माल ढो रहा हो तो और पहले टायर बदलने पड़ते हैं। मोटर कांग्रेस के अध्यक्ष एचएस लोहारा कहते हैं, ‘इस सिलसिले में मोटर कांग्रेस के नुमाइंदे चीन भी गए थे।
जहां उन्होंने पाया कि भारत के कई नामी टायर कंपनियों के टायर बन रहे हैं। ये टायर भारत आने पर तमाम टैक्स चुकाने के बाद भी यहां के टायरों के मुकाबले प्रति जोड़ी 3000 रुपये सस्ते हैं।’ ट्रकों के जरिए भारत में सालाना 2.2 करोड़ टायरों की खपत है। जबकि छोटे मालवाहक वाहनों में 1.5 करोड़ टायरों की खपत होती है। अग्रवाल कहते हैं, ‘3.7 करोड़ टायर की खपत कम नहीं होती है।
अगर हम सब भारत में बेचने वाली टायर कंपनियों का बहिष्कार कर दे तो उनका बाजार ढह जाएगा। मैं खुद चीन गया था और पाया कि वहां के गुंजम वाहवी और शंघाई जैसे शहरों में भारत की नामी कंपनियों के टायर बनाए जा रहे हैं।’ उन्होंने बताया कि चीन में बस को 1 लाख 10 हजार किलोमीटर का सफर तय करने के बाद टायरों को बदलने की जरूरत होती है तो ट्रक को 60-70 हजार किलोमीटर चलने के बाद।
ऐसे में भारत के ट्रक वालों को चीनी टायर के इस्तेमाल में फायदा ही फायदा है। मोटर कांग्रेस की बैठक में इस बात पर भी विचार किया गया कि अगर कोई कंपनी मामूली मुनाफे पर चीनी टायर की आपूर्ति करने को तैयार हो जाए तो देश के 4.5 लाख से अधिक ट्रकों में चीनी टायर ही नजर आएंगे।