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देश की सबसे बड़ी शुगर रिफाइन और एथनॉल बनाने वाली कंपनी श्री रेणुका शुगर्स के कार्यकारी निदेशक एवं उप मुख्य कार्यकारी अधिकारी और केबीके इंजीनियरिंग के प्रबंध निदेशक विजेंद्र सिंह देश में चीनी उत्पादन कम होने की आशंका तो जता रहे हैं लेकिन घरेलू बाजार में कीमतों में बहुत ज्यादा बदलाव से इंकार कर रहे हैं। हालांकि देश में चीनी उत्पादन कम होने के अनुमान के साथ कीमतों में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। इस बात को देखते हुए सरकार ने निर्यात प्रतिबंध की समय सीमा बढ़ा दी है।
महाराष्ट्र और कर्नाटक में एक नवंबर से गन्ना पेराई सीजन शुरू हो रहा है तो उत्तर प्रदेश में भी गन्ना पेराई जल्द ही शुरू हो जाएगी। विजेंद्र सिंह का कहना है कि इस साल के मॉनसून के दौरान अनियमित वर्षा के कारण गन्ना उत्पादन में 20 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान है। अगस्त सूखा रहा और फिर अक्टूबर सूखा रहा। इससे महाराष्ट्र और कर्नाटक में गन्ना उत्पादन काफी प्रभावित हुआ है। हालांकि उत्तर प्रदेश असमान्य वर्षा से काफी हद तक अप्रभावित है।
उत्तर प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र मिलकर भारत के गन्ना उत्पादन में 80 प्रतिशत का योगदान करते हैं । सिंह ने कंपनी के अनुकूली उपायों का जिक्र करते हुए कहा कि हम अपने किसानों को कम पानी के उपयोग के साथ गन्ने की खेती करने के बारे में शिक्षित करने का प्रयास करते हैं।
देश के सबसे प्रमुख गन्ना उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश में एंट्री के बारे में सिंह कहते हैं कि श्री रेणुका शुगर्स ने 235.5 करोड़ रुपये में अनामिका शुगर मिल्स में 100 फीसदी हिस्सेदारी हासिल करने के लिए 26 सितंबर 2023 को शेयर खरीद समझौता किया। इसका उद्देश्य देश के सबसे बड़े चीनी उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश में उपस्थिति को मजबूत करना है और उत्तर पूर्वी भारत की जरूरत को पूरा करना है। इस संयंत्र का विस्तार और आधुनिकीकरण किया जाएगा।
सिंह कहते हैं कि इसके साथ ही गन्ना उत्पादक तीनों बड़े राज्य महाराष्ट्र, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश में कंपनी की अपनी उत्पादन इकाई हो गई। इन्हीं तीनों राज्यों में कंपनी का फोकस रहेगा, कंपनी जल्द ही उत्तर प्रदेश में एक और बड़ा सौदा कर सकती है। क्योंकि यहां कच्चा माल और लेबर भी आसानी से मिल जाएंगे।
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चीनी क्षेत्र अब हरित ऊर्जा क्षेत्र में बदल गया है जहां एथनॉल प्रमुख भूमिका निभा रहा है। सिंह का कहना है कि एथनॉल एक हरित ईंधन है और इससे जुड़े कम कार्बन फुटप्रिंट और स्थिरता कारक को देखते हुए निवेशकों और अन्य हितधारकों द्वारा चीनी उद्योग को फिर से रेटिंग दी जा रही है। भारतीय चीनी उद्योग को अब हरित ईंधन के स्रोत के रूप में देखा जा रहा है जो इसकी संभावनाओं को उज्जवल कर सकता है ।
देश में चीनी उत्पादन कम होने का अनुमान और एथनॉल का उत्पादन बढ़ने की वजह चीनी महंगी हो रही है के सवाल पर सिंह कहना है कि देश में चीनी की कमी नहीं है, वैश्विक स्तर पर चीनी की कीमतें बहुत ज्यादा है जबकि भारत में दो-तीन रुपये प्रति किलोग्राम कीमतें बढ़ी है।
दूसरे कमोडिटी को देखते हुए कहा जा सकता है कि चीनी महंगी नहीं हुई है। देश के चीनी उत्पादन का एक हिस्सा पेट्रोल के साथ मिश्रित करने के लिए एथनॉल बनाने में खर्च किया जाता है। जो मिलों, किसानों, पर्यावरण और देश के हित में है। श्री रेणुका शुगर्स ने हाल ही में अपनी एथनॉल क्षमता 720 केएलपीडी से बढ़ाकर 1,250 किलो-लीटर प्रति दिन कर दी है, जिससे यह भारत में एथनॉल के सबसे बड़े
उत्पादकों में से एक बन गया है।
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सरकार ने चीनी निर्यात पर प्रतिबंध जारी रखने का आदेश दिया है। इस पर सिंह कहते हैं कि यह तर्कसंगत है। यदि आपके पास देश में किसी वस्तु की कमी है, तो देश को प्राथमिकता मिलती है, और हमारे उपभोक्ता को प्राथमिकता मिलती है। निर्यात सरकार द्वारा नियंत्रित किया जाता है और कोटा द्वारा तय किया जाता है। सिंह के मुताबिक घरेलू बाजार में चीनी की कोई कमी नहीं होगी और उपभोक्ताओं को उच्च कीमतों का सामना नहीं करना पड़ेगा।
पिछले तीन वर्षों में कंपनी के सकल ऋण के दोगुना होने के बारे में बोलते हुए, सिंह ने कहा कि ईबीआईटीडीए ने बहुत मजबूत वृद्धि देखी है और सालाना आधार पर 45 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। कर्ज कम करना एक सतत प्रक्रिया है और हम समय आने पर उचित कार्रवाई करना जारी रखेंगे। लंबे समय के बाद चीनी उद्योग एक स्थिर व्यवसाय बन गया है।