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अगले माह चीनी के निर्यात पर फैसला

चीनी उद्योग चीनी का एमएसपी मौजूदा 22 रुपये प्रति किलोग्राम से बढ़ाकर कम से कम 41 रुपये प्रति किलोग्राम करने की मांग कर रहा है।

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संजीब मुखर्जी   
Last Updated- December 19, 2025 | 9:55 AM IST

केंद्रीय खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने बताया कि केंद्र सरकार चीनी उद्योग की चिंताओं को दूर करने के लिए अगले महीने कुछ फैसले करेगी। दरअसल, मांग से अधिक उत्पादन होने के कारण गन्ने का बकाया बढ़ने लगा है। यह फैसला चीनी का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बढ़ाने की लंबे समय से लंबित मांग से भी जुड़ा हो सकता है।

चीनी उद्योग चीनी का एमएसपी मौजूदा 22 रुपये प्रति किलोग्राम से बढ़ाकर कम से कम 41 रुपये प्रति किलोग्राम करने की मांग कर रहा है। इस क्रम में उद्योग गन्ने से एथनॉल बनाने के मौजूदा 28 प्रतिशत को बढ़ाकर आदर्श रूप से 50 प्रतिशत करने और चीनी का निर्यात मौजूदा 15 लाख टन से बढ़ाने की मांग भी कर रहा है। चीनी सत्र अक्टूबर से सितंबर तक होता है।

चोपड़ा ने इंडियन शुगर ऐंड बॉयो-एनर्जी मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (इस्मा) की वार्षिक आम बैठक के मौके पर संवाददाताओं से कहा, ‘देखिए, अभी गन्ना बकाया ज्यादा बड़ा नहीं है। हमें बताया गया है कि अगले महीने तक बकाया बढ़ना शुरू हो जाएगा। फिर खपत से अधिक चीनी का उत्पादन (2025-26 सत्र में) किसानों को नुकसान पहुंचाना शुरू कर देगा। यह हम नहीं चाहते हैं। इसलिए अधिशेष को कम करने के लिए हम जो कुछ भी कर सकते हैं, वह करेंगे।’

चोपड़ा ने कहा कि वर्तमान में उठाए गए कदमों के साथ इस्मा ने अनुमान लगाया है कि 2025-26 सत्र के अंत तक चीनी का समापन स्टॉक लगभग 60 लाख टन होगा और सरकार इसे कम करने के लिए हर संभव प्रयास करेगी ताकि किसानों को बढ़ते बकाए के कारण नुकसान न हो।

उधर इस्मा के निवर्तमान अध्यक्ष गौतम गोयल ने कहा कि उनके प्रारंभिक अनुमानों के अनुसार 30 नवंबर तक महाराष्ट्र में गन्ना बकाया पहले ही लगभग 2,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है जबकि उत्तर प्रदेश के आंकड़े अभी भी प्रतीक्षित हैं। दरअसल, मॉनसून की अवधि बढ़ने के कारण उत्तर प्रदेश में पेराई देर से शुरू हुई। देश के कुल चीनी उत्पादन में उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र की हिस्सेदारी 80 प्रतिशत से अधिक है।

First Published : December 19, 2025 | 9:42 AM IST