गेहूं सहित रबी की अन्य फसलों सरसों और चने की बोआई तेज रही है। शुरुआती आंकड़ों के मुताबिक कीमत तेज रहने और अनुकूल मौसम के कारण बोआई को लेकर उत्साह है।
केंद्रीय कृषि मंत्रालय के ताजा शुरुआती आंकड़ों के मुताबिक 27 अक्टूबर तक 3.8 लाख हेक्टेयर रकबे में गेहूं की बोआई हो चुकी है। यह पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 80 प्रतिशत ज्यादा है।
रकबे में ज्यादातर बढ़ोतरी मध्य प्रदेश में हुई है, जहां इस साल चुनाव होने हैं। मध्य प्रदेश में सामान्यतया प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों की तुलना में पहले बोआई होती है।
खुदरा बाजार में गेहूं की अच्छी कीमत और एमएसपी में तेज बढ़ोतरी प्रमुख वजहों में से है, जिसके कारण किसानों ने गेहूं की बोआई का फैसला किया है। अगर रबी की फसल में गेहूं, सरसों और चने की फसल अच्छी रहती है तो इससे खाद्य महंगाई दर घट सकती है, जो 2024 के आम चुनाव को देखते हुए केंद्र सरकार के लिए बहुत अहम है।
आंकड़ों से पता चलता है कि अन्य फसलों में दलहन की बोआई का रकबा 27 अक्टूबर तक 16.7 लाख हेक्टेयर रहा है, जो पिछले साल की समान अवधि की तुलना में करीब 11.33 प्रतिशत ज्यादा है। रबी सीजन की प्रमुख दलहन फसल चना है। तिलहन की बोआई 27 अक्टूबर तक करीब 28.4 लाख हेक्टेयर में हुई है, जो पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 15.45 प्रतिशत ज्यादा है।
सरकार ने बढ़ाई खुले बाजार में गेहूं की बिक्री
उधर केंद्र सरकार ने आज खुले बाजार में बिक्री की योजना के तहत 1 नवंबर से गेहूं की बिक्री की मात्रा बढ़ाकर 200 टन कर दी है। गेहूं और आटे की कीमत में आगे और स्थिरता लाने की कवायद के तहत यह फैसला किया गया है।
घरेलू बाजार में गेहूं की आपूर्ति बढ़ाने के लिए आटा मिलें और छोटे व्यापारियों जैसे थोक खरीदार ई-नीलामी में 200 टन के लिए बोली लगा सकेंगे, जबकि फिलहाल खुले बाजार में बिक्री की योजना (ओएमएसएस) के तहत यह मात्रा 100 टन है। खाद्यान्न की खरीद और वितरण के लिए सरकार की नोडल एजेंसी भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ओएमएसएस के तहत अपने बफर स्टॉक से गेहूं बेच रहा है।
बयान में कहा गया है कि देश में प्रत्येक ई-नीलामी में पेश की जाने वाली कुल मात्रा भी 2 लाख टन से बढ़ाकर 3 लाख टन कर दी गई है।
बोली की मात्रा में वृद्धि का उद्देश्य खुले बाजार में गेहूं की उपलब्धता को बढ़ाना और गेहूं की कीमतों को स्थिर करना है। सरकारी उपक्रम एफसीआई इन वस्तुओं की खुदरा कीमतों को नियंत्रित करने के लिए साप्ताहिक ई-नीलामी के माध्यम से 28 जून से ओएमएसएस के तहत आटा मिलें और छोटे व्यापारियों जैसे थोक खरीदारों को केंद्रीय पूल से गेहूं और चावल बेच रहा है। 26 अक्टूबर को ई-नीलामी के 18वें दौर में 2,318 सफल बोलीदाताओं को लगभग 1.92 लाख टन गेहूं बेचा गया।अच्छे व औसत गुणवत्ता वाले गेहूं का भारित औसत मूल्य 2,251.57 रुपये प्रति क्विंटल है, जबकि आरक्षित मूल्य 2,150 रुपये प्रति क्विंटल है।
मंत्रालय ने कहा कि कारोबारियों को ओएमएसएस के तहत गेहूं की बिक्री के दायरे से बाहर रखा गया है, जिससे स्टॉक जमा करने से रोका जा सके। प्रसंस्करणकर्ताओं के फ्लोर मिलों पर नियमित जांच और निगरानी की जा रही है, जिन्होंने ओएमएसएस के तहत गेहूं खरीदा है। बयान के मुताबिक 16 अक्टूबर से अबतक 1,627 जांच की गई है।