प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
महाराष्ट्र में इस सीजन में पैदा हुए अनार का पहला कंटेनर समुद्र के रास्ते अमेरिका के लिए भेज दिया गया है। यह कंटेनर मुंबई के जेएनपीटी बंदरगाह से रवाना हुआ। विपणन एवं प्रोटोकॉल मंत्री जयकुमार रावल ने बताया कि यह कंटेनर नवी मुंबई के वाशी में स्थित कृषि विपणन बोर्ड की विकिरण (इरेडिएशन) सुविधा से भेजा गया है। उन्होंने कहा कि राज्य से फल निर्यात के लिहाज से यह एक बड़ी और अहम उपलब्धि है।
अमेरिका और भारत के बीच कृषि निर्यात को लेकर यह समझौता दोनों देशों की उच्च स्तरीय बातचीत के बाद हुआ है। ऐसे में अनार के पहले कंटेनर का अमेरिका रवाना होना भारत की विश्वसनीयता, गुणवत्ता और अंतरराष्ट्रीय मानकों का पालन करने की क्षमता का प्रतीक माना जा रहा है। मंत्री जयकुमार रावल ने कहा कि सरकार ऐसी विपणन व्यवस्था को मजबूत बनाने की कोशिश कर रही है, जो वैश्विक प्रतिस्पर्धा में टिक सके। इसका उद्देश्य यह है कि महाराष्ट्र में पैदा होने वाले फल, सब्जियां और अन्य कृषि उत्पादों को देश और विदेश के बाजारों में अच्छा और प्रतिस्पर्धी दाम मिल सके।
उन्होंने बताया कि राज्य सरकार, कृषि विपणन बोर्ड और केंद्र सरकार मिलकर यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रही हैं कि आम, अनार और अन्य फल-सब्जियां उगाने वाले किसानों की मेहनत को वैश्विक बाजार में सही कीमत मिल सके। जेएनपीटी बंदरगाह से अमेरिका के लिए इस सीजन का पहला अनार कंटेनर भेजा जाना राज्य की कृषि निर्यात क्षमता और किसानों की आय बढ़ाने की दिशा में एक बहुत ही महत्वपूर्ण कदम है। आने वाले दिनों में निर्यात सुविधा केंद्र से बड़ी मात्रा में अनार अमेरिका भेजा जाएगा। अगर अमेरिकी बाजार में भारतीय अनार की हिस्सेदारी बढ़ती है, तो राज्य के अनार किसानों की आय में 20 से 30 प्रतिशत तक बढ़ोतरी होने की संभावना है।
इसके लिए महाराष्ट्र राज्य कृषि विपणन बोर्ड, एपेडा, एनपीपीओ और निर्यातक तकनीकी और नीतिगत स्तर पर अमेरिकी अधिकारियों के साथ लगातार काम कर रहे हैं।
साल 2017-18 में कुछ तकनीकी कारणों से भारत से अमेरिका को अनार का निर्यात रुक गया था। इसके चलते करीब छह साल तक भारतीय अनार अमेरिकी बाजार में नहीं पहुंच पाए। निर्यात को दोबारा शुरू करने के लिए केंद्र सरकार की संस्था एपेडा और राष्ट्रीय पादप संरक्षण संगठन (एनपीपीओ) ने अमेरिकी कृषि विभाग (यूएसडीए) के साथ तकनीकी और प्रशासनिक स्तर पर लगातार बातचीत की। कृषि विपणन बोर्ड की विकिरण सुविधा में जरूरी परीक्षण कराए गए और उनकी रिपोर्ट प्रस्तुत की गई।
अनार को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार पैक-हाउस में छांटा गया और संसाधित किया गया। इसके बाद यूएसडीए और एनपीपीओ के अधिकारियों ने मौके पर निरीक्षण किया और फिर विकिरण प्रक्रिया पूरी की गई। इस खेप में कुल 4,800 बक्सों में 17,616 किलोग्राम यानी करीब 17.6 मीट्रिक टन अनार का निर्यात किया गया है।
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साल 2024 में अमेरिका ने अनार निर्यात के लिए कुछ वैज्ञानिक नियम लागू किए। इनमें माइट वॉश प्रोटोकॉल को अनिवार्य करना, सोडियम हाइपोक्लोराइड से कीटाणुशोधन और अनार की धुलाई व सुखाने की प्रक्रिया शामिल है। अनार को प्रमाणित चार किलो के बक्सों में पैक किया जाता है और एक अधिकृत विकिरण सुविधा में विकिरणित किया जाता है। ये सभी प्रक्रियाएं यूएसडीए और एनपीपीओ के अधिकारियों के मौके पर निरीक्षण और मंजूरी के बाद ही पूरी की गईं।
इस मौके पर यूएसडीए के इंस्पेक्टर रॉबर्टो रिवाज़, एनपीपीओ के डॉ. बी.एल. मीना, कृषि विपणन बोर्ड के विभागाध्यक्ष अनिमेष पाटिल, एपेडा के बामने और अन्य संबंधित अधिकारी व कर्मचारी मौजूद थे।
कृषि विपणन बोर्ड के कार्यकारी निदेशक संजय कदम ने बताया कि चालू वित्त वर्ष 2025-26 में अमेरिका को करीब 300 मीट्रिक टन अनार निर्यात करने की योजना है। अमेरिकी बाजार में अनार की मांग तेजी से बढ़ रही है। वहां अनार का बाजार इस समय करीब 1.2 से 1.5 अरब अमेरिकी डॉलर का माना जा रहा है।
उन्होंने बताया कि खासतौर पर भारतीय भगवा और सुपर भगवा किस्म के अनारों की वहां काफी मांग है। इसकी वजह उनका स्वाद, गहरा रंग और शर्करा-अम्ल का संतुलन है। भारतीय अनार, खासकर भगवा किस्म, अपने स्वाद, गहरे लाल रंग और उच्च पोषण मूल्य के लिए जाने जाते हैं। ये अनार एंटीऑक्सीडेंट और कई जरूरी पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं।