facebookmetapixel
भारत की ​शिकायत लेकर WTO पहुंचा चीन, IT सामानों पर टैरिफ और सोलर PLI स्कीम पर उठाए सवालटैक्सपेयर्स ध्यान दें! गलत रिफंड दावा करने वालों को CBDT ने भेजा नोटिस, 31 दिसंबर तक गलती सुधारने का मौकाचांदी के भाव नए ​​​शिखर पर, सोना ₹1.38 लाख के पारअमेरिका ने H-1B Visa सिस्टम में किया बड़ा बदलाव, हाई सैलरी वालों को मिलेगी तरजीहStock Market Update: निफ्टी-सेंसेक्स में मामूली तेजी; IT और FMCG में गिरावट, SMID शेयरों में उछाल₹50,000 से कम सैलरी वालों के लिए 50/30/20 मनी रूल, एक्सपर्ट ने समझाया आसान फॉर्मूलाStocks To Watch Today: Federal Bank, Rail Vikas Nigam से लेकर Belrise तक, 24 दिसंबर को इन कंपनियों के शेयरों में दिखेगी हलचलरुपये को सहारा देने के लिए रिजर्व बैंक सिस्टम में बढ़ाएगा तरलता, ₹3 लाख करोड़ डालने की तैयारीस्मार्टफोन को नए साल में चुनौतियों के सिग्नल, शिपमेंट और मांग घटने की आशंकासुधार, संकट और सौदे: 2025 में भारत की खट्टी-मीठी कारोबारी तस्वीर

तिलहन के उत्पादन पर पड़ सकता है असर

Last Updated- December 05, 2022 | 4:26 PM IST

अधिक मुनाफा कमाने के चक्कर में किसान दूसरी फसलों की ओर आकर्षित हो रहे हैं और तिलहन के उत्पादन पर कम ध्यान दे रहे हैं। इससे इसके उत्पादन पर असर पड़ रहा है। ऐसे में इस क्षेत्र से जुड़े उद्योग ऐसी योजना बना रहे हैं, जिससे कम क्षेत्र में ही अधिक से अधिक पैदावार प्राप्त किया जा सके। इसके लिए उत्तम किस्म के संकर बीजों का उपयोग करने की बात की जा रही है। अगर ऐसा हुआ, तो तिलहन के आयात पर भी निर्भरता घटेगी।
गौरतलब है कि इस बार रबी के मौसम में तिलहन के मुख्य उत्पादक राज्यों के किसान खाद्यान्नों की ओर आकर्षित हो रहे हैं। ऐसे में तिलहन के उपज क्षेत्र में 7.61 फीसदी की गिरावट आई है। सेंट्रल ऑर्गेनाइजेशन फॉर ऑयल इंडस्ट्री ऐंड ट्रेड (सीओओआईटी) के मुताबिक, 22 फरवरी को करीब 896 लाख हेक्टेयर जमीन पर तिलहन की फसल बोई गई, जबकि पिछले साल 997 लाख हेक्टेयर जमीन पर फसल बोई गई थी। रोपसीड, सरसों और अन्य महत्वपूर्ण तिलहनों को बोए जाने वाले क्षेत्र में 9.08 फीसदी की कमी आई है। सूर्यमुखी के उत्पादन पर भी असर पड़ने की संभावना है, क्योंकि इस बार इसके बोए जाने वाले क्षेत्र में भी तकरीबन 2.96 फीसदी की कमी दर्ज की गई है।
हालांकि मूंगफली के उपज क्षेत्र में 11.63 फीसदी की वृद्धि देखी गई है। साथ ही तिल के उपज क्षेत्र में आंशिक वृद्धि (0.896 फीसदी) हुई है। सीओओआईटी के अध्यक्ष  देवेश जैन ने जीएम सीड के उत्पादन को स्वीकृति देने की वकालत की है। उनके मुताबिक, भारत में 15 फीसदी की दर से तिलहन की मांग बढ़ रही है। देश में प्रति वर्ष करीब 11.5 मिलियन टन खाद्य तेलों की खपत होती है, जबकि उत्पादन 5.5 मिलियन टन ही है। ऐसे में काफी मात्रा में खाद्य तेलों का आयात करना पड़ता है। सीओओआईटी के मुताबिक, तिलहन मौसम में (नवंबर-अक्टूबर) इस बार तेल का उत्पादन 25.49 मिलियन टन रहने की उम्मीद है। इसी तरह खरीफ के मौसम में 16.89 मिलियन टन उत्पादन होने की उम्मीद है। 2007-08 में कुल नौ तिलहन फसलों से करीब 8.48 मिलियन टन तेल का उत्पादन हो सकता है, जोकि पिछले साल से 0.72 मिलियन टन ज्यादा होगा।
इसी बीच तेल की कीमतों में पिछले महीनों में काफी तेजी देखी गई। रिफाइंड सोयाबीन तेल की कीमत 572 रुपये (दस किलो) से बढक़र 720 रुपये (दस किलो) तक पहुंच गई। वहीं आरबीडी पाम ऑयल में भी 23 फीसदी का उछाल देखा गया और इसाकी कीमत 541 रुपये (दस किलो) से बढक़र 665 (दस किलो) तक पहुंच गई।

First Published - March 4, 2008 | 9:49 PM IST

संबंधित पोस्ट