भारत ने गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगा दिया है। सरकार ने कहा कि उसे खाने के सामानों की ऊंची कीमतों को देखते हुए ऐसा कदम उठाना पड़ा।
उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय की तरफ से गुरुवार को जारी रिलीज में कहा गया है कि भारतीय बाजार में गैर बासमती सफेद चावल की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने और घरेलू बाजार में कीमतों में वृद्धि को कम करने के लिए, भारत सरकार ने गैर-बासमती चावल की निर्यात नीति में बदलाव किया है।
सरकार ने कहा कि चावल की घरेलू कीमतें बढ़ती जा रही हैं। खुदरा कीमतों में एक साल में 11.5 प्रतिशत और पिछले महीने में 3 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
ऐसे में रॉयटर्स की रिपोर्ट के हवाले से तीन व्यापारियों ने कहा कि दुनिया के अब तक के सबसे बड़े सप्लायर भारत द्वारा मुख्य निर्यात के एक बड़े हिस्से पर पिछले दिन के प्रतिबंध से आई समस्या से निपटने के लिए एशियाई चावल व्यापार शुक्रवार को रोक दिया गया, जिससे आने वाले दिनों में कीमतों में काफी वृद्धि होने की उम्मीद है।
बता दें कि भारत विश्व का सबसे बड़ा चावल सप्लायर है और इसकी दुनियाभर में चावल निर्यात को लेकर 40 फीसदी हिस्सेदारी है यानी दुनिया का 40 फीसदी चावल केवल भारत से निर्यात किया जाता है।
निर्यात पर रोक से घटेगा भारत में दाम, मगर दुनियाभर में चावल होगा महंगा
मंत्रालय ने कहा कि देश से निर्यात होने वाले कुल चावल में गैर-बासमती सफेद चावल की हिस्सेदारी लगभग 25 फीसदी है। गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध से देश में उपभोक्ताओं के लिए कीमतें कम होंगी।
रॉयटर्स के हवाले से सिंगापुर की एक इंटरनैशनल ट्रेडिंग कंपनी के एक व्यापारी ने कहा, ‘निर्यात बाजार में चावल की कीमतें और बढ़ने वाली हैं। हमें प्रति मीट्रिक टन न्यूनतम 50 – 100 डॉलर तक कीमतों में इजाफा होने की उम्मीद है।’
व्यापारी ने कहा, ‘फिलहाल, हर कोई – विक्रेता और खरीदार – यह देखने का इंतजार कर रहे हैं कि बाजार कितना ऊपर जाता है।’
दो अन्य व्यापारियों, एक सिंगापुर में और दूसरा बैंकॉक में, ने कहा कि उन्हें कीमतों में इसी तरह की बढ़ोतरी की उम्मीद है। व्यापारियों ने अपनी पहचान बताने से इनकार कर दिया क्योंकि उन्हें मीडिया से बात करने की अनुमति नहीं थी।
सिंगापुर के दूसरे व्यापारी ने कहा, ‘हमने आज किए गए किसी भी व्यापार के बारे में नहीं सुना है, लेकिन खरीदारों को चावल के खरीदारी के लिए अधिक कीमत चुकानी होगी क्योंकि भारत के फैसले ने बाजार से बड़ी मात्रा में चावल की सप्लाई कम कर दी है।’
16 महीने की रिकॉर्ड कीमत पर चावल
इस सप्ताह दुनियाभर में गेहूं की कीमतों में 10 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई, जो 16 महीने से अधिक समय में उनकी सबसे बड़ी साप्ताहिक बढ़त है। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि यूक्रेनी बंदरगाहों पर रूसी हमलों ने दुनियाभर में अनाज की सप्लाई को लेकर चिंता बढ़ा दी है।
3 अरब से ज्यादा लोगों के लिए मुख्य भोजन
चावल 3 अरब से अधिक लोगों के लिए मुख्य भोजन है, और लगभग 90 प्रतिशत फसल एशिया में पैदा होती है। लेकिन अल नीनो की आशंका के कारण सप्लाई में कमी आ सकती है।
दुनिया के दूसरे सबसे बड़े निर्यातक थाईलैंड में, सप्लायर्स नई डील पर साइन करने से पहले कीमतों का पता लगाने का इंतजार कर रहे थे।
Thai Rice Exporters Association के मानद अध्यक्ष चुकियाट ओफास्वोंगसे ने रॉयटर्स को बताया, ‘निर्यातक चावल को बेचना नहीं चाहेंगे क्योंकि उन्हें पता नहीं होगा कि क्या कीमतें बोली जाएं।’ फन्होंने कहा कि कुछ व्यापारियों को उम्मीद है कि कीमतें 700-800 डॉलर प्रति (मीट्रिक) टन तक जा सकती हैं। भारत के प्रतिबंध की उम्मीदों से टॉप निर्यातक देशों में चावल की कीमतें बढ़ रही हैं।
भारत की गुरुवार देर रात की घोषणा से पहले, वियतनाम का 5 प्रतिशत टूटा हुआ चावल 515-525 डॉलर प्रति मीट्रिक टन पर ऑफर किया गया था, जो 2011 के बाद से सबसे अधिक है।
भारत की 5 प्रतिशत टूटी हुई चावल की किस्म इस सप्ताह 421-428 डॉलर प्रति मीट्रिक टन पर पहुंच गई जो पांच साल का रिकॉर्ड स्तर है। थाईलैंड की 5 प्रतिशत टूटी हुई चावल की कीमतें बढ़कर 545 डॉलर प्रति मीट्रिक टन हो गईं, जो फरवरी 2021 के बाद से सबसे अधिक है।