facebookmetapixel
सरकारी सहयोग मिले, तो एरिक्सन भारत में ज्यादा निवेश को तैयार : एंड्रेस विसेंटबाजार गिरे या बढ़े – कैसे SIP देती है आपको फायदा, समझें रुपी-कॉस्ट एवरेजिंग का गणितजुलाई की छंटनी के बाद टीसीएस के कर्मचारियों की संख्या 6 लाख से कम हुईEditorial: ‘इंडिया मोबाइल कांग्रेस’ में छाया स्वदेशी 4जी स्टैक, डिजिटल क्रांति बनी केंद्रबिंदुबैलेंस शीट से आगे: अब बैंकों के लिए ग्राहक सेवा बनी असली कसौटीपूंजीगत व्यय में इजाफे की असल तस्वीर, आंकड़ों की पड़ताल से सामने आई नई हकीकतकफ सिरप: लापरवाही की जानलेवा खुराक का क्या है सच?माइक्रोसॉफ्ट ने भारत में पहली बार बदला संचालन और अनुपालन का ढांचादेशभर में कफ सिरप कंपनियों का ऑडिट शुरू, बच्चों की मौत के बाद CDSCO ने सभी राज्यों से सूची मांगीLG Electronics India IPO: निवेशकों ने जमकर लुटाया प्यार, मिली 4.4 लाख करोड़ रुपये की बोलियां

चीनी की मिठास बटुए पर डालेगी असर खास

Last Updated- December 08, 2022 | 11:06 AM IST

साल 2009 में चीनी की कीमत उपभोक्ता की जेब पर भारी पड़ने वाली है। ये कीमत हर हाल में साल 2008 के मुकाबले ज्यादा रहने की संभावना है।


भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में चीनी की खपत के मुकाबले चीनी के उत्पादन में कमी होने वाली है। चीनी के घरेलू उत्पादन में 25 फीसदी की कमी आने का अनुमान है तो विश्व स्तर पर चीनी के उत्पादन में 4 फीसदी से अधिक की गिरावट हो सकती है।

भारत में पिछले दो सालों से चीनी के उत्पादन में लगातार गिरावट हो रही है। वर्ष 2006-07 के दौरान चीनी का घरेलू उत्पादन 283.28 लाख टन था, जो वर्ष 07-08 में घटकर 263 लाख टन रह गया। वर्ष 2008-09 के लिए गन्ने के उत्पादन में लगभग 30 फीसदी की गिरावट के कारण मात्र 200 लाख टन चीनी के उत्पादन का अनुमान लगाया गया है।

दूसरी तरफ चार सालों के दौरान पहली बार विश्व स्तर पर चीनी के उत्पादन में गिरावट की प्रबल संभावना है। इस साल विश्व स्तर पर करीब 161.64 मिलियन टन  चीनी के उत्पादन का अनुमान है जबकि पिछले साल यह उत्पादन 169.02 मिलियन टन था। भारत में 200 लाख टन का उत्पादन होने का अनुमान है जबकि घरेलू सालाना खपत 235 लाख टन की है।

यानी कि देश में भी मांग व पूर्ति में 35 लाख टन का अंतर है। लेकिन सरकारी स्टॉक में 80 लाख टन चीनी होने के कारण स्थिति कुछ नियंत्रण में रह सकती है।

20-25 लाख टन चीनी नमी के कारण इस्तेमाल लायक नहीं होने के कारण वर्ष 2009 के जुलाई-अगस्त के दौरान घरेलू बाजार में चीनी की आपूर्ति बाधित हो सकती है।

लिहाजा कीमत में बढ़ोतरी लाजिमी है। कीमत में कितनी बढ़ोतरी होगी, यह बहुत हद तक सरकार के प्रयासों पर निर्भर करेगा। हालांकि चीनी मिल एसोसिएशन सरकार पर लगातार चीनी से अपना नियंत्रण वापस लेने के लिए दबाव बना रही हैं। अगर मिल मालिक अपनी कोशिश में कामयाब होते हैं तो निश्चित रूप से चीनी की कीमत में अच्छी-खासी बढ़ोतरी होगी।

हालांकि सरकार नियंत्रण नहीं भी हटाती है तो भी चीनी की कीमत खुदरा बाजार में आगामी अप्रैल तक 25-26 रुपये प्रति किलोग्राम के स्तर को छू लेगी। वर्ष 2008 के दौरान जुलाई से चीनी की कीमत में लगातार बढ़ोतरी दर्ज की गई है। 

जुलाई में सरकार की तरफ से 14 लाख टन चीनी का जारी अनुमानित था, लेकिन सरकार ने मात्र 9 लाख टन चीनी जारी करने की अनुमति दी।

लिहाजा इस माह में सबसे अधिक 4 रुपये प्रति किलोग्राम तक चीनी की कीमत में बढ़ोतरी दर्ज की गई। हालांकि सितंबर माह में कोटे से अधिक चीनी जारी करने के कारण चीनी में गिरावट भी आई।

First Published - December 25, 2008 | 10:53 PM IST

संबंधित पोस्ट