रूस-यूक्रेन संकट के बीच मध्य प्रदेश में ‘‘ड्यूरम’’ गेहूं का रकबा मौजूदा रबी सत्र (Rabi Season) के दौरान बढ़कर करीब 13 लाख हेक्टेयर पर पहुंचने का अनुमान है। भारतीय कृषि अनुसंधान केंद्र (आईएआरआई) के इंदौर स्थित क्षेत्रीय केंद्र के एक शीर्ष अधिकारी ने यह जानकारी दी।
कारोबार के जानकारों के मुताबिक, सूजी, दलिया, सेमोलिना और पास्ता तैयार करने के लिए आदर्श माने जाने वाले ‘‘ड्यूरम’’ गेहूं की इन दिनों अंतरराष्ट्रीय बाजार में बड़ी मांग है।
आईएआरआई के इंदौर स्थित क्षेत्रीय केंद्र के प्रमुख डॉ. के सी शर्मा ने ‘‘पीटीआई-भाषा’’ को बताया,‘‘हमारा अनुमान है कि मौजूदा रबी सत्र के दौरान मध्य प्रदेश में 13 लाख हेक्टेयर में ड्यूरम गेहूं बोया गया, जबकि पिछले रबी सत्र में सूबे में इस गेहूं प्रजाति का रकबा 12 लाख हेक्टेयर के आसपास था।’’
शर्मा ने बताया कि बेहतर उत्पादकता और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में बढ़ती मांग के चलते मध्य प्रदेश के किसान इन दिनों ड्यूरम गेहूं की बुवाई को खास तरजीह दे रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘मध्य प्रदेश के पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश में भी इस गेहूं को लेकर सरकारी एजेंसियों और किसानों का रुझान बढ़ा है।’’
शर्मा ने बताया कि ड्यूरम गेहूं को आम बोलचाल में ‘‘मालवी’’ या ‘‘कठिया’’ गेहूं कहा जाता है और वर्ष 1951 में स्थापित उनका केंद्र अबतक इस गेहूं प्रजाति की करीब 20 प्रजातियां विकसित कर चुका है।
उन्होंने बताया कि ड्यूरम गेहूं के दाने सामान्य गेहूं से कड़े होते हैं और इसमें आयरन और जिंक जैसे पोषक तत्व प्राकृतिक रूप से समाए होते हैं।
गौरतलब है कि रूस और यूक्रेन की गिनती गेहूं के प्रमुख वैश्विक आपूर्तिकर्ताओं में होती है, लेकिन दोनों देशों के बीच लम्बे खिंच गए युद्ध के चलते इस खाद्यान्न की वैश्विक आपूर्ति बाधित हो रही है जिससे आयातक भारत की ओर देख रहे हैं।
हालांकि, भारत ने मई, 2022 में गर्मी और लू की वजह से गेहूं उत्पादन प्रभावित होने की चिंताओं के बीच अपने प्रमुख खाद्यान्न की कीमतों में आई भारी तेजी पर अंकुश लगाने के मकसद से गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था।
विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) के महानिदेशक संतोष कुमार सारंगी ने जनवरी में कहा था कि गेहूं निर्यात से प्रतिबंध हटाने की मांग पर सरकार मार्च-अप्रैल के आसपास फसल कटाई के वक्त उचित फैसला करेगी।