देश के कपड़ा और परिधान निर्यात में अप्रैल और मई 2020 की अवधि के दौरान 73 प्रतिशत तक की आश्चर्यजनक गिरावट आई है। कॉरोनावायरस (कोविड-19) का प्रसार रोकने के लिए राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के बाद कारखानों के बंद होने और माल की खेप भेजने में दिक्कत तथा आयात करने वाले देशों में भी इसी तरह का लॉकडाउन होने के कारण ऐसा हुआ है।
केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा एकत्रित आंकड़े बताते हैं कि अप्रैल -मई 2020 के दौरान भारत का कुल कपड़ा और परिधान निर्यात मात्र 1.63 अरब डॉलर रहा, जबकि पिछले साल इसी अवधि के दौरान यह 6.07 अरब डॉलर था। जहां एक ओर चालू वित्त वर्ष के पहले दो महीने में कपड़ा निर्यात 68 प्रतिशत तक घटकर 99.1 करोड़ डॉलर रह गया, वहीं दूसरी ओर परिधान निर्यात 78 प्रतिशत तक लुढ़ककर 64.3 करोड़ डॉलर रह गया, जबकि पिछले साल समान अवधि में यह क्रमश: 312.8 करोड़ डॉलर और 293.8 करोड़ डॉलर के स्तर पर था।
देश के कपड़ा और परिधान निर्यात में भारी गिरावट ने कपास किसान, जिनर, कताई मिलों और कपड़ा विनिर्माताओं के साथ-साथ कपड़ा और परिधान की संपूर्ण मूल्य शृंखला को प्रभावित किया है। मांग की कमी और विनिर्माण की स्थिरलागत अधिक होने के कारण इनमें से कई ने अपूरणीय क्षति उठाई है। इनमें से कई मिलें अपना वजूद कायम नहीं रख पाएंगी।
सूती कपड़ा निर्यात संवद्र्धन परिषद (टेक्सप्रोसिल) के कार्यकारी निदेशक एस राजगोपाल ने कहा कि 25 मार्च से शुरू होने वाले 70 दिनों के देशव्यापी लॉकडाउन ने सभी विनिर्माण इकाइयों को ठप कर दिया। परिवहन, खेप और कार्गो को मंजूरी देने वाली गतिविधियां भी लॉकडाउन अवधि के दौरान बंद हो गईं जिसके परिणामस्वरूप विदेशी ऑर्डर रद्द हो गए। इसलिए भारत के कपड़ा और परिधान निर्यात पर गंभीर असर पड़ा है।
देश के सूती कपड़ा और परिधान निर्यात में अप्रैल 2019 और फरवरी 2020 की अवधि के दौरान 16.5 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई और यह 9.42 अरब डॉलर रहा, जबकि पिछले साल की समान अवधि में यह 11.26 अरब डॉलर था। टेक्सप्रोसिल के चेयरमैन केवी श्रीनिवासन ने कहा कि सूती कपड़ा निर्यात में गिरावट भारतीय कपड़ा विनिर्माताओं के लिए गंभीर चिंता का विषय है। निर्यात में लगातार गिरावट ने भारत की कताई मिलों को काफी नुकसान पहुंचाया है। श्रीनिवासन ने कहा कि देश के कपड़ा और परिधान निर्यात को मार्च और मई 2020 के बीच कोविड-19 के प्रकोप की वजह से नुकसान हुआ है जिसके कारण चीन और विश्व के अन्य प्रमुख बाजारों को लॉकडाउन के लिए विवश होना पड़ा।
निर्यात के दो प्रमुख गंतव्यों- अमेरिका और यूरोपीय संघ के खरीदार ऑर्डर रद्द कर रहे हैं तथा इनमें से कई खरीदार भुगतान रोकने के लिए अपने अनुबंधों में फोर्स मेजर प्रावधानों की दुहाई दे रहे हैं। सूती धागे के खरीदार कपास कताई क्षेत्र की समस्याओं को शामिल करते हुए 15 से 20 प्रतिशत तक कीमत कटौती पर जोर दे रहे हैं।
सेंचुरी टेक्स्टाइल ऐंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड के अध्यक्ष आरके डालमिया ने कहा कि खुदरा बाजार खुले नहीं और कारखाने दो महीने से बंद पड़े रहे जिसके परिणामस्वरूप अप्रैल से जून तिमाही के दौरान कारोबार पूरी तरह से खत्म हो गया है। अब कारखानों में काम शुरू हो गया है, लेकिन उनकी परिचालन क्षमता बहुत कम बनी हुई है। ऐसे हालात के दौरान कारखाने पहले अपना स्टॉक खत्म करेंगे, पैसा जुटाने पर ध्यान केंद्रित करेंगे और फिर नई खरीद के लिए ऑर्डर देंगे। अनिश्चितता के बीच उपभोक्ता आवश्यक वस्तुओं के लिए पैसा बचाने की खातिर जरूरी खरीद पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं और अन्य चीजों को मुल्तवी कर रहे हैं। कारखानों को भी घरेलू और विदेशी बाजारों की मांग में मंदी के बीच श्रमिकों की कमी का सामना करना पड़ रहा है।