facebookmetapixel
सरकार का बड़ा प्लान! क्या मुंबई 2029 तक जाम और भीड़ से मुक्त हो पाएगीसस्ते स्टील पर बड़ा प्रहार! भारत ने वियतनाम पर 5 साल का अतिरिक्त टैक्स लगाया45% तक मिल सकता है रिटर्न! शानदार नतीजों के बाद Vodafone Idea, Bharti Airtel में तगड़ी तेजी का सिग्नलदिग्गज Defence Stock बन सकता है पोर्टफोलियो का स्टार, ब्रोकरेज का दावा- वैल्यूएशन तगड़ा; 35% रिटर्न का मौका2025 में 7% की रफ्तार से बढ़ेगी भारत की GDP, मूडीज ने जताया अनुमान35% गिर सकता है ये सरकारी Railway Stock! ब्रोकरेज का दावा, वैल्यूएशन है महंगाक्या सोने की बढ़ती कीमतें आने वाली महंगाई का संकेत दे रही हैं? एक्सपर्ट ने दिया बड़ा संकेतPhysicsWallah या Emmvee या Tenneco! किस IPO में पैसा लगाने रहेगा फायदेमंद, जान लेंPhysicsWallah IPO: सब्सक्राइब करने का आखिरी मौका, जानें GMP और ब्रोकरेज का नजरियाGold and Silver Price Today: सोना ₹1.26 लाख के पार, चांदी ₹1.64 लाख के करीब; दोनों मेटल में जोरदार तेजी

उत्तर प्रदेश में सिकुड़ रहा है गन्ना उत्पादन क्षेत्र

Last Updated- December 07, 2022 | 10:41 AM IST

उत्तर प्रदेश में गन्ने की फसल के कुल रकबे का आकलन करने के लिए करवाया गया प्राथमिक सर्वेक्षण अब लगभग संपन्न हो चुका है और सामने आए अनुमानों के अनुसार वर्ष 2008-09 की पेराई के सीजन में इसमें 25 प्रतिशत की कमी होने के आसार हैं।


वर्ष 2007-08 में उत्तर प्रदेश में रेकॉर्ड, 1,600 लाख टन से अधिक गन्ने का उत्पादन हुआ था और 25 लाख हेक्टेयर में गन्ने की खेती की गई थी। गन्ना विभाग के एक वरिष्ठ अधिकरी ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘अभी प्राथमिक आंकड़ों का मिलान किया जाना है और तब गन्ने की फसल के कुल रकबे का सही-सही पता चल पाएगा। यह प्रक्रिया 15 जुलाई तक पूरी हो जाएगी।

हालांकि , हमारा अनुमान है कि खेती के कुल क्षेत्र में 25 प्रतिशत की कमी आएगी।’ औद्योगिक सूत्रों ने बताया कि गन्ने की फसल के रकबे में कमी होन से उत्तर प्रदेश के चीनी उत्पादन में भी भारी कमी आ सकती है। गन्ने के भुगतान में विलंब और विवादों के बाद उत्तर प्रदेश के किसानों की दिलचस्पी गन्ने की खेती में कम हुई है। कई किसान गन्ने की जगह खाद्यान्न की खेती कर रहे हैं। खाद्यान्न के मूल्य ज्यादा लाभ देते हैं और किसान प्रति वर्ष 2-3 फसल उपजा कर शीघ्र ज्यादा कमाई करना चाहते हैं।

चीनी के उत्पादन में इस वर्ष कमी आई है और यह 73 लाख अन रहा है जबकि पिछले वर्ष यह 85 लाख टन था। वर्ष 2008-09 के पेराई के सीजन में गन्ने की फसल के रकबे में कमी आने से चीनी के उत्पादन में भी भारी कमी आएगी। फिलहाल, गन्ना विभाग पिछले साल की फसल के भुगतान से संबंधित विवादों को लेकर कुछ क्षेत्रों के किसानों का कोप झेल रहा है और इससे संबंधित कई मामले सर्वोच्च न्यायालय और इलाहाबाद उच्च न्यायालय में चल रहे हैं।

अतिरिक्त गन्ना आयुक्त एन पी सिंह ने कहा, ‘प्राथमिक सर्वेक्षण से सुरक्षित क्षेत्र की बातें हल नहीं होती। किसानों को पिछले रिजर्वेशन ऑर्डर से संबंधित मसलों पर अपना पक्ष रखने का अवसर दिया जाएगा।’ उत्तर प्रदेश के गन्ना आयुक्त के आदेश के अनुसार गन्ना उगाने वाले किसान अपने उत्पादों को उस चीनी फैक्ट्री को पहुंचाने के लिए बाध्य हैं जिनके साथ उनका समझौता है- इसे आम तौर पर रिजर्वेशन ऑर्डर के तौर पर जाना जाता है।

ऐसा अनुमान है कि उत्तर प्रदेश में गन्ना उपजाने वाले किसानों की संख्या 40 लाख है और चालू चीनी मिलों की जरुरत लगभग 800 लाख टन की है। जब तक प्रति हेक्टेयर उपज में बढ़ोतरी नहीं होती है तब तक राज्य के चीनी मिलों को चीनी के उत्पादन के लिए पर्याप्त गन्ने की आपूर्ति नहीं हो सकेगी। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश के चीनी मिलों को सामान्य किस्म के लिए 125 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से भुगतान करने का आदेश दिया था, जबकि अंतरिम आदेश 110 रुपये प्रति क्विंटल का था।

इलाहाबाद उच्च न्यायालय के इस आदेश के बाद चीनी मिलों की देनदारी बढ़कर 1,000 करोड़ रुपये हो गई है जिसमें निजी क्षेत्र की हिस्सेदारी 850 करोड़ रुपये की है। इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन के सचिव सी बी पटोदिया ने कहा कि भविष्य में क्या किया जाना है इसके संबंध में हम न्यायालय के आदेशों का अध्ययन और इस विषय पर बैठक करने के बाद निर्णय लेंगे।

उत्तर प्रदेश में कुल 132 चीनी मिल काम कर रहे हैं जिसमें से 17 स्टेट शुगर कॉर्पोरेशन के हैं तथा 22 और 93 क्रमश: कॉर्पोरेशन और निजी क्षेत्रों के हैं। सरकार कॉर्पोरेशन चीनी मिलों के निजीकरण के लिए दबाव बना रही है और इस संबेध में अभिरुचि पत्र भी आमंत्रित किया है। कॉर्पोरेशन के पास कुल 33 इकाईयां हैं जिनमें से 17 ने साल 2007-08 के पेराई सीजन में हिस्सा लिया था।

First Published - July 10, 2008 | 11:38 PM IST

संबंधित पोस्ट