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एथनॉल मामले में चीनी मिलों ने मांगी न्यायालय से मदद

एक डिस्टिलरी और एक सहकारी चीनी मिल ने केंद्र के 7 दिसंबर के आदेश पर रोक लगाने के लिए अदालतों में अपील की है।

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संजीब मुखर्जी   
Last Updated- January 10, 2024 | 8:30 AM IST

गन्ने के रस से एथनॉल बनाने पर 2023-24 चीनी सत्र में रोक लगाने के सरकार के आदेश के खिलाफ 2 चीनी फर्मों ने न्यायालय की शरण ली है। एक डिस्टिलरी और एक सहकारी चीनी मिल ने केंद्र के 7 दिसंबर के आदेश पर रोक लगाने के लिए अदालतों में अपील की है।

न्यायालय ने इन दो मिलों के लिए 7 दिसंबर के आदेश पर रोक लगा दी है, जिन्होंने याचिका दाखिल की थी। सूत्रों ने कहा कि सरकार ने भी कैविएट दाखिल करके कहा है कि इस मामले में उसकी बात भी सुनी जानी चाहिए। बहरहाल केंद्र की प्रतिक्रिया की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हो पाई है।

डिस्टिलरी ने कर्नाटक उच्च न्यायालय में दाखिल अपनी याचिका में कहा है कि वह गन्ने से सिर्फ एथनॉल का उत्पादन करती है, चीनी का उत्पादन नहीं करती है, ऐसे में एथनॉल के उत्पादन में गन्ने का इस्तेमाल न करने का आदेश उसके उद्योग की मौत पर हस्ताक्षर है।

वहीं बंबई उच्च न्यायालय की औरंगाबाद पीठ में दाखिल एक याचिका में एक सहकारी चीनी मिल ने 7 दिसंबर के आदेश को असंवैधानिक करार दिए जाने का अनुरोध किया है। साथ ही मिल ने नवंबर से शुरू 2023-24 आपूर्ति वर्ष में गन्ने के रस और बी-हैवी मोलैसिस से एथनॉल बनाने की अनुमति दिए जाने की मांग की थी।

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केंद्र के 7 दिसंबर के आदेश पर न्यायालय द्वारा रोक सिर्फ खास मिलों के लिए है। केंद्र सरकार ने 7 दिसंबर को जारी आदेश में चीनी मिलों को गन्ने के रस और शीरे से 2023-24 आपूर्ति वर्ष में एथनॉल का उत्पादन न करने को कहा था, जिससे पूरा क्षेत्र संकट में पड़ गया है।

2025 तक 20 प्रतिशत एथनॉल मिलाने का लक्ष्य हासिल करने के लिए 2023-24 आपूर्ति वर्ष में पेट्रोल में 15 प्रतिशत एथनॉल मिलाने की जरूरत होगी। लेकिन ज्यादातर विशेषज्ञों का कहना है कि अगर गन्ने के रस और शीरे से एथनॉल नहीं बनाया जाता है तो 2023-24 में 10 प्रतिशत भी एथनॉल नहीं मिलाया जा सकेगा, 15 प्रतिशत तो भूल ही जाएं। पिछले कुछ साल से गन्ने का रस एथनॉल का सबसे बड़ा स्रोत बनकर उभरा है।

बहरहाल चीनी कंपनियों के विरोध के बाद सरकार ने अपने आदेश में संशोधन करते हुए प्रतिबंध की शर्तों में कुछ ढील दी थी और 2023-24 आपूर्ति वर्ष में 17 लाख टन चीनी के इस्तेमाल की अनुमति दे दी, जबकि पहले 40 लाख टन चीनी के इस्तेमाल की योजना बनी थी। इससे करीब 1.62 से 1.72 अरब लीटर एथनॉल उत्पादन करने में मदद मिलेगी।

First Published : January 9, 2024 | 11:08 PM IST