एसऐंडपी ग्लोबल प्लैट्स ने 2021 में भारत के तेल उत्पादों के मांग के अनुमान में 9 प्रतिशत कटौती करके 4,00,000 बैरल प्रतिदिन कर दिया है, जबकि पिछले महीने प्रतिदिन 4,40,000 बैरल प्रति दिन मांग रहने का अनुमान लगाया था। हाल के बदलाव में एसऐंडपी ग्लोबल प्लैट्स ने कहा कि देश भर में कोविड-19 के मामलों में बढ़ोतरी को देखते हुए यह कटौती की गई है, क्योंकि इसकी वजह से लॉकडाउन लगा है और देश के प्रमुख आर्थिक केंद्रों में आवाजाही कम हुई है।
प्लैट्स एनालिटिक्स के नोट में एशिया प्रशांत के तेल बाजारों के सलाहकार लिम जित यांग ने कहा है, ‘कुछ प्रांतों और कुछ इलाकों में लॉकडाउन लगाया गया है। ऐसे में हमने हाल के अद्यतन में भारत की कुल तेल उत्पादों की मांग को समायोजित किया है और 2021 के लिए इसे घटाकर 4,00,000 बैरल प्रतिदिन कर दिया है, जो पिछले महीने 4,40,000 बैरल प्रतिदिन रखा गया था। बाद में कोई समायोजन कोविड-19 की भविष्य की स्थिति पर निर्भर होगा।’
कुछ राज्यों में लॉकडाउन चल रहा है, ऐसे में प्लैट्स का मानना है कि भारत में पेट्रोल की खपत में कम अवधि के हिसाब से गिरावट आने की संभावना है और यह अप्रैल में 7,00,000 बैरल प्रतिदिन के करीब रहेगा। प्लैट्स ने कहा, ‘मार्च की तुलना में यह 11 प्रतिशत कम है। जून से रिकवरी की संभावना है।’
अनुमान के मुताबिक भारत में तेल की कुल मांग 2020 में गिरकर 4,70,000 बैरल प्रति दिन रही, जब महामारी के पहले दौर में देश में तेल की खपत दो दशक के निचले स्तर पर पहुंच गई।
प्लैट्स ने कहा, ‘कोविड-19 के मामले रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंचने के बावजूद भारत के तेल शोधकों ने कच्चे तेल की मांग कम नहीं की है, लेकिन क्षेत्रीय स्तर पर लॉकडाउन बढऩे और इससे आवाजाही पर असर पडऩे, औद्योगिक गतिविधियों पर असर पडऩे से विश्लेषकों का कहना है कि इससे तेल की मांग कम होगी।’
बहरहाल रेलवे की ओर से उम्मीद की किरण है, जिसके माध्यम से देश में जरूरी सामान की आपूर्ति की जा रही है। क्रिसिल की रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड-19 की दूसरी लहर का औद्योगिक गतिविधियों पर असर कम है, जिसकी वजह से रेल नेटवर्क से वस्तुओं की आवाजाही हो रही है।
क्रिसिल रेटिंग्स में अर्थशास्त्री धर्मकीर्ति जोशी ने 26 अप्रैल के नोट में लिखा, ‘कोयला, लोहा और स्टील जैसे प्रमुख इनपुट की रेल से ढुलाई तुलनात्मक रूप से स्थिर बनी हुई है। अप्रैल की शुरुआत में इसमें थोड़ी गिरावट थी, लेकिन उसके बाद स्थिति थीक हो गई। इससे संकेत मिलता है कि कुल मिलाकर कोविड-19 की दूसरी लहर का आर्थिक गतिविधियों पर असर कम रहेगा।’