आने वाली रबी उपज में भारत का गेहूं उत्पादन रिकॉर्ड 10.924 करोड़ टन रहने का अनुमान है, जो पिछले साल से 1.27 प्रतिशत अधिक और जो पिछले पांच सालों के औसत उत्पादन 10.042 करोड़ टन के मुकाबले कहीं अधिक है। फसल वर्ष (जुलाई-जून) 2020-21 के खाद्यान्न उत्पादन के दूसरे अग्रिम अनुमान के आंकड़ों से यह जानकारी मिलती है।
इस बीच दूसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार चने का उत्पादन 1.162 करोड़ टन रहने की उम्मीद है, जो पिछले साल के 1.108 करोड़ की तुलना में अधिक है और पिछले पांच साल के औसत उत्पादन 97.7 लाख टन से बहुत अधिक है। आगामी सत्र के दौरान एक अन्य मुख्य रबी फसल सरसों का उत्पादन 1.043 करोड़ टन रहने का अनुमान है, जो पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 13 लाख टन अधिक है तथा पिछले पांच सालों के औसत उत्पादन के मुकाबले काफी ज्यादा है। खरीफ सीजन में अन्य फसलों के जोरदार उत्पादन के साथ-साथ रबी सत्र में गेहूं की बंपर फसल से वर्ष 2020-21 के सत्र में भारत का संपूर्ण खाद्यान्न उत्पादन रिकॉर्ड 30.334 करोड़ टन तक पहुंचाने की उम्मीद है, जो पिछले साल 29.75 करोड़ टन था। पिछले पांच सालों (फसल वर्ष 2015-16 से फसल वर्ष 2019-20 तक) का औसत खाद्यान्न उत्पादन 27.888 करोड़ टन था। अनुकूल मौसम के साथ-साथ अच्छे मॉनसून से प्रमुख फसलों के उत्पादन में इसे इजाफे को मदद मिलने की उम्मीद है।चने के मामले में सूत्रों ने कहा कि उद्योग को उम्मीद है कि जब तक केंद्र 15 लाख से 17 लाख टन से अधिक चना खरीद नहीं करता, तब तक दामों को एमएसपी का 5,100 रुपये प्रति क्विंटल का स्तर लांघने के लिए संघर्ष करना पड़ेगा। संपूर्ण फसल वर्ष 2020-21 के दौरान दलहन का कुल उत्पादन 2.442 करोड़ टन रहने की उम्मीद है।
अगर किसान पेशकश पर विचार करें तो सरकार बातचीत करेगी
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बुधवार को कहा कि अगर किसान कृषि कानूनों को डेढ़ साल तक स्थगित रखने और इस दौरान संयुक्त समिति के माध्यम से मतभेद सुलझाने की केंद्र की पेशकश पर विचार करने को तैयार हों, तो सरकार आंदोलनरत किसानों के साथ बातचीत को तैयार है।
सरकार और किसानों का प्रतिनिधित्व करने वाले संगठनों के बीच अभी तक 11 दौर की बातचीत हो चुकी है और अंतिम बातचीत 22 जनवरी को हुई थी। 26 जनवरी, गणतंत्र दिवस के दिन हुई हिंसा के बाद दोनों पक्षों में बातचीत बंद हो गई। किसान 3 कृषि कानूनों को वापस लेने और फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी की मांग को लेकर आंदोलनरत हैं।