अर्थव्यवस्था

GST दरें घटने पर हर महीने कीमतों की रिपोर्ट लेगी सरकार, पता चलेगा कि ग्राहकों तक लाभ पहुंचा या नहीं

यह कवायद 6 महीने तक के लिए जारी रहेगी, जिससे यह जाना जा सके कि कम हुई जीएसटी दरों का लाभ ग्राहकों तक पहुंच रहा है या नहीं

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मोनिका यादव   
Last Updated- September 12, 2025 | 11:08 PM IST

केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने 9 सितंबर को जारी एक सर्कुलर में अपने क्षेत्रीय कार्यालयों से कहा कि वे 22 सितंबर से वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की नई दरें लागू होने के बाद मक्खन, पनीर, शैंपू, टूथपेस्ट, बिस्कुट, चॉकलेट, सीमेंट और दवाओं जैसी रोजमर्रा की वस्तुओं की कीमतों में होने वाले बदलावों पर नजर रखें और मासिक रिपोर्ट प्रस्तुत करें।  

बिज़नेस स्टैंडर्ड ने उस सर्कुलर को देखा है। इसमें सीबीआईसी ने प्रधान मुख्य आयुक्तों को निर्देश दिया है कि वे व्यापार संघों और क्षेत्रीय इकाइयों से वस्तुवार कीमत के आंकड़े एकत्र करें, जिसमें नई दरें लागू होने के पहले और बाद के दाम शामिल हों। यह कवायद 6 महीने तक के लिए जारी रहेगी, जिससे यह जाना जा सके कि कम हुई जीएसटी दरों का लाभ ग्राहकों तक पहुंच रहा है या नहीं।

इस सिलसिले में पहली रिपोर्ट 30 सितंबर तक भेजनी होगी। उसके बाद हर महीने की 20 तारीख को मार्च 2026 तक दरों की रिपोर्ट भेजनी होगी। जिन सूचीबद्ध 54 वस्तुओं की दरों की अद्यतन जानकारी देनी है,  उनमें मक्खन, चीज और घी जैसे डेरी उत्पाद, बिस्कुट, चॉकलेट और आइसक्रीम जैसे पैकेज्ड फूड शामिल हैं। इन वस्तुओं में साबुन, शैंपू और टूथपेस्ट जैसे प्रसाधनों के साथ-साथ सीमेंट, दवाइयां, साइकिल, खिलौने जैसी महंगी वस्तुएं और टेलीविजन तथा एयर कंडीशनर जैसी टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुएं भी शामिल हैं। नाम सार्वजनिक न किए जाने को इच्छुक एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि केंद्र का ध्यान रोजमर्रा के इस्तेमाल वाले सामान पर है और फील्ड में काम करने वाली यूनिट व्यापार संगठनों के साथ मिलकर काम करेगी, जिससे कि इसका लाभ ग्राहकों तक पहुंचाया जा सके।  उन्होंने कहा कि वे स्वतंत्र रूप से भी अनुपालन की निगरानी करेंगे।  अधिकारी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘क्षेत्रीय कार्यालय सीधे बाजार की जांच करेंगे और केवल व्यापार संघों या उद्योग निकायों द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों पर निर्भर नहीं रहेंगे।’केपीएमजी में पार्टनर और अप्रत्यक्ष कर के प्रमुख अभिषेक जैन ने कहा कि यह निर्देश सरकार के व्यापक दृष्टिकोण के अनुरूप है। उन्होने कहा कि सरकार ने लगातार इस बात पर जोर दिया है कि उद्योग को यह सुनिश्चित करना होगा कि जीएसटी दरों में कटौती का लाभ उपभोक्ताओं तक पहुंचे। 

जैन ने कहा, ‘प्राधिकारियों द्वारा नजदीकी से नजर रखने की उम्मीद होने पर कारोबारी सक्रियता से कीमतों पर नजर रखेंगे और दरों में बदलाव का लाभ ग्राहकों तक पहुंचाने के लिए उचित और पारदर्शी तरीके से काम करेंगे।’

बहरहाल प्राइस वाटरहाउस में पार्टनर  प्रतीक जैन ने कहा कि सरकार बगैर किसी खास शिकायत व्यवस्था के जीएसटी का लाभ सुनिश्चित करने की कवायद कर रही है। उन्होंने कहा, ‘यह भरोसे पर आधारित व्यवस्था है, ऐसे में उद्योग को पर्याप्त दस्तावेजों के साथ तैयार रहना होगा, जिसमें ग्राहकों को यह बताना भी शामिल है कि उन्हें जीएसटी का लाभ किस तरीके से दिया जा रहा है।’

First Published : September 12, 2025 | 10:54 PM IST