प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
छोटे व मझोले उद्यमों (एसएमई) के शेयरों में वैसी ट्रेडिंग नहीं हो रही जैसी नई सूचीबद्धता हो रही है। इन गतिविधियों का आकलन निष्पादित सौदों की संख्या, जिन कंपनियों के शेयरों का लेन-देन हुआ है, सौदे वाले शेयरों की संख्या तथा सौदों के मूल्य के औसत से किया जा सकता है।
हालांकि जिन कंपनियों के शेयरों का कारोबार होता है, उनकी संख्या बढ़ी है लेकिन सौदों की संख्या में कमी आई है जबकि लेन-देन वाले शेयरों के मूल्य और संख्या में वास्तव में कमी आई है। बीएसई एसएमई प्लेटफॉर्म पर अगस्त में सौदों की संख्या में सालाना आधार पर सिर्फ 6.4 फीसदी की वृद्धि हुई जबकि पिछले वर्ष इनमें 13.2 फीसदी का इजाफा हुआ था।
इसी अवधि में खरीद-बिक्री वाले शेयरों का औसत मूल्य 10.4 फीसदी गिरा है तथा ऐसी खरीद-बिक्री में शेयरों की वास्तविक संख्या में 25 फीसदी से अधिक की गिरावट आई है। जुलाई के एनएसई के आंकड़े भी ऐसा ही रुझान प्रदर्शित करते हैं।
उपलब्ध आंकड़े रोजाना के औसत कारोबार के हैं जो जुलाई के अंत तक सालाना आधार पर 46.9 फीसदी की गिरावट दर्शाता है। इसी अवधि में मुख्य प्लेटफॉर्म का रोजाना का औसत कारोबार 32.2 फीसदी कम रहा। आगे के आंकड़ों से जुड़ी रिपोर्ट अभी प्रकाशित नहीं हुई है। बीएसई ब्रोकर्स फोरम के पूर्व उपाध्यक्ष और चूड़ीवाला सिक्योरिटीज के प्रबंध निदेशक आलोक चूड़ीवाला ने कहा, मैं अपने ग्राहकों को बहुत सावधान रहने की सलाह देता रहा हूं।
उन्होंने अपने ग्राहकों से कहा है कि एसएमई क्षेत्र में कोई भी निवेश तभी किया जाना चाहिए जब ग्राहक प्रबंधन के प्रति आश्वस्त हों और समग्र रूप से व्यवसाय को लेकर सहज हों। इस क्षेत्र ने बड़ी संख्या में कंपनियों को मनचाहे अनुसार खासी पूंजी जुटाने का मौका दिया है लेकिन इसमें रातोरात गायब हो जाने वाले संभावित ऑपरेटरों का जोखिम भी शामिल है।
शुरुआती सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) के बाजार में तेजी की पृष्ठभूमि में सौदों की गतिविधियों में कमी आई है। प्राइमडेटाबेस डॉट कॉम के जुलाई अंत के आंकड़ों से पता चलता है कि अगस्त 2024 के बाद 201 ऐसी कंपनियां बाजार में आई हैं। एसएमई आईपीओ के बाद मार्केट मेकर्स तीन साल की अवधि के लिए नकदी मुहैया कराते हैं।
विभिन्न कंपनियों के लिए ऐसी अवधि की समाप्ति एक भूमिका निभा सकती है। लेकिन अब तक बाज़ार में आई 40 फीसदी से ज्यादा कंपनियां 2023-24 के बाद की हैं, जिसका मतलब है कि उनके लिए मार्केट मेकिंग अभी भी जारी रहनी चाहिए।
निश्चित रूप से इसमें से बड़ी संख्या में कुछ कंपनियां एसएमई सेगमेंट से मुख्य प्लेटफॉर्म की ओर जा सकती हैं। बीएसई के आंकड़ों से पता चलता है कि 2012 में बीएसई के एसएमई प्लेटफॉर्म की शुरुआत के बाद से 608 सूचीबद्ध कंपनियों ने कुल मिलाकर 10,912.15 करोड़ रुपये जुटाए हैं और 196 कंपनियां मुख्य प्लेटफॉर्म का रुख कर चुकी हैं।
अगस्त के अंत तक बीएसई में सूचीबद्ध एसएमई कंपनियों (स्थानांतरित कंपनियों सहित) की कुल वैल्यू 1.8 लाख करोड़ रुपये थी। एनएसई प्लेटफॉर्म के अनुसार जुलाई तक 647 सूचीबद्ध कंपनियों ने 18,697 करोड़ रुपये जुटाए जिनमें से 147 कंपनियां मुख्य प्लेटफॉर्म में जा चुकी थीं। जुलाई के अंत तक एनएसई में सूचीबद्ध एसएमई का कुल मूल्य 2.2 लाख करोड़ रुपये था। इस बारे में जानकारी के लिए एक्सचेंजों को भेजे गए ईमेल का जवाब नहीं मिला।
एक वित्तीय योजनाकार ने बताया कि कम तरलता वाली स्मॉलकैप कंपनियों का बाजार में दबाव के दौरान ज्यादा गिरावट का इतिहास रहा है। एसएमई सेगमेंट में सबसे छोटी स्मॉलकैप कंपनियों से भी छोटी कंपनियां शामिल होती हैं। वित्त वर्ष 2024-25 में समग्र वित्तीय प्रदर्शन मज़बूत रहा है। इस खंड ने एनएसई और बीएसई दोनों पर बिक्री में 25 फीसदी से अधिक की वृद्धि दर्ज की है। साथ ही लाभ में 30 फीसदी से अधिक का इजाफा हुआ है। चूड़ीवाला ने बताया कि कई एसएमई घरेलू केंद्रित उद्यम होते हैं, इसलिए उन्हें टैरिफ और भू-राजनीतिक मसलों से कम जोखिम होता है।