प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
जापान की ओर से वादे के मुताबिक अगले एक दशक में 10 लाख करोड़ येन (67 अरब डॉलर) के निजी निवेश से देश में रोजगार सृजन के मूल इंजन कहे जाने वाले छोटे और मध्यम उद्यमों (एसएमई) तथा स्टार्टअप को नई उड़ान मिलेगी। भारत को उम्मीद है कि जापान का यह कदम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रतिस्पर्धी संघवाद के दृष्टिकोण को ताकत देगा। इसके तहत देश के तमाम राज्य जापानी प्रांतों के साथ मिलकर ‘मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड’ को बढ़ावा देंगे। यानी जापान के सहयोग से भारत में निर्माण करें और दुनिया, खासकर अफ्रीका, पश्चिम एशिया और दक्षिण पूर्व एशिया में इन वस्तुओं का निर्यात करें।
पिछले दो वर्षों में ही भारत और जापान ने 13 अरब डॉलर निवेश के 170 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं। अधिकारियों का मानना है कि निवेश पर जापान की ताजा घोषणा भारत में पंजीकृत जापानी कंपनियों की संख्या को वर्तमान 1,400 से दोगुना कर सकती है, जिनमें से आधी विनिर्माण क्षेत्र में कार्यरत हैं। सरकारी सूत्रों का कहना है कि जापानी भागीदारी से भारतीय एसएमई धीरे-धीरे वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में शामिल हो रही हैं। तोक्यो इलेक्ट्रॉन का निवेश, सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम बनाने के लिए फुजीफिल्म का टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स के साथ समझौता, टोयोटा-सुजूकी द्वारा सैकड़ों मझोले और छोटे एसएमई को अपनी वैल्यू चेन में जोड़ना और फुजित्सु द्वारा अपने वैश्विक क्षमता केंद्र में 9,000 भारतीय इंजीनियरों को नियुक्त करना इस बदलाव की खूबसूरत तस्वीर का हिस्सा हैं।
जापानी सहयोग को सरकार बेहद सकारात्मक नजरिए से देख रही है। उसका मानना है कि इससे भारतीय एसएमई को वैश्विक-मानक प्रथाएं, उन्नत टेक्नॉलजी और व्यापक बाजार पहुंच हासिल होगी, जिससे निर्यात के क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी।
पिछले सप्ताह शुक्रवार को हुए शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी और जापानी प्रधानमंत्री शिगेरू इशिबा ने कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए, लेकिन मोदी की दो दिवसीय यात्रा के अंतिम दिन शनिवार को भी उतना ही महत्त्व दिया गया। दोनों नेता तोक्यो से 300 किलोमीटर दूर मियागी प्रान्त में एक सेमीकंडक्टर संयंत्र का दौरा करने के लिए शिंकानसेन बुलेट ट्रेन में सवार होकर सेंडाई पहुंचे। वहां मोदी ने जापान के 16 प्रमुख प्रान्तों के गवर्नरों से मुलाकात की और उनसे भारतीय राज्यों के साथ साझेदारी में काम करने की अपील की।
अपने स्वयं के राजनीतिक अतीत का उल्लेख करते हुए मोदी ने उन्हें गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में अपने 13 वर्षों के दौरान जापान की अपनी कई यात्राओं की याद दिलाई। उन्होंने कहा, ‘मैंने अपने राज्यों और आपके प्रान्तों में क्षमता और संभावनाओं को करीब से देखा है।’ हालांकि, उनका संदेश विभिन्न राज्यों के वर्तमान मुख्यमंत्रियों के लिए भी था। उन्होंने कहा, ‘गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में उनका ध्यान नीतियों के अनुसार शासन करने, उद्योग को बढ़ावा देने, मजबूत बुनियादी ढांचे का निर्माण करने और निवेश के लिए अनुकूल माहौल तैयार करने की ओर था।’ आज, इसी को ‘गुजरात मॉडल’ के रूप में भी जाना जाता है। उन्होंने कहा कि 2014 से केंद्र में उनकी सरकार ने राज्यों में प्रतिस्पर्धी भावना को दोबारा जीवंत कर दिया है।
शुक्रवार को दोनों देशों के बीच हुए समझौतों में राज्यों-प्रान्तों की पहल बेहद खास है। इसका उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय सहयोग बढ़ाना है। इसके तहत कम से कम तीन भारतीय राज्य और तीन जापानी प्रान्त हर साल एक-दूसरे के यहां अपने प्रतिनिधिमंडल भेजेंगे। इसी तरह की कुछ साझेदारियां जैसे गुजरात का शिज़ुओका, उत्तर प्रदेश का यामानाशी, महाराष्ट्र का वाकायामा, आंध्र प्रदेश का टोयामा और तमिलनाडु का एहिमे के साथ सफलतापूर्वक काम कर रही हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘हम चाहते हैं कि भारत के तमाम राज्य अंतरराष्ट्रीय सहयोग के केंद्र बनें।’ उन्होंने भारत की विकास गाथा को आगे बढ़ाने में छोटे शहरों के स्टार्टअप और एसएमई की भूमिका की ओर भी इशारा किया। भारत के ऑटोमोबाइल क्षेत्र की तस्वीर बदलने वाले हमामात्सु के सुजूकी मोटर कॉर्पोरेशन का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री ने गवर्नरों से विनिर्माण, प्रौद्योगिकी, नवाचार, परिवहन, बुनियादी ढांचा, स्टार्टअप और एसएमई को बढ़ावा देने की पहल का लाभ उठाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि प्रत्येक जापानी प्रान्त विशिष्ट क्षमता रखता है, जो भारत की महत्त्वाकांक्षाओं के साथ मेल खा सकती हैं। गवर्नरों ने जवाब देते हुए कहा कि यदि द्विपक्षीय सहयोग को अगले स्तर तक पहुंचाना है, तो उप-राष्ट्रीय यानी राज्यों-प्रांतों के संबंधों को मजबूत करना होगा।
सेंडाई में जापान के सेमीकंडक्टर क्षेत्र का प्रमुख हब तोक्यो इलेक्ट्रॉन मियागी लिमिटेड का दोनों नेताओं का दौरा संबंधों को और मजबूत करने वाला साबित हुआ। दोनों देशों ने पहले ही जापान-भारत सेमीकंडक्टर सप्लाई चेन साझेदारी पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। इशिबा ने कहा, ‘हमें सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करने और आर्थिक सुरक्षा बढ़ाने के लिए मिलकर काम करने की उम्मीद है।’ मोदी ने जापान को ‘टेक्नॉलजी पावरहाउस’ बताया और कहा, ‘जापान की टेक्नॉलजी और भारत की प्रतिभा वैश्विक स्तर पर प्रौद्योगिकी क्रांति का नेतृत्व कर सकती है।’
रिश्तों में मजबूती दोनों देशों के लिए महत्त्वपूर्ण है। इससे भारत को जहां उच्च अमेरिकी टैरिफ और वाशिंगटन पर अधिक निर्भरता से बचाव का रास्ता देता है, वहीं जापान को भी टैरिफ में वृद्धि से चोटिल उसके कार उद्योग के लिए भारत का विशाल बाजार खुला आकाश देता है।
गुजरात में 15 अरब रुपये की लागत से आर्सेलरमित्तल-निप्पॉन स्टील उद्योग का विस्तार और आंध्र प्रदेश में 56 अरब रुपये का एकीकृत स्टील प्लांट, सुजूकी का गुजरात में नए प्लांट के लिए 350 अरब रुपये और उत्पादन विस्तार के लिए 32 अरब रुपये का निवेश, टोयोटा किर्लोस्कर का कर्नाटक में 33 अरब रुपये की विस्तार योजना और महाराष्ट्र में 200 अरब रुपये की लागत से नया प्लांट आदि भारत और जापान की सफल साझेदारियों के उदाहरण हैं।