महंगाई पर लगाम लगाने की सरकार की तमाम कोशिशों को पलीता लगाते हुए स्टील कंपनियां फिर से स्टील की कीमतें बढ़ाने पर विचार कर रही हैं।
कंपनियों का तर्क है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार की तुलना में घरेलू बाजार में स्टील की कीमतें काफी कम हैं। लिहाजा इस अंतर को पाटने के लिए स्टील के भाव में 15 फीसदी तक की वृद्धि किया जाना जरूरी है। हालांकि जे. एस. डब्ल्यू. स्टील के मुख्य वित्तीय अधिकारी शेषागिरी राव ने इस महीने कीमत में किसी तरह की बढ़ोतरी से साफ इनकार किया है।
राव के मुताबिक, वैश्विक स्तर पर इस्पात की कीमतों ने सभी सीमाओं को तोड़ दिया है। पिछले सालभर में ही स्टील की कीमत दोगुनी हो गई है। सोमवार को लंदन मेटल एक्सचेंज में हॉट रोल्ड कॉयल (एचआरसी) की कीमत 1,200 डॉलर प्रति टन हो गई जबकि ठीक एक साल पहले इसकी कीमत यहां केवल 600 डॉलर प्रति टन थी। राव ने बताया कि अगस्त के लिए स्टील की कीमतें क्या होंगी, इसे हमलोगों ने अभी तय नहीं किया है। अगस्त शुरू होने में अभी एक पखवाड़े की देर है और हमलोग कोई निर्णय करने के लिए जुलाई के आखिर तक इंतजार करेंगे।
जिंदल स्टील के निदेशक एस. के. गुप्ता का कहना है कि घरेलू इस्पात कंपनियों के सामने इस समय इधर कुआं उधर खाई वाली स्थिति है। उनके अनुसार, कंपनियों ने कीमतें न बढ़ाया तो नुकसान बढ़ता ही जाएगा जबकि इन्होंने कीमतें बढ़ाने का फैसला किया तो इन पर आरोप लगेगा कि वे देशहित की बजाय स्वहित को तवाो दे रही हैं। हालांकि गुप्ता ने कहा कि इस मुद्दे पर उनसे किसी ने संपर्क नहीं किया है। लेकिन वे निजी तौर पर मानते हैं कि फिलहाल अंतरराष्ट्रीय और घरेलू बाजार में स्टील की कीमतों का अंतर लगभग 15 से 20 फीसदी है।
कई आर्थिक विश्लेषकों का मानना है कि महंगाई के मौजूदा दौर में स्टील की आसमान छूती कीमतों का उपभोक्ताओं पर सबसे ज्यादा असर पड़ रहा है। उल्लेखनीय है कि देश के थोक मूल्य सूचकांक में स्टील और इसके उत्पादों की हिस्सेदारी 5 फीसदी है। लेकिन बताया जा रहा है कि रेकॉर्ड 11.83 फीसदी के स्तर पर चल रही महंगाई दर में इसकी हिस्सेदारी 12 फीसदी से अधिक है।
देश में स्टील एंड स्टील मार्केट के मुख्य हब मंडी गोबिंदगढ़ में विशेषज्ञ अनिल सुरज ने बताया कि महंगाई के चलते कंपनियों पर पूरा दबाव है कि वो कीमतें न बढ़ायें। पर अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतों में लगातार हो रही वृद्धि से घरेलू कंपनियों के लिए इसे झेल पाना बड़ा मुश्किल है। संकेत मिल रहे हैं कि देश की दो बड़ी स्टील कंपनियां टाटा स्टील और सेल सरकार से किए अपने वायदे के मुताबिक कीमतों में कोई वृद्धि नहीं करेंगी। लेकिन मूल्य संवर्द्धित उत्पादों के भाव पहले की ही तरह सरकारी नियंत्रण से बाहर बने रहेंगे। ऐसे में इनकी कीमत में वृद्धि होना लाजिमी ही है।
बाजार सूत्रों ने बताया कि अब स्टील कंपनियों ने भी स्टील के बड़े खरीदारों के लिए विशेष ऑफर शुरू किया है। ऐसा पहले कभी नहीं देखा गया था। कोल्ड रोल्ड स्टील मैन्यूफैक्चर्स एसोसियशन (सीओआरएसएमए) के प्रमुख एस. सी. माथुर ने बताया कि एचआरसी उत्पादकों ने इस महीने इसकी कीमत बढ़ा दी है। इससे कोल्ड रोल्ड कॉयल (सीआरसी) उत्पादकों पर भी कीमतों में वृद्धि करने का दबाव बन गया है। सीआरसी उत्पादक पहले से ही भविष्य की उम्मीदों के बूते कम मार्जिन पर ही उत्पादन कर रहे थे पर अब ऐसी स्थिति लंबे समय तक नहीं चलने वाली। इसकी कीमतें तो अब बढ़नी तय है।
भूषण स्टील के मुख्य वित्तीय अधिकारी नितिन जौहरी के मुताबिक, पिछले कुछ महीनों में लौह अयस्क, कुकिंग कोयला और बिजली सभी की कीमतों में वृद्धि हो चुकी है। ऐसे में स्टील की कीमतों में वृद्धि होना या न होना कंपनियों के अस्तित्व से जुड़ गया है। मंडी गोबिंदगढ़ के हाजिर बाजार में सोमवार को एचआरसी की कीमत 45,000 रुपये प्रति टन आंकी गयी जबकि सीआरसी की कीमत बिना किसी बदलाव के 49,000 रुपये प्रति टन पर बने रहे। वहीं हॉट रोल्ड शीट और कोल्ड रोल्ड शीट के भाव 44,500 रुपये प्रति टन और 49,500 रुपये प्रति टन के आसपास बने रहे।