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इस्पात कंपनियों को अगले महीने से मांग सुधरने की उम्मीद

Last Updated- December 12, 2022 | 3:31 AM IST

कोविड की दूसरी लहर से खपत प्रभावित होने के बाद अब इस्पात कंपनियां जुलाई से घरेलू मांग में सुधार की उम्मीद कर रही हैं।
टाटा स्टील के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी टी वी नरेंद्रन ने कहा कि वाहन क्षेत्र में अगले महीने से सुधार दिख सकता है। उन्होंने कहा, ‘निर्माण क्षेत्र में भी तेजी आ सकती है, लेकिन अब मॉनसून की वजह से हर साल की तरह इसमें नरमी आएगी।’
जेएसडब्ल्यू स्टील के निदेशक (वाणिज्य एवं विपणन) जयंत आचार्य ने कहा, ‘हमें जुलाई से खपत बढऩे और दूसरी छमाही में मांग में तेजी आने की उम्मीद है। बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए निर्माताओं को जरूरी माल के फिर से स्टॉक के साथ तैयार रहने की जरूरत होगी।’
उन्होंने कहा, ‘जिन सेगमेंट में सुधार दिख रहा है, वे हैं वाहन, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स, क्योंकि डीलरशिप और दुकानें अब धीरे धीरे खुलने लगी हैं। कुछ खास परियोजनाओं और राज्यों में इन्फ्रास्ट्रक्चर खर्च और गतिविधि भी दिख रही है।’
खासकर, वाहन सेगमेंट इस्पात कंपनियों के लिए उम्मीद बढ़ा रहा है, क्योंकि कार निर्माता अपना उत्पादन बढ़ाने की संभावना तलाश रहे हैं। आर्सेलरमित्तल निप्पॉन स्टील इंडिया (एएम/एनएस इंडिया) के मुख्य विपणन अधिकारी रंजन धार ने कहा, ‘वाहन क्षेत्र में स्टॉक स्तर नीचे है और कंपनियां उत्पादन बढ़ाने की तैयारी कर रही हैं।’
एक सेंकडरी इस्पात उत्पादक ने कहा कि उनकी कंपनी को कार उत्पादन में अचानक तेजी की वजह से कच्चे माल की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है।
हालांकि आवासीय क्षेत्र में सुधार दिखना बाकी है, क्योंकि निर्माण गतिविधि लॉकडाउन और श्रमिकों के पलायन की वजह से प्रभावित बनी हुई है।
जिंदल स्टील ऐंड पावर (जेएसपीएल) के प्रबंध निदेशक वी आर शर्मा ने कहा, ‘जहां आवासीय क्षेत्र प्रभावित हुआ है, वहीं इन्फ्रास्ट्रक्चर और औद्योगिक निर्माण सेगमेंटों से मांग बढ़ रही है।’ उन्होंने कहा, ‘कई स्थानों पर अभी भी लॉकडाउन है और निर्माण उत्पाद खंड अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रहा है। जब हम लॉकडाउन से
बाहर आ जाएंगे, घरेलू खपत बढ़ जाएगी।’
निर्माण गतिविधि अक्सर मॉनसून के दौरान प्रभावित होती है। हालांकि धार का मानना है कि पिछले वर्ष मांग प्रभावित हुई थी और इस बार भी उसी तरह की स्थिति देखी जा सकती है।
पिछले साल के दौरान, इस्पात क्षेत्र में अच्छी रिकवरी दिखी जिससे कीमतें ऊंचे स्तरों पर पहुंच गईं और  इन्हें काफी हद तक दुनियाभर में इन्फ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा दिए जाने से मदद मिली। इसका घरेलीू बाजार में भी असर दिखा।
हालांकि भारत में कोविड की दूसरी लहर से घरेलू मांग कमजोर हुई और मार्च से इसमें कमी आनी शुरू हो गई, क्योंकि राज्यों ने स्थानीय तौर पर लॉकडाउन लगाया।
स्टीलमिंट के आंकड़े के अनुसार, मार्च 2021 में अलौह इस्पात का उत्पादन 1.003 करोड़ टन रहा, जबकि मई में यह 85 करोड़ टन था। घरेलू खपत 88.1 करोड़ टन और मई में 66.6 करोड़ टन थी।
लेकिन मांग बढऩे से कीमतें भी चढ़ी हैं और इन्हें वैश्विक कीमतों से भी मदद मिली है। वैश्विक कीमतें घरेलू के मुकाबले ऊपर रही हैं। मजबूत अंतरराष्ट्रीय बाजार ने भी कंपनियों को घरेलू मांग में कमजोरी के बीच माल अन्य देशों को भेजने का अवसर प्रदान किया है। इस महीने के शुरू में इक्रा की एक रिपोर्ट में कहा गया कि भारत की निर्यात संबंधित हॉट रोल्ड कोइल (एचआरसी) कीमतें 1 मई 2021 को चाइनीज निर्यात एचआरसी कीमतों के मुकाबले ऊपर थीं और भारतीय इस्पात निर्यातकों ने निर्यात बाजार में बेहतर प्राप्तियां हासिल कीं।

First Published - June 18, 2021 | 11:23 PM IST

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