facebookmetapixel
कृषि को लाभदायक बिजनेस बनाने के लिए ज्यादा ऑटोमेशन की आवश्यकताQ2 Results: टाटा स्टील के मुनाफे में 272% की उछाल, जानें स्पाइसजेट और अशोक लीलैंड समेत अन्य कंपनियों का कैसा रहा रिजल्टसेबी में बड़े बदलाव की तैयारी: हितों के टकराव और खुलासे के नियम होंगे कड़े, अधिकारियों को बतानी होगी संप​त्ति!Editorial: आरबीआई बॉन्ड यील्ड को लेकर सतर्कनिर्यातकों को मिली बड़ी राहत, कैबिनेट ने ₹45,060 करोड़ की दो योजनाओं को दी मंजूरीसीतारमण का आठवां बजट राजकोषीय अनुशासन से समझौता नहीं कर सकताटाटा मोटर्स की कमर्शियल व्हीकल कंपनी की बीएसई पर हुई लिस्टिंग, न्यू एनर्जी और इलेक्ट्रिफिकेशन पर फोकसग्लोबल एआई और सेमीकंडक्टर शेयरों में बुलबुले का खतरा, निवेशकों की नजर अब भारत परसेबी की चेतावनी का असर: डिजिटल गोल्ड बेचने वाले प्लेटफॉर्मों से निवेशकों की बड़ी निकासी, 3 गुना बढ़ी रिडेम्पशन रेटप्रदूषण से बचाव के लिए नए दिशानिर्देश, राज्यों में चेस्ट क्लीनिक स्थापित करने के निर्देश

25 फीसदी महंगा हुआ स्टील

Last Updated- December 07, 2022 | 8:44 AM IST

सरकार ने स्टील की कीमतों में बढ़ोतरी को रोकने के लिए जाहे जो कुछ किया हो, लेकिन वह स्टील के खुदरा बाजार यानी फ्लैट और लॉन्ग प्रॉडक्ट पर सचमुच नियंत्रण नहीं रख पाई।


पिछले एक महीन में स्टील की खुदरा कीमतों में 25 फीसदी का इजाफा हुआ है। यह अलग बात है कि लंबी अवधि के कॉन्ट्रैक्ट की कीमत स्थिर रखने में सरकार को कामयाबी मिल गई है। स्टील मंत्रालय की जॉइंट प्लांट कमिटी (जेपीसी) के आंकड़ों के मुताबिक, दिल्ली के बाजार में 16 मई को टीएमटी सरिया (10 एमएम) की कीमत 38200 रुपये प्रति टन थी, जो 16 जून को बढ़कर 47800 रुपये प्रति टन पर पहुंच गई।

इस तरह इसमें 9600 रुपये प्रति टन का इजाफा हुआ। इसके अलावा मई-जून के दौरान हॉट रोल्ड और कोल्ड रोल्ड कॉयल की खुदरा कीमत में भी 20 फीसदी का इजाफा हुआ। दिल्ली में हॉट रोल्ड कॉयल (2एमएम) की कीमत 43000 रुपये प्रति टन थी जो एक महीने में बढ़कर 51000 रुपये प्रति टन पर पहुंच गई। इसी तरह कोल्ड रोल्ड कॉयल (0.63 एमएम) की कीमत 45000 रुपये प्रति टन से 51000 रुपये प्रति टन पर पहुंच गई।

स्टील मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने हालांकि कहा कि स्टील के मुख्य उत्पादकों ने प्रधानमंत्री से किए गए वादे को निभाते हुए कीमतों में कोई बढ़ोतरी नहीं की है। उन्होंने कहा कि एचआर और सीआर कॉयल के मामले में ज्यादातर उत्पादकों का कंपनियों से लंबी अवधि का करार होता है, लिहाजा इनकी कीमतें पूर्वस्तर पर ही हैं। उन्होंने कहा कि घरेलू बाजार की कीमतें अंतरराष्ट्रीय बाजार के मुकाबले ठीक है। अधिकारी ने कहा कि जेपीसी की रिपोर्ट में स्टील की जिन कीमतों का जिक्र है, वह खुदरा बाजार का है और स्टील के बड़े उत्पादकों के कुल उत्पादन का एक से दो फीसदी है।

इस बीच, जानकारी मिली है कि चारों मेट्रो शहरों में स्टील कीमतों में हुई बढ़ोतरी में दिल्ली सबसे आगे है। कार्वी कॉमट्रेड के विशेषज्ञ विशाल मनियार ने बताया कि स्टील की कीमतों में हुई बढ़ोतरी बढ़ती इनपुट लागत और रामविलास पासवान के उस बयान के बाद देखा गया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि सरकार स्टील की कीमतों में बढ़ोतरी को काबू में करने के लिए हमेशा कदम नहीं उठा सकती है यानी हस्तक्षेप नहीं कर सकती है। इस बीच, सरकारी स्टील कंपनी स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) ने कहा है कि कंपनी ने वादे के मुताबिक, जून महीने में घरेलू बाजार में स्टील कीमतों को पहले के स्तर पर रखा है।

सेल ने कहा कि स्टील का इस्तेमाल करने वाली इंडस्ट्री और इस कारोबार से जुड़े लोगों को चाहिए कि वे इसका लाभ उपभोक्ताओं को दें। कंपनी ने कहा कि घरेलू बाजार में स्टील की पर्याप्त आपूर्ति के मामले में वह सजग है और इसकी पर्याप्त आपूर्ति कर भी रही है। सेल की जारी बयान के मुताबिक, जून महीने में सेल ने घरेलू बाजार में आपूर्ति में करीब 32 फीसदी का इजाफा किया है। पिछले साल के मुकाबले अप्रैल-जून की तिमाही में सेल ने घरेलू बाजार में स्टील की सप्लाई में 9 फीसदी का इजाफा किया है।

First Published - July 1, 2008 | 10:33 PM IST

संबंधित पोस्ट