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खरीफ फसलों की बोआई ने 11 जुलाई को समाप्त हुए सप्ताह के दौरान अपनी तेज गति बनाए रखी

विशेषज्ञों का मानना है कि मध्य और पश्चिम भारत में मॉनसून के तेजी से बढ़ने के साथ मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान में कपास और सोयाबीन की बोआई बढ़ सकती है।

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बीएस संवाददाता   
Last Updated- July 14, 2025 | 10:42 PM IST

खरीफ फसलों की बोआई ने 11 जुलाई को समाप्त हुए सप्ताह के दौरान अपनी तेज गति बनाए रखी जबकि खरीफ में सोयाबीन और कपास की फसल की बोआई में बीते वर्ष की समान अवधि की तुलना में गिरावट आई। कारोबारियों के अनुसार किसानों को फसल का वाजिब मूल्य नहीं मिलने के कारण सोयाबीन का रकबा घट सकता है।

इसका कारण यह है कि किसानों को खाद्य तेलों के अनियमित आयात के कारण वाजिब मूल्य मिलने में दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। इंदौर स्थित सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसओपीए) को बाजार में लगातार दो वर्षों से कम कीमतें रहने के कारण वर्ष 2025 की खरीफ फसल के रकबे में पांच प्रतिशत की गिरावट की आशंका है। एसओपीए को लगता है कि किसान सोयाबीन से मक्का, कपास और लाल चने की ओर रुख करने के लिए प्रेरित हो सकते हैं।

व्यापारियों को कपास के मामले में भी इस साल रकबे में गिरावट की उम्मीद है। इसका कारण यह है कि उत्तरी और पश्चिमी भारत में गुलाबी बॉलवर्म और अन्य कीट बार-बार हमला कर रहे हैं। हालांकि कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि मध्य और पश्चिम भारत में मॉनसून के तेजी से बढ़ने के साथ मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान में कपास और सोयाबीन की बोआई बढ़ सकती है। इस बीच भारत के मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार दक्षिण-पश्चिम मॉनसून अखिल भारतीय स्तर पर 1 जून से 13 जुलाई तक सामान्य 275.7 मिलीमीटर के मुकाबले 302.6 मिलीमीटर हुई जो कुल औसत से 10 प्रतिशत अधिक है। कुल मिलाकर सभी खरीफ फसलों का रकबा 11 जुलाई तक पिछले साल की तुलना में लगभग 7 प्रतिशत अधिक है। 

First Published : July 14, 2025 | 10:19 PM IST