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जीरे में नरमी

Last Updated- December 05, 2022 | 9:23 PM IST

बाजार में खरीदारी बढ़ने केबावजूद पिछले हफ्ते जीरा वायदा में नरमी का रुख रहा। कमोडिटी विशेषज्ञों का कहना है कि इस हफ्ते भी स्थिति कमोबेश ऐसी ही रहने के आसार हैं।


जीरे का मुख्य डिलिवरी सेंटर ऊंझा मंडी में करीब 23 हजार बैग (55 किलो प्रति बैग) की आक हुई। बाजार के सूत्रों ने कहा कि घरेलू के साथ-साथ विदेशी बाजार में जीरे की अच्छी मांग चल रही है, लिहाजा इसकी कीमत में उछाल आने के संकेत दिख रहे हैं।


विशेषज्ञों के मुताबिक महंगाई के आंकड़े और कमोडिटी वायदा पर पाबंदी लगाने की अटकलों के बावजूद इसकी कीमत में उछाल नहीं आ पाएगा, हालांकि इसका फंडामेंटल मजबूत है। पिछले हफ्ते शुरुआती दौर में जीरा वायदा में बढ़त देखी गई, लेकिन यह क्रम सप्ताह के बाकी दिनों में बरकरार नहीं रह पाया।


अगले हफ्ते अप्रैल वायदा की समाप्ति होगी और शनिवार का इसका भाव 8410 रुपये प्रति क्विंटल पर रहा जबकि पिछले हफ्ते यह 8834 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ था। सूत्रों का कहना है कि अगर खरीदारी जोर पकड़ेगी तो निश्चित रूप से इसकी कीमतों में तेजी आएगी। मई अनुबंध के लिए सपोर्ट लेवल 8600 रुपये प्रति क्विंटल है।


जौ में कमजोरी


हरियाणा और राजस्थान की मंडियों में जौ की आवक बढ़ने के साथ ही जौ वायदा में पिछले हफ्ते नरमी देखी गई। मुंबई स्थित विशेषज्ञों ने कहा कि इस हफ्ते जैसे-जैसे जौ की आवक में बढ़ोतरी होगी, भाव और भी नीचे का रुख कर सकता है।


बाजार से मिली खबरों के मुताबिक जौ का निर्यात बाजार इसकी कीमत में मजबूती नहीं ला पाएगा क्योंकि जौ का इस मामले में यूक्रेन महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन कर रहा है। एक हफ्ते पहले तक कुछ कंपनियां जौ की खरीद कर रही थीं और इससे जौ बाजार को समर्थन मिला था। जब से इस तरह की खबरें आई है कि इसका निर्यात और तेजी नहीं पकड़ सकता, कंपनियों की खरीदारी में कमी आई है।


गुड़गांव स्थित कंपनियां बाजार में प्रवेश से पहले कीमत में गिरावट का इंतजार कर रही हैं। राजस्थान के बाद जौ का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक राज्य हरियाणा में करीब एक लाख बैग (80 किलो प्रति बैग) जौ की आवक हुई। अनुमान के मुताबिक पिछले साल के मुकाबले इस साल जौ की पैदावार 15-20 फीसदी ज्यादा होगी। व्यापारियों का अनुमान है कि अगले पखवाड़े तक जौ की कीमत में नरमी आएगी।

First Published - April 14, 2008 | 1:51 AM IST

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