डॉलर के मुकाबले रुपये में शुक्रवार को करीब 0.3 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई, जिसकी वजह डॉलर में मजबूती तथा भारतीय वस्तुओं पर 27 अगस्त से लागू होने वाले अमेरिकी टैरिफ को लेकर नई चिंता है। डीलरों ने यह जानकारी दी।
स्थानीय मुद्रा 87.53 प्रति डॉलर पर बंद हुई, जबकि पिछला बंद भाव 87.27 प्रति डॉलर था। चालू वित्त वर्ष में इसमें 2.35 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई है, जबकि चालू कैलेंडर वर्ष में अब तक डॉलर के मुकाबले इसमें 2.19 फीसदी की कमजोरी आई है।
एक सरकारी बैंक के डीलर ने कहा कि रुपया, डॉलर के अनुरूप चल रहा था और आयातक डॉलर खरीद रहे थे क्योंकि अमेरिकी टैरिफ को लेकर चिंता है, जो अगले सप्ताह से लागू होने वाला है।
अमेरिकी फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल के जैक्सन होल संगोष्ठी के बाद होने वाले भाषण से पहले डॉलर सूचकांक 0.47 फीसदी बढ़कर 98.72 पर पहुंच गया। डॉलर सूचकांक छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले डॉलर की मजबूती को मापता है।
सीएमई के फेड वॉच टूल के अनुसार, 80 फीसदी ट्रेडरों को उम्मीद है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व सितंबर में दरों में कटौती करेगा।
एक निजी बैंक के ट्रेजरी प्रमुख ने कहा, जेरोम पॉवेल के भाषण से बाज़ार को मज़बूत संकेत मिलने की उम्मीद है। टैरिफ की वजह से कुल मिलाकर धारणा कमजोर है। सप्ताहांत के घटनाक्रमों के आधार पर रुपया 87.50 प्रति डॉलर और 87.80 प्रति डॉलर के बीच कारोबार करता दिख रहा है।
सप्ताह के दौरान रुपया 0.02 फीसदी कमजोर हुआ। डॉनल्ड ट्रंप की रूसी और यूक्रेनी राष्ट्रपतियों के साथ बैठक के बाद घरेलू वस्तुओं पर अतिरिक्त 25 फीसदी टैरिफ पर अमेरिका के रुख में नरमी आने की उम्मीद में रुपया सप्ताह के दौरान 87 प्रति डॉलर के स्तर को पार कर गया था। भारत पर अतिरिक्त 25 फीसदी टैरिफ रियायती दरों पर रूसी तेल के निरंतर आयात के कारण लगाया गया था, जिसे अमेरिका यूक्रेन पर आक्रमण के बाद मॉस्को के खिलाफ पश्चिमी प्रतिबंधों को कमजोर करने वाला मानता है।
इसके अतिरिक्त, केंद्र सरकार ने 12 फीसदी और 28 फीसदी की कर दरों को समाप्त करके जीएसटी दरों को सरल और कम करने का प्रस्ताव दिया है, जिससे इस सप्ताह रुपये को मजबूती मिली। एसऐंडपी ग्लोबल द्वारा देश की सॉवरिन क्रेडिट रेटिंग को ‘बीबीबी-’ से बढ़ाकर ‘बीबीबी’ करने से भी इस सप्ताह विदेशी मुद्रा बाजार में उत्साह बना रहा।