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RBI के संभावित हस्तक्षेप से रुपये में मामूली मजबूती, डॉलर के मुकाबले 87.55 पर बंद

विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की लगातार निकासी ने भी स्थानीय मुद्रा पर दबाव डाला जो जुलाई में कुल मिलाकर 2.09 फीसदी की गिरावट के साथ बंद हुई।

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अंजलि कुमारी   
Last Updated- August 01, 2025 | 10:20 PM IST

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के संभावित हस्तक्षेप से शुक्रवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया मामूली रूप से मजबूत हुआ। हालांकि विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की निकासी और भारतीय निर्यात पर अमेरिका के शुल्क लगाने के कारण पैदा हुई नकारात्मक धारणा से स्थानीय मुद्रा पर दबाव बरकरार रहा। शुक्रवार को रुपया 87.55 प्रति डॉलर पर बंद हुआ जबकि पिछले दिन यह 87.59 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था। दिन में कारोबार के दौरान यह 87.22 प्रति डॉलर तक मजबूत हुआ। हालांकि आयातकों की डॉलर मांग ने कारोबार के अंत तक घरेलू मुद्रा पर दबाव बनाए रखा।

फिनरेक्स ट्रेजरी एडवाइजर्स एलएलपी के ट्रेजरी प्रमुख और कार्यकारी निदेशक अनिल कुमार भंसाली ने कहा, इस हफ़्ते रुपये में 1.55 फीसदी की गिरावट आई है और अगर आरबीआई बचाव में नहीं आता तो यह और भी गिर सकता था। गुरुवार को इसने 87.5950 का निचला स्तर छुआ था। हालांकि यह 87.95 के सर्वकालिक निचले स्तर को नहीं तोड़ सका।

उन्होंने कहा कि डॉलर इंडेक्स में बढ़ोतरी, यूरो में गिरावट, एशियाई मुद्राओं में नरमी और शेयर बाजार में फिसलन से भी इस गिरावट की पुष्टि हुई है। उन्होंने कहा, रुपया वैश्विक ताकतों के सामने कमजोर दिख रहा है जबकि आरबीआई बाजार में एकमात्र विक्रेता है।

गुरुवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने 1 अगस्त से अमेरिका को भारतीय निर्यात पर 25 फीसदी टैरिफ और रूस से तेल और हथियार खरीदने पर अनिर्धारित दंड की घोषणा की थी जिसके बाद स्थानीय मुद्रा में 0.2 फीसदी की गिरावट आई और यह नए निचले स्तर पर बंद हुई। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की लगातार निकासी ने भी स्थानीय मुद्रा पर दबाव डाला जो जुलाई में कुल मिलाकर 2.09 फीसदी की गिरावट के साथ बंद हुई। सितंबर 2022 के बाद यह इसकी सबसे बड़ी मासिक गिरावट है।

बुधवार को रुपया 0.7 फीसदी की गिरावट के साथ 87.42 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था जो पिछले 2.5 महीने में एक दिन में सबसे बड़ी गिरावट थी। चालू वित्त वर्ष में रुपये में 2.37 फीसदी की गिरावट आई है जबकि इस कैलेंडर वर्ष (2025) में इसमें 2.21 फीसदी की नरमी रही है।

बिजनेस स्टैंडर्ड के एक सर्वेक्षण के अनुसार रुपया अत्यधिक अस्थिरता के साथ कारोबार करेगा तथा अधिकांश उत्तरदाताओं का मानना है कि सितंबर 2025 तक स्थानीय मुद्रा का लक्षित स्तर 88 प्रति डॉलर के आसपास तथा समर्थन स्तर 86.50 प्रति डॉलर के आसपास रहेगा।

एक सरकारी बैंक के डीलर ने कहा, रुपये पर निकट भविष्य में भी दबाव बने रहने की आशंका है। उन्होंने कहा, एफपीआई की निकासी और डॉलर इंडेक्स में बढ़ोतरी से रुपये पर दबाव बढ़ रहा है।

First Published : August 1, 2025 | 10:06 PM IST