देहरादून के प्रतिष्ठित भारतीय पेट्रोलियम संस्थान (आईआईपी) में वैज्ञानिकों के एक समूह ने वर्ष 2006 में खतरनाक प्लास्टिक पर प्रयोग करते हुए भारत के कच्चे तेल के संकट का जवाब तलाशने पर चर्चा शुरू की थी। अगले कुछेक वर्षों में उन्होंने सही प्रकार के ऐसे उत्प्रेरक खोजने के लिए कई प्रयोग करने के लिए कड़ी मेहनत की, जो प्लास्टिक के अणुओं को हाइड्रोकार्बन में परिवर्तित कर सकते हैं। आईआईपी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अधिकांश प्रयोग सफल रहे।
वर्ष 2019 में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने आईआईपी में भारत के पहले प्रायोगिक संयंत्र का उद्घाटन किया, जहां वैज्ञानिकों ने कहा कि यह एक टन प्लास्टिक संयंत्र से हर रोज 800 लीटर डीजल का उत्पादन कर सकता है। यह परियोजना पूरी तरह से गेल (इंडिया) लिमिटेड द्वारा प्रायोजित थी। इस परियोजना में शामिल आईआईपी के वैज्ञानिक डॉ. सनत कुमार ने कहा ‘डीजल की गुणवत्ता बहुत अच्छी है।’
शीघ्र ही, इस परियोजना ने कुछ कारोबारियों का ध्यान आकृष्ट किया। पॉलिएथिलीन और पॉलिप्रोपाइलीन प्लास्टिक से डीजल का उत्पादन करने के लिए एक स्टार्टअप – इन्फिनिटी ग्रीनफील्ड अब पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में ऐसा ही एक संयंत्र स्थापित कर रही है, जो 80 प्रतिशत तक तेल का उत्पादन कर सकता है। इन्फिनिटी ग्रीनफील्ड के प्रबंध निदेशक विपुल कौशिक ने कहा ‘हम मुरादाबाद में अपना नया वाणिज्यिक संयंत्र स्थापित करने के करीब हैं, जो 10 टन वाली इकाई होगी।’ कौशिक ने कहा कि संयंत्र से सारा डीजल केवल औद्योगिक और कृषि उपयोग के लिए ही होगा।
कौशिक ने कहा ‘कुछ साल पहले, हम तुर्की के अंकारा गए थे, जहां हमने इसी तरह का एक तेल संयंत्र देखा था। हमने संयंत्र के मालिकों के साथ चर्चा की और इसे भारतीय परिदृश्य में व्यावसायिक रूप से व्यावहारिक पाया।’ इन्फिनिटी ने पिछले साल मुरादाबाद में संयंत्र की स्थापना शुरू कर दी। कौशिक ने कहा ‘हम सरकार से ज्यादातर एनओसी प्राप्त कर चुके हैं।’ संयंत्र का प्रारंभिक निवेश लगभग पांच से सात करोड़ रुपये है, जिसके लिए इन्फिनिटी ने कोलकाता स्थित पोद्दार समूह के साथ 50 प्रतिशत की साझेदारी की है। 1.5 एकड़ भूमि पर स्थापित किया जा रहा यह संयंत्र अगले कुछेक महीनों में उत्पादन शुरू कर सकता है।
कंपनी मुख्य रूप से मुरादाबाद के निर्यातकों से प्लास्टिक एकत्र करेगी, जिन्होंने अपने निर्यात-सामान की पैकेजिंग के लिए इस सामग्री का बड़े स्तर पर इस्तेमाल किया। कौशिक ने कहा ‘प्लास्टिक एकत्रित करना हमारे लिए कोई समस्या नहीं है, क्योंकि बहुत सारे ऐसे निर्यातक हैं जो पैकेजिंग के लिए प्लास्टिक का इस्तेमाल करते हैं।’
कंपनी ने स्थानीय उद्योगपतियों के साथ भी बातचीत की है, जो डीजल खरीदने के लिए सहमत हो गए हैं। कौशिक ने कहा कि हमारी उत्पादन लागत करीब 57 रुपये प्रति लीटर आ रही है और हम इसे उद्योगपतियों को 70 रुपये प्रति लीटर की दर से बेचेंगे। उन्होंने दावा किया कि मुरादाबाद संयंत्र में जिस तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है, वह आईआईपी वाली तकनीक की तरह ही है। कंपनी उत्तराखंड में एक और संयंत्र लगाने का कदम उठाने पर भी विचार कर रही है।