ताजा अनुमानों के मुताबिक इस साल के बाकी बचे हिस्से में काली मिर्च की कम आपूर्ति रहने की संभावना है।
इस साल पिछले 10 सालों में सबसे कम काली मिर्च के उत्पादन होने की संभावना है। भारत में काली मिर्च का सालाना उत्पादन 55,000 टन के आसपास होता है। इस साल मार्च में हुई भारी बारिश की वजह से इसके 40,000 से 42,000 टन उत्पादन की संभावना है।
इसका कुल स्टॉक 35,000 टन है जिसमें कोमेक्सेज का 5,000 टन भी शामिल है। देश में काली मिर्च के सबसे बड़े निर्यातक बाफना इंडस्ट्रीज के जोजान मलाइल कहते हैं कि पिछले पंद्रह सालों में यह न्यूनतम स्टॉक है। उन्होंने कहा कि जून-जुलाई से कम आपूर्ति की बात सही साबित होने लगेगी क्योंकि इस वक्त उत्पादन अंतिम दौर में चल रहा होगा और यह भी पता चल जाएगा कि आखिरकार कितना उत्पादन होगा।
वैसे केरल के अधिकांश हिस्सों में 90 फीसदी से अधिक फसल तैयार हो चुकी है लेकिन इडुक्कि और व्यानाड जिलों में कुछ जगहों पर फसल में थोड़ा वक्त और लग सकता है। राज्य के उत्तरी और दक्षिणी हिस्सों में फसल की कटाई का काम हो चुका और यहां पिछले साल की तुलना में काफी कम उत्पादन हुआ है। इसमें भी उत्तरी हिस्से के जिलों मल्लापुरम, कोझीकोड और कन्नूर में उत्पादन में बेहद कमी आई है।
इसके अलावा दक्षिण के पत्तनमथित्ता, कोट्टायम जिलों और कोल्लम जिले के अंचल, पुनालूर और कोट्टाराक्करा इलाकों में भी उत्पादन में भारी गिरावट आई है। जिसका असर आखिरकार उत्पादन पर ही होगा। कर्नाटक में भी फसल पूरे जोरों पर थीं लेकिन बारिश ने यहां भी फसल का गणित बिगाड़ा है। यहां पर 12,000 टन फसल के उत्पादन का अनुमान है और यहां मई के मध्य तक पूरी कटाई होने का अंदाजा है। इसका नतीजा यह निकलेगा कि जाड़ों के दौरान आपूर्ति में कमी रहेगी।
जाड़ों से पहले मांग अपने पूरे शबाब पर रहेगी। जोजान कहते हैं कि मांग को पूरा करने के लिए वियतनाम से आयात करना पड़ेगा जहां फिलहाल 65,000 टन स्टॉक है। वियतनाम में वैसे पिछले तीन-चार हफ्तों से कीमतें गिरी हैं लेकिन वहां के किसान फसल को बेचने की जल्दी में नहीं हैं।
वियतनाम में वैसे कम कीमत में ही काली मिर्च मिल रही है। यहां 500 जीएल किस्म की काली मिर्च का भाव 3,435 डॉलर प्रति टन है जबकि 550 जीएल किस्म की काली मिर्च यहां 3,635 डॉलर प्रति टन में मिल रही है। यहां पर एएसटीए का भाव 3,950 डॉलर प्रति टन के स्तर पर है।
वहां पर बिक्री में भी बहुत तेजी नहीं है। वैसे भारतीय निर्यातक 3800-3850 डॉलर प्रति टन की कीमत में एएसटीए किस्म की काली मिर्च को अमेरिका, यूरोपीय संघ समेत कुछ अन्य देशों को भी बेच रहे हैं। कम स्टॉक की वजह से ब्राजील और इंडोनेशिया इस साल काली मिर्च के अंतराराष्ट्रीय बाजार से बाहर हो गए हैं।