पिछले साल उपभोक्ताओं की जेब ढीली करने वाला आलू अब किसानों की मुसीबत बढ़ा रहा है। नई फसल की आवक के दबाव में आलू के दाम काफी गिर चुके हैं और किसानों की लागत निकलना मुश्किल हो गया है।
उत्पादन में बढ़ोतरी से दाम घटे
आलू के दाम घटने की वजह इसके उत्पादन में बढ़ोतरी होना है। इस समय मंडियों में जल्द आने वाली आलू की फसल (Early Crop) की आवक हो रही है और इसे कच्चा आलू कहते हैं। मंडियों में दाम गिरने से खुदरा बाजार में भी आलू सस्ता हुआ है।
महीने भर में भाव घटकर हुआ आधा
दिल्ली की आजादपुर मंडी में महीने भर पहले आलू का भाव 700 से 2,400 रुपये प्रति क्विंटल था, जो अब गिरकर 400 से 1,200 रुपये प्रति क्विंटल रह गया है। उत्तर प्रदेश की मंडियों में आलू 400 से 800 रुपये प्रति क्विंटल बिक रहा है। महीने भर में भाव घटकर आधे रह गए हैं।
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के मुताबिक पिछले एक महीने के दौरान देश भर में आलू की औसत खुदरा कीमत 23.94 रुपये से घटकर 19.74 रुपये प्रति किलो रह गई है। इस दौरान दिल्ली में खुदरा भाव 25 रुपये से घटकर 16 रुपये, मुंबई में भाव 29 रुपये से घटकर 24 रुपये किलो रह गए हैं।
लागत निकालना भी हुआ मुश्किल
मुख्य आलू उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के आलू किसान बटुक नारायण मिश्रा कहते हैं कि नये आलू के दाम लगातार गिर रहे हैं क्योंकि आलू का उत्पादन ज्यादा है। महीने भर में आलू के दाम घटकर आधे रह गए हैं। किसानों को 600 से 800 रुपये क्विंटल भाव मिल रहा है। इस भाव पर तो लागत निकालना मुश्किल हो रहा है।
अखिल भारतीय सब्जी उत्पादक संघ के अध्यक्ष श्रीराम गाढवे ने कहा कि किसानों को आलू की कीमत कम से कम 10 से 12 रुपये किलो तो मिलनी ही चाहिए। तभी उन्हें कुछ फायदा होगा।
आगरा कोल्ड स्टोर एसोसिएशन के अध्यक्ष सुदर्शन सिंघल ने बताया कि अभी ज्यादातर उस नये आलू की आवक हो रही है जिसकी फसल जल्दी आती है और इसका छिलका पतला होता है। इसे कच्चे आलू के नाम से जाना जाता है।
इसे ज्यादा दिनों तक रख नहीं सकते हैं। इसलिए किसानों द्वारा इसे जल्दबाजी में बेचा जाता है। लिहाजा आलू के दाम तेजी से गिर रहे हैं। कोल्ड स्टोर में जाने वाले नये आलू की आवक अगले 10-12 दिनों में जोर पकड़ने लगेगी। अभी कुछ ही जिलों में इस आलू की छिटपुट आवक हो रही है।
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आलू उत्पादन 15 से 20 फीसदी बढ़ने का अनुमान
राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान व विकास प्रतिष्ठान के कार्यकारी निदेशक पी के गुप्ता ने बताया कि पिछले साल किसानों को आलू के दाम अच्छे मिले थे। जिससे उन्होंने आलू की बोआई 15 से 20 फीसदी ज्यादा की है। इसके साथ ही अब मौसम भी आलू की फसल के अनुकूल रहा है।
लिहाजा इस साल अब तक की परिस्थितियों को देखते हुए आलू का उत्पादन 15 से 20 फीसदी बढ़ने की संभावना है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2021-22 में करीब 536 लाख टन आलू का उत्पादन हुआ था, जो वर्ष 2020-21 के उत्पादन करीब 561 लाख टन से कम था। इस साल 600 लाख टन से ज्यादा आलू पैदा होने का अनुमान है। जो अब तक की रिकॉर्ड पैदावार है।