कैडिला हेल्थकेयर (जायडस कैडिला) ने कोविड-19 के लिए तैयार किए जा रहे टीके के पशुओं के परीक्षणों से जुड़े प्रारंभिक आंकड़े जारी किए हैं। इन आंकड़ों से पता चलता है कि उनका डीएनए प्लाज्मिड टीका जायकोव-डी कई जानवरों में प्रतिरोधक प्रतिक्रिया देने में सफ ल रहा है। कंपनी ने दावा किया कि टीकाकरण के बाद ऐंटीबॉडी तैयार होने के अलावा टीके ने टी-सेल प्रतिक्रिया भी दी है।
इसके अलावा, टीके के स्थिरता आंकड़ों से पता चलता है कि जायकोव-डी टीके को लंबी अवधि के लिए 2 से 8 डिग्री सेल्सियस पर और अल्पावधि (कुछ महीनों) के लिए 25 डिग्री सेल्सियस पर रखा जा सकता है। इस टीके का तीसरे चरण का क्लीनिकल परीक्षण अब देश में 30,000 से अधिक लोगों पर कराया जा रहा है।
कमरे के तापमान पर टीका रखने और उसके लाने-ले जाने में सक्षम होने से सुदूर इलाकों में टीका पहुंचाने की कई चुनौतियां कम हो सकती हैं। जायडस कैडिला ने कहा, ‘एक महामारी के प्रकोप के संदर्भ में देखा जाए तो टीके की स्थिरता एक महत्त्वपूर्ण भूमिका को बयां करती है जिसकी वजह से बड़े पैमाने पर टीकाकरण अभियान के लिए इसका वितरण आसानी से हो सकता है।’ बायोरक्सिव में प्रकाशित एक शोध पत्र में जायडस ने दावा किया कि डीएनए प्लाज्मिड तैयार करने की प्रक्रिया बेहतर परिणाम देने वाली है और इसका दायरा आसानी से बढ़ाए जाने लायक है।
जायकोव-डी टीके के लिए प्रतिरोधक क्षमता का अध्ययन चूहे, सुअर पर किए जाने के अलावा न्यूजीलैंड के खरगोश मॉडल पर किया गया था। टीकाकरण के दो हफ्ते के बाद जानवरों को पहली बूस्टर खुराक दी गई और फि र विभिन्न पशुओं के नमूनों में ऐंटीबॉडी का निर्धारण करने के लिए परीक्षण किए गए।
कंपनी ने कहा कि जायकोव-डी का आकलन विभिन्न पशु मॉडलों में किया गया था और सार्स-कोव-2 के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की क्षमता को दर्शाया गया साथ ही पशुओं में एस-ऐंटीजन की क्षमता का भी जायजा लिया गया। इसमें कहा गया, ‘प्राथमिक ऐंटीबॉडी प्रतिक्रिया सीरम में दो सप्ताह के बाद दो खुराक मिलने के बाद बढऩा शुरू होती है और तीसरा टीका लेने के बाद यह शीर्ष स्तर पर बढ़ जाता है।’
जायडस कैडिला ने कहा कि चूहों में स्पाइक ऐंटीजन के खिलाफ सीरम आईजीजी ऐंटीबॉडी का स्तर खुराक मिलने के तीन महीने के बाद भी बरकरार रहा जिससे संकेत मिलते हैं कि डीएनए टीके से एक दीर्घकालिक प्रतिरोधक क्षमता मिलती है। जायडस ने दावा किया, ‘इससे यह भी संकेत मिलता है कि जायकोव-डी फिर से संक्रमण का जोखिम बढऩे पर बेहतर प्रतिरोधक क्षमता दिखा सकती है।’
पारंपरिक सक्रिय टीके मृत या कमजोर संक्रामक एजेंटों से बने होते हैं। डीएनए प्लाज्मिड टीका एक अपेक्षाकृत नया तरीका है जहां डीएनए के एक टुकड़े में ऐंटीजन के लिए जीन दिया जाता है। शरीर तब ऐंटीजन के खिलाफ एक प्रतिरोधक प्रतिक्रिया देने के लिए तैयार होता है और जब रोगजनक विषाणु शरीर को संक्रमित करते हैं तब शरीर इसके खिलाफ विशिष्ट ऐंटीबॉडी बनाने में सक्षम होता है।
जायडस का दावा है कि डीएनए टीके निरंतर प्रतिरोधक प्रतिक्रिया देते हैं। जायडस का कहना है कि टीका तैयार करने की तकनीक सरल है और इसकी मदद से तेजी से टीका तैयार किया जा सकता है। दूसरी बात यह है कि डीएनए के अणु स्थिर होते हैं और इनका जीवनकाल लंबा होता है और इनके वितरण के लिए कोल्ड चेन की उतनी सख्त जरूरत नहीं होती।