प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को किसानों और सहकारी क्षेत्र से जुड़े अन्य हितधारकों से दूध के मशहूर ब्रांड ‘अमूल’ के उत्पादक संगठन, गुजरात सहकारी दुग्ध विपणन महासंघ (जीसीएमएमएफ) को दुनिया के सबसे बड़े डेरी संगठन बनाने का लक्ष्य दिया।
मोदी गुजरात सहकारी दुग्ध विपणन महासंघ (जीसीएमएमएफ) के स्वर्ण जयंती समारोह के लिए अहमदाबाद के मोटेरा इलाके में नरेंद्र मोदी स्टेडियम में एकत्र हुए करीब एक लाख लोगों को संबोधित कर रहे थे।
इस सहकारी संगठन का परिचालन वर्ष 1973 में शुरू हुआ था और इसका कारोबार वित्त वर्ष 2023 में 72,000 करोड़ रुपये के स्तर पर चला गया। यह 50 से अधिक देशों में निर्यात करता है और इसकी नजर वित्त वर्ष 2025-26 में 1 लाख करोड़ रुपये की कंपनी बनने पर है। मोदी ने कहा, ‘आज अमूल दुनिया की आठवीं सबसे बड़ी डेरी कंपनी है। आपको इसे जल्द से जल्द दुनिया की सबसे बड़ी डेरी कंपनी बनाना है। सरकार हर तरह से आपके साथ खड़ी है। ये मोदी की गारंटी है।’
भारत के तेजी से बढ़ते दुग्ध क्षेत्र का उल्लेख करते हुए मोदी ने कहा कि यह 6 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से बढ़ रहा है जबकि वैश्विक दुग्ध क्षेत्र 2 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है।
जीसीएमएमएफ के प्रबंध निदेशक जयन मेहता ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘अमूल प्रधानमंत्री के इस लक्ष्य का पूरा समर्थन करता है कि यह दुनिया की सबसे बड़ी डेरी कंपनी बन जाए। हमें भी उम्मीद है कि अमूल ब्रांड 80,000 करोड़ रुपये का कारोबार हासिल कर लेगा। अमूल पहले से ही दुनिया का सबसे पड़ा डेरी ब्रांड है।’
प्रधानमंत्री के साथ इस अवसर पर गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत, मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सीआर पाटिल भी मौजूद थे। मोदी ने कहा, ‘आज के अमूल की नींव सरदार वल्लभ भाई पटेल के मार्गदर्शन में खेड़ा जिला सहकारी दुग्ध उत्पादक यूनियन के रूप में रखी गई थी। समय के साथ डेरी सहकारिता गुजरात में और व्यापक होती गई और फिर गुजरात मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन बनी। आज भी ये सरकार और सहकार के तालमेल का बेहतरीन मॉडल है। ऐसे ही प्रयासों की वजह से हम आज दुनिया के सबसे बड़े दुग्ध उत्पादक देश हैं।’
फिलहाल जीसीएमएमएफ से 18 सदस्य यूनियन जुड़े हैं जिनमें गुजरात के 18,600 गांवों के 36 लाख किसान जुड़े हैं। इस सहकारी संगठन के सदस्य डेरी रोजाना करीब 300 लाख लीटर से अधिक दूध की खरीदारी करते हैं।
जीसीएमएमएफ ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि पिछले 50 वर्षों में जीसीएमएमएफ ने भारत को दुनिया का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक बनाने में अहम भूमिका निभाई है और वैश्विक दुग्ध उत्पादन में इसका 24 प्रतिशत योगदान है। जीसीएमएमएफ 9 जुलाई 1973 को अस्तित्व में आया जब छह डेरी सहकारी संस्थाओं ने डॉ. वर्गीज कुरियन के नेतृत्व में काम करना शुरू किया जिन्होने दुग्ध और दुग्ध उत्पादों को अमूल ब्रांड के तहत बेचने का विचार दिया।
मोदी ने कहा कि भारतीय दुग्ध क्षेत्र का कुल कारोबार 10 लाख करोड़ रुपये है, जो धान, गेहूं और गन्ना उत्पादन के संयुक्त कारोबार से बहुत अधिक है। उन्होंने कहा, ‘महिलाएं इस क्षेत्र में सबसे आगे हैं। डेयरी क्षेत्र में कार्यरत कुल कार्यबल में से 70 प्रतिशत महिलाएं हैं। महिलाओं के योगदान से अमूल नई ऊंचाइयों पर पहुंचा है। भारत को एक विकसित देश बनाने के लिए जरूरी है कि महिलाओं की आर्थिक शक्ति बढ़े।’
मोदी ने कहा, ‘आज दुनिया के 50 से ज्यादा देशों में अमूल के उत्पाद को निर्यात किया जाता है। 18,000 से ज्यादा दुग्ध सहकारी मंडली, 36 लाख किसानों का नेटवर्क, हर दिन साढ़े तीन करोड़ लीटर से ज्यादा दूध का संग्रहण, हर रोज पशुपालकों को 200 करोड़ रुपये से अधिक का ऑनलाइन पेमेंट करना यह सब आसान नहीं है।’
इस मौके पर प्रधानमंत्री ने पांच नई डेरी परियोजनाओं का उद्घाटन किया। इसमें साबर डेरी का एक आधुनिक पनीर संयंत्र, आणंद में अमूल डेरी का एक दीर्घकालिक टेट्रा पैक दूध संयंत्र और इसके चॉकलेट संयंत्र का विस्तार शामिल है।