facebookmetapixel
Upcoming IPO: अगले हफ्ते में खुलेंगे इन कंपनियों के IPO, निवेशक रखें ध्यानघर खरीदने से पहले यह जानना जरूरी! RTMI या UC, कौन सा सही?Jio Financial चेयरमैन कामथ ने जताई खुदरा ऋण बढ़ने की चिंताअमेरिका के राजदूत गोर बोले- भारत में श्रम सुधार से बढ़ेगा व्यापार अवसरम्युचुअल फंड में महिलाओं और छोटे शहरों से निवेश पर डिस्ट्रीब्यूटर्स को मिलेगा बोनसइन्फोसिस के बाद अब टीसीएस और विप्रो भी ला सकती हैं शेयर बायबैक ऑफरUS टैरिफ से मुश्किल में इंडियन ऑटो पार्ट्स, मारुति सुजूकी MD ने बताई राह3, 5, 8 या 10 साल: SIP से कितने साल में मिलता है सबसे ज्यादा रिटर्न, 15 साल के चार्ट से समझेंफेविकोल बनाने वाली कंपनी का शेयर पकड़ेगा रफ्तार! ब्रोकरेज ने कहा- खरीद लें, दिखा सकता है 23% का तगड़ा उछालइंजीनियरिंग बदलावों से अटक रहा नए वाहनों का लॉन्च, भारत चीन से पिछड़ रहा

कोविड से प्रभावित तेल अन्वेषण

Last Updated- December 12, 2022 | 4:32 AM IST

भारत में तेल व गैस अन्वेषण गतिविधियां कोविड-19 के व्यवधानों के कारण प्रभावित हुई हैं। एक साल के मॉरेटोरियम के बाद केयर्न ऑयल ऐंड गैस ने अपने ओपन एकरेज लाइसेंस नीति (ओएएलपी) ब्लॉक के लिए फोर्स मेजर प्रावधानों के तहत एक और साल के लिए राहत की मांग की है, जैसा कि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को पिछले साल मिली थी।
तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी), केयर्न ऑयल ऐंड गैस और ऑयल इंडिया ने अप्रैल, 2020 में नए अन्वेषण ब्लॉकों के लिए फोर्स मेजर लागू किया था, जिनके लिए उन्हें पेट्रोलियम अन्वेषण लाइसेंस मिले थे और उन्हें सरकार के साथ हुए अनुबंध के मुताबिक काम करने की प्रतिबद्धता थी। इससे कंपनियों को मॉरेटोरियम के लिए सरकार से कानूनी रूप से संपर्क करने और सीडब्ल्यूपी के लिए परिभाषित अवधि में विस्तार करने की अनुमति मिली थी।
फोर्स मेजर की एक वजह यह थी कि शुरुआती छूट की अवधि में विभिन्न मंजूरियां व हरी झंडी पाने के लिए जमीनी काम नहीं किया जा सकता था।
हालांकि तेल और गैस का उत्पादन जरूरी सेवा में शामिल था, जिसका मतलब यह है कि लॉकडाउन के दौरान काम किया जा सकता था, लेकिन नए अन्वेषण आवश्यक सेवाओं में शामिल नहीं थे।
इस मामले से जुड़े एक व्यक्ति ने कहा, ‘उद्योग के लिए यह बड़ी चुनौती थी। पेट्रोलियम अन्वेषण लाइसेंस (पीईएल) मिलने के बाद ऑपरेटर काम करने की प्रतिबद्धता के मुताबिक समझौते से बंधा होता है। इसका मतलब यह है कि ऑपरेटर को जमीनी काम पर एक निश्चित राशि खर्च करनी होती है, जिससे अनुबंध की सेवा शर्तें पूरी की जा सकें।’
वैश्विक रूप से तेल व गैस कंपनियों ने अन्वेषण कॉन्ट्रैक्ट में राहत का लाभ उठाया था, जिससे कोविड-19 के कारण आए व्यवधानों से निपटा जा सके।  दूसरी लहर और ज्यादा गंभीर है और संभवत: भारत में तीसरी लहर भी आएगी, जिसे देखते हुए तेल कंपनियां मॉरेटोरियम में आगे और विस्तार की ओर नजर बना रही हैं।
उपरोक्त उल्लिखित अधिकारी ने कहा, ‘तेल व गैस अन्वेषण पूंजी केंद्रित कारोबार है और सरकार को इन कारोबारियों को सुरक्षा देने पर विचार करना चाहिए, जो वित्तीय संकट से गुजर रही हैं। ऐसा होने पर ही ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भरता का लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।’
अन्वेषण गतिविधियों में जमीनी स्तर पर काम करने के लिए भारी संसाधन, लोगों व हिस्सेदारों की सक्रियता की जरूरत होती है। उन्होंने कहा, ‘देश जून, 2020 में लॉकडाउन से बाहर आ गया, लेकिन कोविड के असर से जमीनी अन्वेषण के परिचालन में चुनौती बनी रही। जब यह लगने लगा कि स्थिति सुधर रही है और 2021 की पहली तिमाही में नई सामान्य स्थिति के रूप में स्थिरता आ रही है, देश दूसरी लहर की चपेट में आ गया।’
शुरुआती लॉकडाउन की अवधि के बाद जहां व्यावहारिक था, परिचालन का काम जारी रहा, जबकि शेष इलाकों में गतिविधियां सुस्त रहीं। केयर्न इंडिया के पास सबसे ज्यादा 53 ओएएलपी और खोजे गए छोटे ब्लॉक हैं। इसने अप्रैल, 2020 में 38 ब्लॉकों पर फोर्स मेजर लागू किया था और बाद में इस सूची में 6 और ब्लॉकों को शामिल किया गया, जिससे कुल संख्या 45 हो गई। ये ब्लॉक असम, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, त्रिपुरा, गुजरात, महाराष्ट्र व आंध्र प्रदेश में हैं। कृष्णा गोदावरी, गंगा वैली और महानदी बेसिन में 8 ब्लॉकों को फोर्स मेजर से बाह रखा गया क्योंकि इन ब्लॉकों के पीईएल का अभी इंतजार है।
बहरहाल जिन ब्लॉकों को मॉरेटोरियम की अनुमति मिली, वहां भी कुछ काम जैसे डेस्कटॉप स्टडी चल रहे हैं। कुछ ब्लॉकों में जमीनी गतिविधियां भी चली हैं, लेकिन कोविड-19 की चुनौतियों की वजह से रफ्तार सुस्त रही है।

First Published - May 21, 2021 | 11:22 PM IST

संबंधित पोस्ट