मोतीलाल ओसवाल प्राइवेट वेल्थ की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2025 की पहली तिमाही में सोने की मांग में ज़बरदस्त बढ़ोतरी हुई। दुनिया भर में चल रहे टैरिफ युद्ध, भू-राजनीतिक तनाव और डॉलर के कमजोर पड़ने से सोने की कीमतें तेज़ी से बढ़ीं। सोने की कुल सप्लाई में थोड़ी बढ़ोतरी ज़रूर हुई, लेकिन कीमतें चढ़ने के कारण कुल बाजार मूल्य में भारी उछाल आया।
इस तिमाही में सोने में निवेश की मांग 170% सालाना बढ़ गई। इसकी सबसे बड़ी वजह गोल्ड ETF में तेजी से बढ़ा निवेश है। यूरोप, एशिया और भारत में गोल्ड ETF के ज़रिए लोगों ने बड़ी मात्रा में निवेश किया, जिससे सोने की मांग में उछाल आया।
कई देशों के केंद्रीय बैंकों ने भी इस तिमाही में सोने की खरीदारी जारी रखी। कुल मिलाकर 244 टन सोना खरीदा गया, जो दिखाता है कि सोना अभी भी एक भरोसेमंद संपत्ति के रूप में देखा जा रहा है। भारत का रिज़र्व बैंक थोड़ी सावधानी से आगे बढ़ रहा है, लेकिन उसने भी अपने भंडार में थोड़ा सोना जोड़ा है, जो सोने की रणनीतिक अहमियत को दिखाता है।
कीमतें बहुत बढ़ जाने की वजह से गहनों की मांग में गिरावट आई है। भारत में आभूषणों की बिक्री मात्रा में 25% की गिरावट देखी गई। यह पिछले कई सालों में सबसे कम है। हालांकि, कीमतों के कारण कुल बिक्री राशि में थोड़ा इज़ाफा हुआ क्योंकि ग्राहक छोटे या हल्के गहने खरीद रहे हैं या पुराने गहनों को बदलवा रहे हैं।
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पहली तिमाही में सोने की कुल सप्लाई 1206 टन रही, जो पिछले साल से 1% ज्यादा है। यह 2016 के बाद पहली तिमाही के लिए सबसे ऊंचा आंकड़ा है। सोने की कीमतों में तेज़ी के चलते कुल बाजार मूल्य में 40% की सालाना बढ़ोतरी हुई। भारत में भी कीमतें 23% बढ़कर 93,217 रुपये प्रति 10 ग्राम पहुंच गईं।
गोल्ड ETF में निवेश 552 टन तक पहुंच गया, जो 170% सालाना उछाल है। यह 2022 की पहली तिमाही के स्तर के करीब है, जब रूस-यूक्रेन युद्ध की शुरुआत हुई थी। यूरोप, एशिया और भारत के अलावा चीन के गोल्ड ETF में भी निवेशक काफी रुचि दिखा रहे हैं।
भारतीय रिज़र्व बैंक ने मार्च 2025 में सिर्फ 0.6 टन सोना खरीदा। इससे उसका कुल भंडार 879.6 टन हो गया, जो भारत के कुल विदेशी भंडार का 11.7% है। पिछले एक साल में RBI ने 57.5 टन सोना जोड़ा, लेकिन हाल के महीनों में उसकी खरीद थोड़ी धीमी हुई है, जिससे उसकी सतर्क रणनीति का अंदाज़ा लगता है।
हाई कीमतों की वजह से ग्राहक अब भारी-भरकम गहनों की जगह छोटे, हल्के और रोज़मर्रा के इस्तेमाल वाले गहने खरीद रहे हैं। कई ग्राहक पुराने गहनों को एक्सचेंज भी कर रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक भारत में लगभग 40-45% खरीदारी इस तरह के एक्सचेंज से हो रही है। शादी जैसे जरूरी मौकों पर गहनों की मांग बनी हुई है, लेकिन आम दिनों की खरीद में कमी देखी जा रही है। साथ ही, गहनों को गिरवी रखने का चलन भी बढ़ा है।