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‘कपास की कीमतों में नरमी के आसार नहीं’

Last Updated- December 07, 2022 | 12:00 PM IST

सरकार द्वारा आयात शुल्क खत्म करने और निर्यात रियायत वापस ले लेने के बावजूद घरेलू बाजार में कपास की कीमतों में बहुत ज्यादा कमी की गुंजाइश नहीं है।


दुनिया की जानी मानी रेटिंग एजेंसी क्रिसिल की एक रिपोर्ट में यह बात कही गयी है। हालांकि कारोबारियों के अनुसार, सरकारी हस्तक्षेप के बाद कपास की कीमतों में थोड़ी कमी आयी है। क्रिसिल की रिपोर्ट में बताया गया है कि  आयात शुल्क हटाने से छोटे और मध्यम श्रेणी के कपास की कीमतें शायद ही घटें जबकि ईएलएस कपास की कीमतें घटने के आसार बन रहे हैं।

जानकारों के अनुसार, अफ्रीकी देशों और अमेरिका से आयात होने वाले इस किस्म के सस्ते होने का सबसे ज्यादा फायदा उच्च गुणवत्ता वाले धागे तैयार करने वाले इकाइयों को मिलेगा। रिपोर्ट के अनुसार, देश में खपत होने वाले ज्यादातर कपास के रेशे छोटे से मध्यम लंबाई के होते हैं। इन किस्मों का देश में ही पर्याप्त उत्पादन हो रहा है। इनका उत्पादन न केवल पर्याप्त है बल्कि सरप्लस की स्थिति है।

मूल्य के लिहाज से भी इनकी कीमत काफी वाजिब होती है। इसमें आगे बताया गया है कि आयात पर जो बंदिशें लगाई गयी हैं, वह कपास की अतिरिक्त लंबाई वाले रेशे (ईएलएस) के लिए है। लेकिन देश में ईएलएस कपास की खपत महज 5 फीसदी है। ऐसे में आयात शुल्क और निर्यात रियायत खत्म करने का लाभ सीमित ही रहेगा। उल्लेखनीय है कि सरकारी हस्तक्षेप के पहले कपास के मूल्य सामान्य से काफी ज्यादा हो गए थे। दुनिया भर में कपास की कीमतें बढ़ने का देश के कपास की कीमतों पर असर पड़ा और इसमें 25 फीसदी की वृद्धि हो गयी।

ऐसा इस साल देश में कपास के बंपर उत्पादन होने के बावजूद हुआ है। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, 2007-08 में कपास का उत्पादन 2.581 करोड़ बेल्स रहा है जो पिछले साल के उत्पादन से लगभग 32 लाख बेल्स ज्यादा हैं। घरेलू आपूर्ति बढ़ाने और कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए सरकार ने 9 जुलाई को कपास के आयात पर लग रहे 14 फीसदी आयात शुल्क को हटा दिया। साथ ही, कच्चे कपास के निर्यात दी जा रही 1 फीसदी की रियायत को भी खत्म कर दिया।

इस बीच, अंतरराष्ट्रीय कपास सलाहकार समिति ने अनुमान व्यक्त किया है कि वित्तीय वर्ष 2008-09 में कपास के वैश्विक उत्पादन में कमी आएगी। समिति के मुताबिक, मक्के की ओर किसानों का रुख होने से अमेरिका का कपास उत्पादन इस साल घटने की संभावना है। उधर, इस साल चीन का कपास उत्पादन मांग की तुलना में कम पड़ने जा रहा है, जिसे पूरा करने के लिए उसके पास आयात के अलावा और कोई चारा नहीं है। हालांकि भारत के बारे में इस रिपोर्ट में कहा गया है कि यहां कपास के उत्पादन में 5 फीसदी की वृद्धि हो सकती है जिससे इसके पास निर्यात करने लायक कपास उपलब्ध हो सकेगा।

रिपोर्ट में कहा गया है कि इससे दुनिया भर में कपास की कीमतें तो चढ़ेंगी ही, धागे तैयार करने वाली कंपनियों के मार्जिन पर भी असर पड़ सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि निर्यात रियायत खत्म करने के बावजूद ऐसी स्थिति में मध्यम और छोटी श्रेणी के कपास की कीमतों में वृद्धि होने का अनुमान है।

First Published - July 17, 2008 | 11:56 PM IST

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