लॉकडाउन में धीरे-धीरे दी जा रही ढील और आर्थिक गतिविधियों में बढ़ोतरी से गोल्ड लोन की मांग बढऩे की संभावना है। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल का कहना है कि देश की वित्तीय कंपनियों की गोल्ड लोन परिसंपत्तियां मौजूदा वित्त वर्ष में 15 से 18 फीसदी बढऩे का अनुमान है।
खास तौर से अपनी आपात जरूरतें पूरी करने के लिए व्यक्तियों की ओर से मांग बढऩे की संभावना है। साथ ही छोटे उद्यमों की तरफ से कामकाज दोबारा शुरू करने की खातिर कार्यशील पूंजी की जरूरत से गोल्ड लोन की रफ्तार बढ़ेगी।
गोल्ड लोन को तरजीह दी जाएगी क्योंकि एनबीएफसी और बैंकों ने अन्य कर्जों के लिए अंडरराइटिंग नियम सख्त कर दिए हैं। साथ ही सोने की औसत कीमतें ज्यादा रहने से एनबीएफसी की प्रबंधनाधीन गोल्ड लोन परिसंपत्तियां इस वित्त वर्ष में 15 से 18 फीसदी तक बढ़ सकती है।
इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही में रफ्तार स्थिर रही क्योंंकि अप्रैल व मई में लॉकडाउन के कारण वितरण कम रहा। प्राथमिक अनुमानों से संकेत मिलता है कि एनबीएफसी में दोबारा गिरवी समेत गोल्ड लोन का वितरण इस वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में क्रमिक आधार पर दोगुने से ज्यादा हो गया। यह कहना है क्रिसिल रेटिंग्स के वरिष्ठ निदेशक कृष्णन सीतारामन का। अन्य परिसंपत्ति वर्ग के उलट गोल्ड लोन को संग्रह व वितरण, या कर्ज को दोबारा गिरवी रखने के मामले में अहम मसलों का सामना नहींं करना पड़ा। इसमें अप्रैल व मई के दौरान लॉकडाउन का सख्त चरण शामिल नहीं है।
उन्होंने कहा, कई एनबीएफसी संग्रह की चुनौतियों का सामना कर रही है और कर्ज भुगतान में संभावित चूक, नया कर्ज वितरण (खास तौर से एमएसएमई को) और असुरक्षित कर्ज का मामला काफी कम रहा है। इसके परिणामस्वरूप गोल्ड लोन फाइनैंसरों का फायदा मिलने की उम्मीद है।
एनबीएफसी के गोल्ड लोन के विश्लेषण से पता चलता है कि 12 महीने की कर्ज योजनाओं में 60-65 फीसदी कर्ज छह महीने के भीतर चुका दिए जाते हैं। ज्यादातर गोल्ड लोन की समयावधि कम होने, आंशिक हिस्सा समय से पहले चुका देने का विकल्प और एनबीएफसी की तरफ से दी जाने वाली छूट इन्हें सुविधाजनक विकल्प बनाते हैं।
