इस वर्ष बंपर फसल के अनुमानों के आधार पर देश में मेंथा तेल के अच्छे उत्पादन की उम्मीदों पर पानी फिर सकता है क्योंकि फसल उत्पादन के प्रमुख क्षेत्र उत्तर प्रदेश में लगातार भारी बारिश हो रही है।
पिछले हफ्ते तक कारोबारियों का अनुमान था कि फसल में 5 प्रतिशत की कमी आ सकती है। लगातार बारिश को देखते हुए अब उनका कहना है कि इससे 10 प्रतिशत फसल को नुकसान पहुंच सकता है। मेंथा की फसल अब कटाई के लिए तैयार है और कुछ हिस्से में कटाई हो भी चुकी है लेकिन बारिश की वजह से इसमें बाधा आ रही है।
उन्होंने कहा कि अगर बारिश थमती है तो किसानों को जल्दी से अपनी फसल की कटाई कर लेनी चाहिए। हालांकि, अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि उत्पादन कितना होगा, बाजार का अनुमान है कि (कारोबारियों से बिजनेस स्टैंडर्ड की हुई बातचीत के अनुसार) पिछले वर्ष के 32,000 टन के मुकाबले इस वर्ष उत्पादन 50,000 टन का होगा। पिछले सप्ताह से फिर से बारिश के शुरु होने से हाजिर बाजार के साथ-साथ वायदा बाजार में भी इसकी कीमतें प्रभावित हुई हैं।
बरेली स्थित मेंथा तेल के एक निर्यातक ने कहा, ‘ऐसा सबकुछ इन धारणाओं की वजह से हो रहा है कि खरीदार कम हैं और घरेलू मांगों के साथ-साथ विदेशी बाजार की मांगें भी फिलहाल कमजोर चल रही हैं।’ उत्तर प्रदेश की मंडियों में मेंथा की कीमतें पिछले सप्ताह की 560 रुपये प्रति किलो से बढ़ कर 620 रुपये प्रति किलो हो गया है, इसमें 10.71 प्रतिशत की वृध्दि हुई है। दूसरी तरफ वायदा मूल्यों पर बारिश की प्रतिक्रिया कम हुई है।
नेशनल कमोडिटी ऐंड डेरिवेटिव एक्सचेंज पर इसके वायदा मूल्यों में 6 प्रतिशत की वृध्दि हुई और जुलाई सौदे की कीमत 494 रुपये प्रति किलो से बढ़ कर 523 रुपये प्रति किलो हो गई। चंदौसी स्थित मेंथा के कारोबारी और निर्यातक भुवनेश कुमार वार्ष्णेंय के अनुसार, ‘अभी बिल्कुल उल्टा हो रहा है। आमतौर पर सीजन के दौरान जब बाजार में आवक की उम्मीद होती है तो मूल्य कम हो जाते हैं।’चंदौसी स्थित मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज के भंडार-गृह के इनचार्ज संदीप सभरवाल के अनुसार जब आवक अपनी चरम पर होती है तो यह 700 ड्रम तक पहुंच जाता है (प्रत्येक ड्रम 180 किलो का होता है)।
वैश्विक बाजार के लिए भारत मेंथा तेल का एकमात्र स्रोत है। इसका इस्तेमाल फार्मा, खाद्य पदार्थों और कन्फेक्शनरी में किया जाता है। इन बातों के अलावा, मेंथा तेल के ऊपर मंडी टैक्स लगाने का मुद्दा अभी तक उत्तर प्रदेश में हल नहीं किया जा सका है। यद्यपि, राज्य सरकार और मेंथा तेल कारोबारियों के प्रतिनिधियों के बीच बातचीत जारी है। अभी तक कोई हल नहीं निकल पाया है। एक कारोबारी ने कहा कि मंडी जाने के लिए कोई भी कारोबारी लाइसेंस नहीं चाहता है।