विश्व भर में आर्थिक मंदी की आहट से कच्चे तेल और प्रमुख धातुओं-तांबा, जिंक, एल्युमिनियम और सोने की कीमतों में पिछले तीन माह के दौरान काफी गिरावट आई है।
स्टील की कीमतों में भी जुलाई में कमी आई है, बावजूद इसके मई माह की तुलना में इसकी कीमतें अभी भी ज्यादा हैं। दक्षिण यूरोप में हॉट रोल्ड क्वॉइल की कीमत 1,228 डॉलर प्रति टन से घटकर 1,262 डॉलर प्रति टन रह गई है। अगस्त 2007 के मुकाबले अब भी इसकी कीमत लगभग दोगुनी है।
हालांकि ऑस्ट्रेलियाई कोकिंग कोयले का निर्यात मूल्य मई से 15 प्रतिशत बढ़ कर 405 डॉलर प्रति टन हो गया है। एस्सार स्टील के प्रमुख अर्थशास्त्री इश्वर हेगड़े ने कहा, ‘कोक के साथ-साथ कोकिंग कोयले की आपूर्ति भी काफी कम है और इसके भंडार भी लगातार कम बना हुआ है।’
पिछले दो वर्षो के दौरान आई कीमतों में तेजी के बाद यह गिरावट आई है। पश्चिमी देशों के अर्थशास्त्रियों ने कहा कि तेजी से विकसित होती अर्थव्यवस्था वाले देश चीन और भारत कमोडिटी की कीमतों में हुई अप्रत्याशित वृध्दि के लिए प्रमुख रुप से जिम्मेदार हैं। इन दोनों देशों में महंगाई रेकॉर्ड स्तर पर है इसलिए अनुमान है कि कमोडिटी संबंधी इनकी मांग में थोड़ी नरमी आएगी।
सेक्टर विश्लेषकों ने कहा कि मूलभूत धातु जैसे एल्युमिनियम, तांबा और जस्ते के भंडार में मांग में कमी के पूर्वानुमान से इजाफा होता रहा है और इस कारण इनकी कीमतों में गिरावट आई है। कार्वी कमोडिटीज के एक विश्लेषक ने कहा, ‘अधिकांश मूलभूत धातुओं का आउटलुक कमजोर है।’
जबकि अन्य विश्लेषकों ने कहा कि धातुओं की कीमतों में आई कमजोरी की वजह कच्चे तेल के मूल्य में आई कमी और अमेरिकी डॉलर के अधिकांश मुद्राओं, खास तौर से यूरो की तुलना में मजबूत होना है। अंबुजा सीमेंट के प्रबंध निदेशक ए एल कपूर ने कहा, ‘यह अच्छा हुआ कि कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट आई है। इसलिए अब कोयले की कीमतों में भी कमी आनी चाहिए।
यह एक सकारात्मक विकास है लेकिन हम यह नहीं जानते कि ऐसा कब तक चलेगा।’ यद्यपि धातुओं का इस्तेमाल करने वाले अधिकांश उद्योग (जैसे कि बैटरी बनाने के मामले में जस्ता और विद्युत उपकरणों के निर्माण में तांबा का इस्तेमाल करने वाले उद्योग) दावा करेंगे कि वे अभी भी पिछले वर्ष की अपेक्षा अधिक कीमत चुका रहे हैं, कीमतों में आई हालिया गिरावट उनके लिए अच्छी खबर है।
उद्योग से जुड़े कुछ लोगों का अनुमान है कि कीमतों में अभी और कमी आ सकती है। हालांकि, कुछ विश्लेषकों ने कहा कि पेइचिंग (बीजिंग) ओलंपिक के बाद कीमतों में फिर से तेजी आ सकती है जब चीन ओलंपिक के दौरान प्रदूषण का स्तर कम करने के उद्देश्य से बंद किए गए फैक्ट्रियों को फिर से चालू करेगा।