महाराष्ट्र सरकार ने राज्य में बेमौसम बारिश को प्राकृतिक आपदा माना जाएगा ताकि प्रभावित किसानों को राहत दी जा सके। कैबिनेट की बैठक में निर्णय लिया गया कि राज्य सरकार द्वारा निरंतर बारिश को प्राकृतिक आपदा घोषित किया जाए और कृषि फसलों के नुकसान के लिए सहायता प्रदान की जाए। इसके मुताबिक अब किसानों को मदद दी जाएगी।
मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) की ओर से जारी एक बयान के मुताबिक बेमौसम बारिश को प्राकृतिक आपदा घोषित करने से प्रशासन को उन किसानों को राहत देने में मदद मिलेगी जिनकी फसल बेमौसम बारिश के कारण खराब हो गई है।
भारी बारिश राज्य सरकार द्वारा घोषित आपदा है और राजस्व मंडल में उपलब्ध कराये गये स्वचालित मौसम केंद्र पर 24 घंटे में 65 मिमी. शत प्रतिशत से अधिक वर्षा होने की स्थिति में अंचल के सभी ग्रामों में कृषि फसलों के नुकसान का पंचनामा कराया जाता है। यदि कृषि फसलों का नुकसान 33 फीसदी से अधिक है, तो प्रभावित क्षेत्र के लिए निर्धारित दर पर इनपुट सब्सिडी के रूप में किसानों को सहायता दी जाती है।
भले ही राजस्व मंडल में भारी वर्षा का कोई रिकॉर्ड नहीं है, फिर भी मंडल के गांवों में भारी बारिश हो सकती है और कृषि फसलों को नुकसान हो सकता है। साथ ही कुछ गांवों में लगातार कुछ दिनों से हो रही बारिश से कृषि फसलों को नुकसान हो सकता है। ऐसे में जरुरी है कि किसानों को मदद दी जाए।
राज्य सरकार दिसंबर महीने में अपर मुख्य सचिव (योजना) की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया। जो किसानों की फसलों की नुकसान का आंकलन कर रही थी। समिति ने निरंतर वर्षा के मानदंड के निर्धारण पर अपनी रिपोर्ट में कृषि फसलों को नुकसान के लिए निर्धारित दरों पर राहत प्रदान करने के लिए निरंतर वर्षा के लिए कुछ मानदंड सुझाए थे। यह रिपोर्ट आज कैबिनेट की बैठक में रखी गई।
महाराष्ट्र के कृषि मंत्री अब्दुल सत्तार ने कहा कि कम से कम पांच दिनों तक 10 मिमी की लगातार बारिश और 33 प्रतिशत से अधिक फसल का नुकसान उठाने वाले किसान सहायता के लिए पात्र होंगे।
इस निर्णय से मापदंड के अभाव में किसान सहायता से वंचित नहीं रहेंगे। गौरतलब है कि पिछले महीने महाराष्ट्र में बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से कई किसानों की फसल बर्बाद हो गई थी। विपक्ष ने मांग की थी कि राज्य सरकार प्रभावित किसानों को तत्काल राहत दे।