गर्मी जब परवान चढ़ती है तो उत्तर प्रदेश समेत उत्तर भारत के बाजार दशहरी की खुशबू से महकने लगते हैं। उत्तर भारत ही नहीं देश के दूसरे सूबों में भी पतली लंबी गुठली और भरपूर गूदे वाले आम का चस्का लोगों को लगा रहता है। मगर कोरोना महामारी ने दशहरी पर भी नजर लगा दी है। लगातार दूसरे साल कोरोना के कहर ने उत्तर प्रदेश के आम उत्पादों की कमर तोड़ दी है। तमाम राज्यों में लॉकडाउन रहने और विदेशों से मांग नहीं के बराबर होने के कारण पिछले साल प्रदेश के आम कारोबारियों को करीब 1,000 करोड़ रुपये का घाटा सहना पड़ा था। इस साल भी नुकसान का अंदेशा है। ऐन फसल के मौके पर लॉकडाउन लगने से बागवानों के चेहरे की रौनक गायब हो गई है।
देश दुनिया में अपने स्वाद और खुशबू के लिए मशहूर उत्तर प्रदेश के मलिहाबाद का दशहरी आम अगले हफ्ते से तैयार होने लगेगा मगर इस पूरी पट्टी में खरीदारों का टोटा पड़ा हुआ है। कच्चे दशहरी की तुड़ाई 20 मई से शुरू होगी और पाल में पकाने के बाद पहली जून से इसका बाजार सज जाएगा। शौकीनों को जून के पहले हफ्ते में पाल और दूसरे हफ्ते से डाल का पका दशहरी आम खाने को मिलेगा। मगर इस बार भी कारोबारियों के पास बाहर के ऑर्डर काफी कम हैं।
कारोबारियों को कम ऑर्डर परेशान कर रहे हैं तो बदलते मौसम ने बागवानों की पेशानी पर बल गहरे कर दिए हैं। मलिहाबाद के आम उत्पादक नफीस बताते हैं कि अबकी बार समय से पहले दशहरी के पेड़ों में बौर आई और जल्द ही खराब भी हो गई। इसके अलावा आम में कीड़े भी लगे। उनका कहना है कि इसके बाद भी आम की फसल इस बार पहले के मुकाबले महज 10-15 फीसदी कम हुई है। उन्होंने कहा कि बाहरी राज्यों व विदेशों से मांग कम रहने के कारण कीमत इस बार भी पिछले साल जैसी ही रहेगी।
राजधानी लखनऊ के प्रमुख आम कारोबारी हसीब अहमद का कहना है कि इस साल फल पट्टी क्षेत्र काकोरी-मलिहाबाद में करीब एक चौथाई बाग बिके ही नहीं हैं, लेकिन 75 फीसदी बाग पिछले साल का सीजन खत्म होते ही बिक गए थे। फल पट्टी क्षेत्र में बड़े कारोबारी बागवानों से पूरा बाग अग्रिम खरीद लेते हैं। हसीब के मुताबिक बड़े बागों को तो पहले ही खरीदार मिल गए थे मगर छोटे बागों के लिए खरीदार आम तौर पर अप्रैल के महीने में आते हैं। इस बार कोरोना की दूसरी लहर के कारण अप्रैल में खरीदार ही नहीं फटके।
आम कारोबारी फौजान अल्वी को उम्मीद है कि इस बार शुरुआती दिनों में दशहरी आम 40 से 60 रुपये किलो के भाव बिक सकता है मगर बाद में दाम घट सकते हैं। पिछले कुछ साल से दशहरी के लिए विदेश से बढिय़ा ऑर्डर मिलते रहे हैं मगर कोरोना महामारी के कारण इस साल वहां से भी ऑर्डर नहीं के बराबर हैं। इसने आम बागवानों और कारोबारियों की मुश्किल ज्यादा बढ़ा दी है।