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दूसरी छमाही में औद्योगिक जिंसों में आएगी नरमी

Last Updated- December 07, 2022 | 12:00 PM IST

अमेरिकी आर्थिक मंदी के मद्देनजर प्रमुख औद्योगिक देशों की मांग में कमी आने के कारण इस वर्ष की दूसरी छमाही में मूलभूत धातुओं के औसत मूल्यों में 5 प्रतिशत तक की कमी आने के आसार हैं।


लंदन स्थित इकॉनमिस्ट इंटेलिजेंसी यूनिट (ईआईयू) के नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार इस महीने के आरंभ से औद्योगिक जिंसों में कमजोरी आनी शुरु हुई है जो साल के बाकि बचे हिस्से में भी जारी रहेगी क्योंकि बाजार ऑर्गेनाइजेशन फॉर इकनॉमिक को-ऑपरेशन ऐंड डेवलपमेंट (ओईसीडी) की अपेक्षाकृत कम मांगों को खास तवो देता है।

अमेरिकी और महत्वपूर्ण यूरोपियन बाजारों में आई कमजोरी हाउसिंग सेक्टर की मंदी से प्रभावित हैं। हाउसिंग सेक्टर की मंदी से मूलभूत धातुओं की मांग पर खास तौर से नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। इस वर्ष की पहली तिमाही में अमेरिकी आर्थिक विकास में आ रही कमजोरी, ओईसीडी देशों की कमजोर आर्थिक प्रगति और विश्व के वित्तीय बाजार में चल रहे उठा पटक के बावजूद औद्योगिक जिंसों की कीमतों में बढ़ोतरी देखी गई।

वास्तव में, औद्योगिक जिंसों की बढ़ती मूल्यों के पीछे अमेरिकी डॉलर में आई कमजोरी और मुद्रास्फीति बढ़ने के अनुमानों की प्रमुख भूमिका रही है। इसके साथ ही निवेशकों ने कमोडिटी को सुरक्षित उपकरण के रुप में लेना शुरु कर दिया और सोना एवं कच्चे तेल में अपना निवेश बढ़ाया। चीन की मांगों में मजबूती रहने के समय हुई मूल्य-वृध्दि आपूर्ति और मूलभूत धातुओं के अपेक्षाकृत कम भंडार संबंधी मामलों को भी प्रदर्शित करता है। ईआईयू के अनुसार, तकनीकी बाधाएं खासतौर से पावर की कमी और बढ़ती उत्पादन लागत से औद्योगिक कच्चे मालों के कई बाजारों में आपूर्ति में कमी आ रही थी।

हालांकि, वर्ष 2009 के लिए ईआईयू का अनुमान है कि औद्योगिक कच्चे मालों के औसत मूल्यों में और अधिक कमी आएगी। ओईसीडी अर्थव्यवस्थाओं की मांग अपेक्षाकृत कम होने के आसार हैं। इसके अलावा, भंडार बढ़ रहे होंगे और आपूर्ति पहले के मुकाबले अधिक होगी जिससे नई आपूर्ति में होने वाले अनियोजित विलंब का जोखिम कम होगा और इससे मूल्य वृध्दि में प्रतिरोध होगा। रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2008 की दूसरी छमाही में एल्युमिनियम के अतिरिक्त उत्पादन होने और ओईसीडी की मांग कम होने के परिणामस्वरुप कीमतों के अपेक्षाकृत कम रहेने के अनुमान हैं।

हालांकि, भंडार के कम होने का मतलब है कि आपूर्ति के रास्ते में आने वाली कोई बाधा या फिर चीन की मांग आशा से अधिक होने से मूल्यों में बढ़ोतरी हो सकती है। कम आपूर्ति से खानों के उत्पादन में व्यवधान, ट्रीटमेंट और रीफाइनिंग के शुल्क कम होने से स्मेल्टर की उत्पादकता पर प्रभाव और कुल मिला कर भंडार के घटते स्तर से तांबे की कीमतों में मजबूती आ रही है। लेकिन, तांबे की कीमत के चरम स्तर पर पहुंचने से वैकल्पिक स्रोतों की तरफ  रुझान बढ़ सकता है जिसके परिणामस्वरुप मांग में कमी आएगी और कीमतें कम हो सकती हैं।

ऐसा अनुमान है कि साल 2008 में सीसे का बाजार सरप्लस की ओर लौटेगा जिससे इस वर्ष के साथ-साथ अगले वर्ष भी मूल्य कम रहेंगे। मांग में कमी रहने से बाजार में निकल की अधिकता है जिससे वर्ष 2008-09 में इसकी कीमतें कम रहेंगी। एलएमई से पंजीकृत भंडारगृहों में प्रचुर भंडार और मांग के कम होने से जिंक के मूल्य पर दबाव बढ़ सकता है। हालांकि, साल 2010 तक विकासशील देशों की मजबूत मांगों से बाजार में मौजूद अतिरिक्त भंडार खत्म होंगे फिर कीमतों में बढ़ोतरी होगी। मांग में मजबूती से साल 2010 में मूल्यों में तेजी आने का अनुमान है।

First Published - July 17, 2008 | 11:46 PM IST

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