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इंडोनेशिया हुआ ओपेक से बाहर

Last Updated- December 07, 2022 | 8:43 PM IST

ऑस्ट्रिया की राजधानी वियना में हो रही ओपेक की बैठक में इंडोनेशिया को ओपेक की सदस्यता से निलंबित कर दिया गया है।


ओपेक द्वारा जारी एक वक्तव्य में बताया गया कि इंडोनेशिया के अनुरोध को देखते हुए ओपेक ने इसकी सदस्यता निलंबित करने का फैसला किया है। हालांकि समूह ने आशा जताई कि इंडोनेशिया फिर कभी ओपेक का सदस्य बन पाएगा।

गौरतलब है कि इंडोनेशिया ओपेक का एकमात्र एशियाई सदस्य देश था। ओपेक के प्रवक्ता के अनुसार, ओपेक के दो सदस्य देशों इंडोनेशिया और इराक की जगह अब अंगोला और इक्वाडोर को ओपेक में शामिल किया गया है। प्रतिदिन 8.65 लाख बैरल कच्चे तेल का उत्पादन करने वाले इंडोनेशिया के हटने से अब ओपेक का तेल उत्पादन कोटा 2.88 करोड़ बैरल प्रतिदिन रह गया है।

इंडोनेशिया के हटने से पहले ओपेक का तेल उत्पादन 2.967 करोड़ बैरल प्रतिदिन था। इंडोनेशिया के ऊर्जा और खनिज मंत्री पुर्णोमो युस्गिंतोरो ने बताया कि अब उनका देश तेल निर्यातक की बजाय आयातक बन गया है। यदि भविष्य में इंडोनेशिया कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ाने में सफल रहा तो वह फिर से ओपेक का सदस्य बन सकता है।

मालूम हो कि इंडोनेशिया 1961 में ओपेक में शामिल हुआ था। लेकिन कई साल से घटते विदेशी निवेश के चलते यह देश अपना उत्पादन बढ़ा पाने में असफल रहा है। इंडोनेशियाई अधिकारियों का ओपेक पर आरोप है कि वह छोटे देशों की उपेक्षा कर रहा है।

ओपेक की उपेक्षा का ही असर है कि इंडोनेशिया जैसे छोटे देश अपना उत्पादन बढ़ाने में नाकाम रहे हैं। जानकारों के अनुसार वहां की पूर्ववर्ती सरकारों ने देश के तेल और गैस के प्रचुर भंडार का ठीक से प्रबंधन नहीं किया। मौजूदा स्थिति उसी का दुष्परिणाम है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह निलंबन इस बात की चेतावनी है कि इंडोनेशिया को अपने तेल उत्पादन की बुनियादी ढांचों पर निवेश बढ़ाना चाहिए।

First Published - September 11, 2008 | 12:01 AM IST

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