कोविड-19 महामारी के कारण ईंधन की खपत घटने से भारत के शीर्ष तेल शोधक कच्चे तेल का आयात और तेल शोधन घटा रहे हैं। कंपनी के अधिकारियों ने कहा कि मांग कम होने की वजह से संयंत्रों में स्टॉक जमा हो जाने के कारण ऐसा किया जा रहा है।
देश की सबसे बड़ी तेल शोधन कंपनी इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (आईओसी) के एक अधिकारी ने कहा कि संयंत्र प्रसंस्करण क्षमता के 85 से 88 प्रतिशत के बीच चल रहा है। उन्होंने कहा कि कंपनी के गुजरात, मथुरा और पानीपत संयंत्र में आगे उत्पादन में और कटौती हो सकती है, जहां बिटुमन और सल्फर के भंडारण की समस्या पैदा हो रही है। अप्रैल के अंत में आईओसी के तेल शोधक संयंत्र अपनी क्षमता के 95 प्रतिशत पर चल रहे थे। उन्होंने कहा, ‘हम यह उम्मीद नहीं कर रहे थे कि उत्पादन घटकर पिछले साल की तरह क्षमता के 65-70 प्रतिशत तक हो जाएगा क्योंकि एक राज्य से दूसरे राज्य में वाहनों की आवाजाही जारी है और अर्थव्यवस्था चल रही है।’
कुछ राज्यों में मंगलवार से कोरोना का संकट कम होने के शुरुआती संकेत मिल रहे हैं। वहीं 7 दिनों के नए मामलों का औसत रिकॉर्ड उच्च स्तर पर है, हालांकि भारत सरकार ने अभी तक पूर्ण लॉकडाउन की घोषणा नहीं की है। भारत तेल का तीसरा बड़ा आयातक और उपभोक्ता है।
सरकारी कंपनी भारत पेट्रोलियम कॉर्प के एक अधिकारी ने कहा कि कंपनी ने कच्चे तेल का आयात मई महीने में 10 लाख बैरल कम किया है और जून में 20 लाख बैरल खरीद घटाएगी। भारत पेट्रोलियम के चेयरमैन एमके सुराना को उम्मीद है कि मई में भारत की ईंधन खपत अप्रैल की तुलना में 5 प्रतिशत कम रहेगी, हालांकि पिछले साल की तुलना में आवाजाही और औद्योगिक उत्पादन गंभीर स्थिति में नहीं रहेगा। उन्होंने कहा, ‘पिछली बार की तरह इस बार पूर्ण लॉकडाउन नहीं है।’
एचपीसीएल ने कहा है कि उसकी कच्चे तेल में कटौती की तत्काल कोई योजना नहीं है। हालांकि कंपनी की मुंबई रिफाइनरी के कुछ यूनिट रखरखाव व उन्नयन के मकसद से बंद हैं। वहीं मंगलौर रिफाइनरी ऐंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड में भी रखरखाव के कारण उत्पादन कम है।
बीपीसीएल के एक और अधिकारी ने कहा कि भंडारण की समस्या कम करने के लिए कंपनी कुछ डीजल का निर्यात कर सकती है, जिसकी स्थानीय रिफाइनरों की रिफाइनिंग में हिस्सेदारी 40 प्रतिशत के करीब है।