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कर्ज नहीं, तो बढ़ा मर्ज

Last Updated- December 08, 2022 | 12:43 AM IST

लघु एवं मझोले उद्योग इन दिनों अग्नि परीक्षा से गुजर रहे हैं। त्योहारी मौसम होने के बावजूद उनका कारोबार फीका हो चला है।


कई क्षेत्र के कच्चे माल की कीमत में 30 फीसदी तक की कमी आ चुकी है लेकिन नकदी की कमी एवं मंदी की मार के कारण उद्यमी अधिक उत्पादन करने की स्थिति में नहीं है। उल्टा उनके उत्पादन में 10 फीसदी से अधिक की गिरावट आ चुकी है।

फेडरेशन ऑफ इंडियन माइक्रो एंड स्मॉल एंड मीडियम इंटरप्राइजेज (फिस्मे) ने लघु उद्योगों में जान फूंकने के लिए सरकार से तुरंत 20,000 करोड़ रुपये की व्यवस्था करने की मांग की है ताकि उन्हें कम ब्याज दर पर कर्ज मुहैया कराया जा सके।

नकदी की कमी, मगर बैंक दिखा रहे ठेंगा

फिस्मे के मुताबिक छोटे एवं मझोले उद्यमियों का कारोबार मुख्य रूप से बैंकों से लिए गए कर्ज पर ही निर्भर करता है। बैंक इनदिनों साधारण ओवर ड्राफ्ट से इनकार कर रहे हैं। कई बैंक तो निर्धारित सीमा के भीतर भी उद्यमियों को कर्ज देने से मना कर रहे हैं।

लेटर ऑफ क्रेडिट (एलसी) के मामले में बैंक काफी सख्त हो गया है और इसके लिए उद्यमियों पर कई शर्तें भी लादी जा रही है। फिस्मे के महासचिव अनिल भारद्वाज कहते हैं, ‘लघु उद्यमियों के हालात तभी सुधरेंगे जब सरकार उनके कर्ज के लिए अलग से नकदी मुहैया कराएगी।

सिर्फ नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में कटौती करने से कुछ नहीं होगा। सरकार को भरोसा दिलाना होगा कि इतनी रकम एस्मीज के लिए निर्धारित की जा रही है।’ हालांकि कई क्षेत्र के उद्यमी यह भी कह रहे हैं कि राष्ट्रीयकृत बैंकों से जुड़े उद्यमियों को कोई खास परेशानी नहीं आ रही है। सरकारी बैंक इतना जरूर कह रहा है कि जिन उद्यमियों ने अपनी सीमा से अधिक कर्ज लिया है उसे वे तुरंत लौटा दें।

उत्पादन पर असर

फिस्मे के पदाधिकारी के मुताबिक कई छोटे उद्यमी अपने पूरे कारोबार का 20-25 फीसदी काम  अक्टूबर से दिसंबर के दौरान ही करते हैं। यह त्यौहारी मौसम होने के साथ शादी-ब्याह का भी मौसम होता है। लेकिन कर्ज की दिक्कत एवं ब्याज की ऊंची दर के कारण वे अधिक उत्पादन नहीं कर रहे हैं। इस कारण उनका कारोबार 10 फीसदी से अधिक गिर चुका है।

16,000 से अधिक औद्योगिक इकाइयों के संगठन फरीदाबाद स्मॉल इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष राजीव चावला कहते हैं, ‘फरीदाबाद में पिछले 45 दिनों के दौरान उत्पादन में कम से कम 7 फीसदी की गिरावट दर्ज की गयी है। पूरा बाजार हतोत्साहित है।’

वे कहते हैं कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में छायी मंदी के कारण रबर के दाम अपनी अधिकतम ऊंचाई से 40 फीसदी तक नीचे आ गया है, एल्युमिनियम की कीमत 4-5 रुपये प्रति किलोग्राम कम हो गयी है, स्टील गिर रहा है और अगले एक माह में इसमें 6-8 रुपये की और गिरावट हो सकती है। इन सबके बावजूद उत्पादन बढ़ने की बजाय घट रहा है। पंजाब, महाराष्ट्र, गुजरात या आंध्र प्रदेश सभी जगहों पर कमोबेश यही हाल है।

केवल एक ही है फायदा

बाजार में डॉलर की कमी के कारण कई क्षेत्र के लघु उद्यमियों को इस मौसम में चीन से हाथापाई नहीं  करनी पड़ेगी। डॉलर की कीमत एक माह में  40 रुपये से बढ़कर 49 रुपये हो गयी है। ऐसे में चीन से आयात में कमी आयी है। उद्यमियों को उम्मीद है कि उनके बाजार में कुछ सुधार जरूर होगा।

बैंकों का ओवर ड्राफ्ट करने से साफ इनकार
आसानी से कर्ज मिलने में दिक्कत, एलसी के साथ कई कठिन शर्त जोड़ रहे हैं बैंक
निर्धारित सीमा से अधिक कर्ज लेने को तुरंत कर्ज अदायगी का फरमान
ब्याज की दरों में भी 1-2 फीसदी तक की बढ़ोतरी
कच्चे माल की कीमत में कमी के बावजूद उद्यमी अधिक उत्पादन करने मे असमर्थ
उत्पादन में 10 फीसदी तक की गिरावट

First Published - October 18, 2008 | 12:21 AM IST

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