सरकार ने धान खरीद के मामले में किसी भी राज्य को विशेष छूट देने से इनकार कर दिया है। इस क्रम में पंजाब या अन्य राज्य को चुनिंदा छूट देने से मना कर दिया गया है। सरकार ने कहा कि जो भी छूट दी जाएगी, वह सभी पर समान रूप से
लागू होगी।
खाद्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने आज संवाददाताओं से बातचीत करते हुए इस मुद्दे पर कुछ स्पष्ट नहीं कहा लेकिन इस बारे में इशारा कर दिया है। दरअसल, पंजाब में चावल मिल मालिक बीते कुछ हफ्तों से दो-दो हाथ करने की तैयारी में हैं। ये चावल मिल मालिक मंडी से धान नहीं उठा रहे हैं और धान खरीद के मानदंडों में छूट की मांग कर रहे हैं।
चावल मिल मालिकों की प्रमुख मांग यह है कि पंजाब के लिए भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के आउट ऑफ टर्न रेशियो (ओटीआर) को 67 प्रतिशत से कम किया जाए। उनका तर्क यह है कि धान की नई किस्म पीआर -126 सामान्य किस्म के धान की तुलना में 4-5 प्रतिशत कम ओटीआर दे रही है। कम ओटीआर होने का अर्थ यह है कि चावल मिलों को एफसीआई के धान से चावल तैयार करने में नुकसान उठाना पड़ रहा है। वे यह चाहते हैं कि किस्में जैसे पीआर-126 के लिए प्रति क्विंटल भरपाई हो।
यह मुद्दा पंजाब में प्रमुख राजनीतिक विवाद बन चुका है। इस मामले को लेकर किसान राज्य के कई जिलों में सड़कों पर उतर आए हैं। किसानों की मांग यह है कि मंडी से शीघ्र अतिशीघ्र धान की खरीद की जाए। दरअसल, पंजाब की कई मंडियां धान की आवक अधिक होने के कारण पट गई हैं।
विपक्षी दल भाजपा ने रविवार को पंजाब के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया को ज्ञापन देकर राज्य की ‘आप’ सरकार पर धान खरीद में देरी करने का आरोप लगाया है। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह भी किसानों के मुद्दों को उठा चुके हैं। हालांकि केंद्र सरकार ने धान की किस्म पीआर-126 पर कहा कि इस किस्म का पंजाब में 2016 से इस्तेमाल होता आ रहा है। इस बारे में पहले कोई मुद्दे नहीं उठे थे।
खाद्य मंत्री जोशी ने संवाददाताओं को बताया, ‘भारत सरकार के ओटीआर प्रस्तावित ओटीआर मानदंड पूरे देश में एक जैसे हैं। धान की खरीद एकीकृत पहचान के आधार पर है और इसे सामान्य तौर पर उचित औसत गुणवत्ता (एफएक्यू) कहा जाता है।’
उन्होंने बताया कि इसके अलावा केंद्र ने धान के हालिया ओटीआर की समीक्षा के लिए आईआईटी खड्गपुर को अध्ययन की जिम्मेदारी दी है और इसके लिए पंजाब सहित विभिन्न धान उत्पादक राज्यों में परीक्षण किए जा रहे हैं।
अन्य अधिकारी ने बताया, ‘जब तक इस अध्ययन के परिणाम नहीं आते हैं, हम एक पक्षीय रूप से किसी राज्य के लिए ओटीआर मानदंड को कम नहीं कर सकते हैं।’
पंजाब की मंडियों में 26 अक्टूबर, 2024 तक 54.5 लाख टन धान की आवक हुई थी और एफसीआई ने सत्र देर से शुरू होने के बावजूद इसमें से 50 लाख टन (करीब 92 प्रतिशत) धान की खरीद कर ली है।
बीते साल की इस अवधि में पंजाब की मंडियों में करीब 65.8 लाख टन धान की आवक हुई थी और इसमें से 61.5 लाख टन (करीब 93.4 प्रतिशत) की खरीद हो गई थी।