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बढ़ती महंगाई में तेल के बाद अब दाल बांटेगी सरकार

Last Updated- December 07, 2022 | 3:05 PM IST

महंगाई पर काबू पाने के लिए तेल के बाद सरकार अब दाल बांटने का मन बना रही है। दाल की कीमतों में दो महीनों के दौरान 25 फीसदी का इजाफा हो गया है।


इस साल खरीफ के तहत दाल की फसलों की बिजाई भी पिछले साल के मुकाबले कम हुई है। उत्पादन भी पिछले साल के मुकाबले कम होने के आसार है। लिहाजा अगले महीने तक दाल के दाम में कम से कम 10 फीसदी तक की बढ़ोतरी हो सकती है।

कारोबारियों का कहना है कि तेल के बाद दाल बांटना सरकार की मजबूरी है। हालांकि हिमाचल प्रदेश, पंजाब व दिल्ली में गरीबी रेखा से नीचे रहने वालों को सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के तहत पहले से दाल मिल रही है। दिल्ली में अरहर व चने की दो-दो किलोग्राम दालें प्रति व्यक्ति वितरित की जाती हैं।

सूत्रों के मुताबिक महाराष्ट्र सरकार ने भी पीडीएस के तहत दाल वितरण का फैसला किया था, लेकिन कोर्ट के स्थगनादेश के कारण इस फैसले पर अमल नहीं हो सका। अब स्थगन का फैसला वापस ले लिया गया है। उधर हरियाणा सरकार भी पीडीएस के तहत दाल बांटने को लेकर कई  बैठकें कर चुकी हैं। सूत्रों का कहना है कि जल्द ही इस मामले में केंद्र सरकार का फैसला भी आ जाएगा। हालांकि कारोबारियों को उम्मीद है कि इससे कीमत पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा।

लारेंस रोड स्थित दाल व बेसन मिल एसोसिएशन के प्रधान अशोक गुप्ता कहते हैं, ‘इन सबसे कोई असर नहीं होगा क्योंकि असली जगह पर दाल जाएगी ही नहीं। आने वाले महीनों में भाव का बढ़ना तय है।’ इस साल दाल की बिजाई के रकबे में भी पिछले साल के मुकाबले कमी आयी है। पिछले साल खरीफ के दौरान जहां 100 लाख हेक्टेयर जमीन पर अरहर, टूअर, उड़द व मूंग की बिजाई की गयी थी वह घटकर मात्र 70 लाख हेक्टेयर रह गया।

इस साल 50 लाख टन दाल के उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है जबकि वर्ष 2007 के दौरान 64.5 लाख टन दाल का उत्पादन हुआ था। जो दाल दो महीने पहले तक 32-35 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बिक रही थी वह 45 रुपये के स्तर पर आ गयी है।

First Published - August 5, 2008 | 11:28 PM IST

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