facebookmetapixel
उत्तर प्रदेश के लोगों को बड़ी सौगात! अब जन सेवा केंद्रों पर बनेंगे ड्राइविंग लाइसेंस, RTO के चक्कर से राहतस्टार्टअप को बढ़ावा देने वाला ​​ठिकाना बन गया उत्तर प्रदेश: इंडियन बैंकचमकते बस अड्डे, इलेक्ट्रिक बसें और बेहतर कनेक्टिविटी: उत्तर प्रदेश परिवहन की बड़ी छलांगबाघ, पक्षी और जंगल सफारी: धार्मिक स्थलों से आगे बढ़ा पर्यटन, उत्तर प्रदेश के जंगल भी बने सैलानियों की पसंदनए औद्योगिक क्षेत्रों और MSME में दिख रहा यूपी का बदलता चेहरा, निवेश और विकास को मिली नई रफ्तारआर्थिक वृद्धि और पर्यावरण संरक्षण के बीच पुल बन सकती है तकनीक, सर्कुलर इकनॉमी पर जोरकाशी विश्वनाथ, राम मंदिर से लेकर मथुरा-वृंदावन तक; उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था का इंजन बना पर्यटनकानून व्यवस्था से कारोबार तक: योगी के नेतृत्व में निवेश का हब बना UP, अर्थव्यवस्था ने पकड़ी तेज रफ्तारUPPTCL का फ्यूचर रोडमैप: ग्रीन एनर्जी, डिजिटल ग्रिड और मजबूत ट्रांसमिशन नेटवर्क पर फोकसआबकारी से अर्थव्यवस्था तक: योगी सरकार में उत्तर प्रदेश का अभूतपूर्व आर्थिक कायाकल्प

अब भी बाकी है सोने में चमक

Last Updated- December 05, 2022 | 5:27 PM IST

नई तिमाही में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निवेशकों द्वारा निवेश करने और स्टॉकिस्टों द्वारा फिर से इसके भंडारण करने के चलते सोने के कारोबार में फिर से गर्मी आने के आसार हैं।


मुंबई स्थित एकप्रमुख विश्लेषक भार्गव वैद्य का मानना है कि सोने की कीमतों में लचीलापन नहीं है। यही वजह है कि हालिया मंदी के बाद एक बार फिर से कीमतों में तेजी का रुख बनना शुरू हो चुका है। दूसरी तरफ, इसके फंडामेंटल्स में तेजी का रुख बरकार है, क्योंकि कारोबारियों को अब 900 डॉलर से ऊपर के भाव पर ही खरीदारी करने की आदत पड़ चुकी है।


कच्चे तेल की कीमत 100 डॉलर के इर्द-गिर्द है और कारोबारियों को नजर डॉलर के मुकाबले येन पर लगी हुई है कि वह किस तरह से अपनी स्थिति बना पाता है। इस संबंध में औद्योगिक विश्लेषकों का मानना है कि जापान सरकार येन केमुकाबले डॉलर के कमजोर होने का इंतजार कर रही हैं ताकि खाड़ी देशों से पेट्रो फंड और प्रमुख बैकिंग निवेशकों को सोने और जापानी येन की ओर मोड़ा जा सके।


उधर सोने के प्रति बाजार का रुख माकूल है, क्योंकि कारोबारियों द्वारा ज्यादा निवेश सोने में किया जा रहा है। इस बारे में रेलिगेयर इंटरप्राइजेज के जयंत मांगलिक का मानना है कि सोने की घरेलू मांग भले ही कम है, पर निवेश करने के लिहाज से इसके सिवा और कोई बेहतर विकल्प भी नहीं है। उनका कहना है कि सोने क ी कीमतों में आगामी 16 से 18 हफ्ते के दौरान 5 से 7 फीसदी का इजाफा रहने की उम्मीद है।


हालांकि, दूसरी ओर कच्चे तेल के कारोबारी विश्लेषक आनंद राठी मानते हैं किकच्चे तेल के कीमतों में आई नरमी से सोने की कीमतों में पहले की तरह तेजी आने के आसार कम ही हैं। हालांकि, दूरगामी प्रभावों के मद्देनजर सोने की कीमतें 1105 डॉलर प्रति आउंस को पार कर जाने की उम्मीद है। जबकि साल के अंत तक कीमत 1250-1270 डॉलर प्रति आउंस हो जाने की उम्मीद है।


हालांकि, रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि अगर फेडरल रिजर्व द्वारा सब-प्राइम संकट पर काबू पा लिया जाए तो मेटल की कीमतें और ज्यादा हो जाने के आसार हैं और कीमती धातुओं की कीमतों के 790 डॉलर को फि र से छू जाने की संभावना हो सकती है, लेकिन इसकी उम्मीद कम है।


गौरतलब है कि पिछले दस दिनों के दौरान सोने की कीमतों में निवेशकों द्वारा लंबी अवधि के निवेश में तरलता ज्यादा जारी रखने के बावजूद 1.46 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। इस प्रकार सोने की कीमत 944 डॉलर हो गई थीं। मुंबई के कीमती धातु बाजार में इस दौरान गिरावट का रुख और तेज रहा और कीमतों में कु ल गिरावट 7.24 फीसदी की रही।


यह गिरावट सोना स्टैंडर्ड में रही जबकि शुध्द सोने में कुल 7.13 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। इस प्रकार, इस हफ्ते सोना प्रति दस ग्राम (.995) 12040 रुपये और प्रति दस ग्राम (.999) 12105 रुपये पर बंद हुआ।


शुक्रवार को न्यू यॉर्क में जहां इसकी कीमत 926 डॉलर प्रति आउंस थी, वहीं इस हफ्ते यह गिरकर 933 डॉलर हो गई है। जबकि पिछले ही हफ्ते इसने रिकॉर्ड कीमत तय करते हुए 1,030.80 डॉलर को छूआ था। मालूम रहे कि उससे पहले कीमत 904.70 डॉलर प्रति आउंस थी। इसके बावजूद जो सबसे बड़ा खतरा कारोबारियों के लिए साबित हो सकता है, वो यह है कि फंडामेंटल्स में तो तेजी का रुख बना रहेगा पर मुनाफावसूली परेशानी का सबब बन सकता है।


उधर डॉलर में भी यूरो के मुकाबले मजबूती तो आई है, लेकिन इसमें अपेक्षित मजबूती नहीं आई है जो अमेरिकी मंदी को फिर से पटरी पर ला सके। भारत में भी कमोबेश यही तस्वीर है और सोने का सबसे ज्यादा खपत करने के बावजूद सोने के उत्पादन में 6.6 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है।


गौरतलब है कि सोने के उत्पादन का प्रतिशत अप्रैल-फ रवरी के दौरान 10.93 फीसदी था जबकि पिछले साल इसी महीने केदौरान यह 11.70 फीसदी रहा था। लेकिन सोने की उपलब्धता कम होने के चलते आने वाले समय में भी उत्पादन प्रभावित होने की ही उम्मीद है। गौरतलब है कि सोने का खनन प्रति दिन महज 20 से 30 किलो रह गया है।

First Published - April 1, 2008 | 12:51 AM IST

संबंधित पोस्ट