उर्वरक शेयर गुरुवार को सुर्खियों में रहे, और दिन के कारोबार में इनमें 11 प्रतिशत तक की तेजी आई। केंद्र द्वारा डाई अमोनिया फॉस्फेट (डीएपी) के लिए सब्सिडी का अपना योगदान 500 रुपये से 140 प्रतिशत तक बढ़ाकर 1,200 रुपये प्रति बैग कर दिया। सरकार की इस घोषणा के बाद उर्वरक कंपनियों के शेयरों में शानदार तेजी देखने को मिली है।
हालांकि शेयर आखिर में यह बढ़त बरकरार रखने में पूरी तरह सफल नहीं रहे, लेकिन फिर भी उनमें 5.5 प्रतिशत की वृद्घि दर्ज की गई। विश्लेषकों का कहना है कि डीएपी सब्सिडी में वृद्घि उर्वरक और कृषि उत्पाद कंपनियों के लिए सकारात्मक होगी।
डीएपी के लिए मुख्य घटक फॉस्फोरिक एसिड और अमोनिया की अंतरराष्ट्रीय कीमतें पिछले एक साल में बढ़ी हैं और पिछले कुछ महीनों में इनमें भारी तेजी दर्ज की गई। आंकड़े के अनुसार, अमोनिया कीमत एक साल में 134 प्रतिशत तक बढ़ी है, जबकि फॉस्फोरिक एसिड में करीब 70 प्रतिशत तक की वृद्घि हुई है। 2020 के ज्यादातर समय में कीमतें सीमित दायरे में रहने के बाद सितंबर 2020 से, डीएपी की अंतरराष्ट्रीय कीमत पिछले महीने तक 50 प्रतिशत तक चढ़ी थी।
इसका घरेलू बाजार पर बदलाव देखने को मिला है। आईसीआईसीआई डायरेक्ट रिसर्च के अनुसार, ‘भारत में डीएपी खपत करीब 1 करोड़ टन है जिसमें 50 लाख टन का उत्पादन घरेलू तौर पर होता है और शेष का आयात किया जाता है।’
उत्पादन और आयात की बढ़ती लागत से देश में उर्वरक की ऊंची कीमतों को बढ़ावा मिला है, जिससे किसानों के लिए लागत बढ़ी है और कंपनियों की कार्यशील पूंजी जरूरत में इजाफा हुआ है।
पिछले कुछ महीनों में, सभी प्रमुख उर्वरक कंपनियों (इफको समेत) ने डीएपी दरें बढ़ाई। इसके अलावा अन्य कई उर्वरकों की कीमतों में भी इजाफा हुआ है। यही मुख्य वजह है कि सरकार डीएपी सब्सिडी बढ़ा रही है।
आईसीआईसीआई डायरेक्ट रिसर्च के विश्लेषकों का कहना है कि सब्सिडी में वृद्घि डीएपी उर्वरकों की बाजार कीमत में कमी लाएगी और अब ये कीमतें 2,400 रुपये प्रति बैग से घटकर 1,200 रुपये प्रति बैग रह जाएंगी। सरकार को इस सब्सिडी वृद्घि की वजह से करीब 14,775 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ेगा।
विश्लेषकों ने एक रिपोर्ट में कहा है, ‘कीमतों में कमी का लाभ किसानों को मिलेगा, जबकि सब्सिडी में वृद्घि का बोझ कंपनियों पर भी पड़ेगा। हालांकि हमें उर्वरक कंपनियों की बैलेंस शीट पर बहुत ज्यादा प्रभाव पडऩे की आशंका नहीं है।’
कुछ खास शेयरों की बात की जाए तो पता चलता है कि नैशनल फर्टिलाइजर्स, फर्टिलाइजर्स ऐंड केमिकल्स ट्रावनकोर, राष्ट्रीय केमिकल्स ऐंड फर्टिलाइजर्स (आरसीएफ), कोरोमंडल इंटरनैशनल, गुजरात स्टेट फर्टिलाइजर्स और चंबल फर्टिलाइजर्स में गुरुवार को बीएसई पर 2.6 प्रतिशत से 5.5 प्रतिशत के बीच तेजी दर्ज की गई है। तुलनात्मक तौर पर, बीएसई का सेंसेक्स 0.68 प्रतिशत गिरकर 49,565 अंक पर बंद हुआ था।
विश्लेषकों का कहना है कि कोरोमंडल इंटरनैशनल और चंबल फर्टिलाइजर्स बाजार पूंजीकरण के लिहाज से मुख्य कंपनियों में शामिल रहीं और उन्हें करीब 5 प्रतिशत तथा 12 प्रतिशत की अनुमानित डीएपी बाजार भागीदारी हासिल करने में मदद मिली है।
सरकार के इस कदम से उर्वरक कीमतें घटेंगी और इसकी खपत बढ़ेगी तथा कृषि रसायनों के लिए भी मांग मजबूत होगी।
आईडीबीआई कैपिटल के शोध प्रमुख ए के प्रभाकर का कहना है, ‘सब्सिडी डीएपी में दी गई है, जिसका ज्यादातर इस्तेमाल होता है। सरकार के इस कदम से अब कृषि रसायन क्षेत्र के शेयरों का प्रदर्शन भी अच्छा रहने की संभावना है।’ कृषि रसायन शेयरों में प्रभाकर को बेयर क्रॉप, सूमी, पीआई इंडस्ट्रीज, धानुका एग्रो को अप्रत्यक्ष रूप से लाभ मिलने की संभावना है।